विज्ञापन
This Article is From Apr 03, 2013

सविता की मौत की रिपोर्ट में बताया गया, मां नहीं भ्रूण पर था जोर

सविता की मौत की रिपोर्ट में बताया गया, मां नहीं भ्रूण पर था जोर
लंदन: पिछले साल आयरलैंड में गर्भपात से इनकार किए जाने के बाद जान गंवाने वाली भारतीय दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार की मौत की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी जांच बच सकती थी अगर अस्पतालकर्मियों ने भ्रूण को बचाने पर ‘ज्यादा जोर’ और उनके गिरते स्वास्थ्य पर ‘कम जोर’ नहीं दिया होता।

गैलवे यूनिवर्सिटी अस्पताल में 31 साल की सविता की मौत पर हेल्थ सर्विस एक्जेक्यूटिव की रिपोर्ट में पाया गया है कि उनके अहम मानकों की अपर्याप्त तौर पर निगरानी की गई, वह गंभीर तौर पर बीमार थीं, लेकिन इस पर कुछ नहीं किया गया। उनकी हालत और गिर गई और इसके बाद भी इस पर समुचित कुछ भी नहीं किया गया।

आइरिश टाइम्स ने मंगलवार की जांच रिपोर्ट के मसौदे का हवाला देते हुए कहा, जांच टीम मानती है कि जब तक भ्रूण के हृदय ने काम करना बंद नहीं कर दिया तब तक हस्तक्षेप नहीं करने पर आवश्यकता से अधिक जोर दिया गया और साथ में मां में होने वाले संक्रमण के खतरे और निगरानी पर बेहद कम जोर दिया गया। कर्नाटक की रहने वाली सविता की 28 अक्तूबर को खून में जहर फैलने से मौत हो गई।

डॉक्टरों ने उसके 17 हफ्ते के गर्भ को हटाने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके भ्रूण में धड़कन अभी भी मौजूद है और ‘‘ यह एक कैथेलिक देश है। ’’ आयरलैंड में गर्भपात कानून यूरोप में सबसे सख्त है। सविता की मौत से भारत में व्यापक प्रतिक्रिया हुई और इससे गर्भपात कानून को लेकर दोबारा से विरोध प्रदर्शन और बहस शुरू हो गई।

गैलवे के बोस्टन साइंटिफिक में इंजीनियर सविता के पति प्रवीण हलप्पनवार रिपोर्ट पर असंतुष्ट हैं। उनके वकील को शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपी गई।

हलप्पनवार के सॉलिसिटर जनरल गेरार्ड ओ डोन्नेल ने कहा, नहीं, वह संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि यह क्यों का जवाब नहीं देता। यह इस सवाल का जवाब नहीं देता कि उसके बीमार होने और उनके जीवन के खतरे में होने के बावजूद गर्भपात के आग्रह को क्यों नहीं माना गया। इस पर क्यों कुछ नहीं किया गया।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com