इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि देश के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी एक ईमानदार व्यक्ति नहीं हैं क्योंकि वह अपनी संवैधानिक शपथ पर कायम नहीं रहे।
न्यायालय ने यह टिप्पणी अपनी ओर से राष्ट्रपति आसिफ अली जारदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के आदेश का पालन करने में असफल रहने के लिए कार्रवाई की चेतावनी देते हुए की।
न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने जरदारी को लाभ पहुंचाने वाले भ्रष्टाचार मामले में क्षमादान को खारिज करने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने के मामले पर पीपीपी नीत सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए अपने आदेश में कहा कि गिलानी ‘आदरणीय व्यक्ति’ नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अपनी संवैधानिक शपथ का पालन नहीं किया।
पीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संविधान की बजाय अपनी राजनैतिक पार्टी के प्रति निष्ठा दिखायी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री एक ईमानदार व्यक्ति नहीं है और उन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया।’
पीठ ने कहा कि जरदारी के खिलाफ कथित धन शोधन मामले को फिर से खोलने के लिए स्विट्जरलैंड सरकार को पत्र लिखने से पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी नीत सरकार का इनकार संविधान और कुरान के खिलाफ है। पीठ ने सरकार के लिए छह विकल्प सुझाये जिसमें प्रधानमंत्री के खिलाफ अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई और गिलानी को संसद की सदस्यस्यता से पांच वर्ष के लिए अयोग्य घोषित करने एवं मामले को प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को संदर्भित करना शामिल है।
पीठ ने सिफारिश की कि प्रधान न्यायाधीश मामले की 16 जनवरी को सुनवायी के लिए वृहद पीठ का गठन करें। पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि वह अगली सुनवायी से पहले सरकार के विचार जान लें। इसके साथ ही उसने अटार्नी जनरल, कानून सचिव और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के अध्यक्ष को उच्चतम न्यायालय में अगली सुनवायी में उपस्थित रहने के लिए सम्मन जारी किये।
न्यायालय ने यह टिप्पणी अपनी ओर से राष्ट्रपति आसिफ अली जारदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के आदेश का पालन करने में असफल रहने के लिए कार्रवाई की चेतावनी देते हुए की।
न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने जरदारी को लाभ पहुंचाने वाले भ्रष्टाचार मामले में क्षमादान को खारिज करने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने के मामले पर पीपीपी नीत सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए अपने आदेश में कहा कि गिलानी ‘आदरणीय व्यक्ति’ नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अपनी संवैधानिक शपथ का पालन नहीं किया।
पीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संविधान की बजाय अपनी राजनैतिक पार्टी के प्रति निष्ठा दिखायी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री एक ईमानदार व्यक्ति नहीं है और उन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया।’
पीठ ने कहा कि जरदारी के खिलाफ कथित धन शोधन मामले को फिर से खोलने के लिए स्विट्जरलैंड सरकार को पत्र लिखने से पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी नीत सरकार का इनकार संविधान और कुरान के खिलाफ है। पीठ ने सरकार के लिए छह विकल्प सुझाये जिसमें प्रधानमंत्री के खिलाफ अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई और गिलानी को संसद की सदस्यस्यता से पांच वर्ष के लिए अयोग्य घोषित करने एवं मामले को प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को संदर्भित करना शामिल है।
पीठ ने सिफारिश की कि प्रधान न्यायाधीश मामले की 16 जनवरी को सुनवायी के लिए वृहद पीठ का गठन करें। पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि वह अगली सुनवायी से पहले सरकार के विचार जान लें। इसके साथ ही उसने अटार्नी जनरल, कानून सचिव और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के अध्यक्ष को उच्चतम न्यायालय में अगली सुनवायी में उपस्थित रहने के लिए सम्मन जारी किये।
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