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This Article is From Jul 31, 2017

अमेरिका के महंगे सिलिकॉन वैली में कार में सो जाती है फेसबुक कर्मी

पार्शा के जीवन यापन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर फेसबुक ने कहा कि वह कंपनी की कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वह कंपनी से जुड़े एक ठेकेदार के लिए काम करती हैं.

अमेरिका के महंगे सिलिकॉन वैली में कार में सो जाती है फेसबुक कर्मी
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
सैन फ्रांसिस्को: सिलिकॉन वैली में घर ले पाने में असमर्थ फेसबुक की एक महिला कर्मी अपनी कार में ही रात बिताने को मजबूर है. यह कर्मी कंपनी में ठेके पर काम करती है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, पार्शा नामक इस महिला के बाल, कार और कुत्ता सभी गुलाबी रंग के हैं, जिसके कारण इसे पिंकी नाम से पुकारा जाता है. इस महिला के ऊपर पहले से ही शिक्षा और चिकित्सा संबंधी कर्ज का बोझ लदा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, 'पिंकी' पार्शा ने कहा है, "मैं हमेशा लोगों से कहती हूं कि किसी ने जो कुछ पाया और बाहर की दुनिया में आप जो देखते हैं, उसे देखना बंद करो." सिलिकॉन वैली बिजनेस जर्नल के अनुसार, उत्तरी कैलिफोर्निया के पास में एक-बेडरूम के घर का औसत किराया 2,300 डॉलर प्रति माह है. दो बच्चों की मां पार्शा इसे वहन नहीं कर सकती. इसलिए, वह अपनी कार में रहती है और उसने अपनी इस परिस्थिति के बारे में अभी तक अपने सहकर्मियों को नहीं बताया है. उसे डर है कि यदि उसने इस बारे में किसी को बताया तो उसके कार्यस्थल पर उसे नीचा देखना पड़ सकता है.

पार्शा ने कहा, "उन्हें यह जानकर अचम्भा होगा कि मैं इस तरह गुजर-बसर कर रही हूं, क्योंकि वे मुझे कार्यस्थल पर मुस्कराता हुआ देखना चाहेंगे और वे चाहेंगे कि मैं खुश दिखूं, सामान्य दिखूं और साफ-सुथरी दिखूं." लेकिन, अब उसका इरादा अपनी स्थिति लोगों के सामने लाने का है. इस उद्देश्य से कि सिलिकॉन वैली के आसपास के इलाके में अधिक किराए पर बहस शुरू हो.

उसने कहा, "मुझे लगता है कि कंपनियों को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि जो वेतन वे कर्मचारियों को दे रहीं हैं, क्या वह कर्मचारियों को गुजारे के लिए पर्याप्त है?" फेसबुक के अनुसार, कंपनी इस बात को समझती है और मानती है कि समाज के गरीब लोगों पर जीवन यापन की उच्च लागत का बोझा है. फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा है, "मेनलो पार्क मुख्यालय के पास रहने वाले समुदायों की सहायता कर फेसबुक सक्रिय और जिम्मेदार पड़ोसी की अपनी भूमिका के प्रति बचनबद्ध है."

रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक ने सामुदायिक समूहों, परोपकार और कंपनियों को, अगले कुछ महीनों और वर्षों के दौरान क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने के किए जाने वाले एक प्रयास में योगदान के लिए प्रारंभिक तौर पर दो करोड़ डॉलर का निवेश करने का वादा किया है. पार्शा के जीवन यापन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर फेसबुक ने कहा कि वह कंपनी की कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वह कंपनी से जुड़े एक ठेकेदार के लिए काम करती हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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