काहिरा:
मिस्र के अपदस्थ नेता मोहम्मद मुर्सी को सेना द्वारा अपदस्थ किए जाने के चंद घंटे बाद अधिकारियों ने उन्हें और उनके कुछ महत्वपूर्ण समर्थकों को हिरासत में ले लिया और चीफ जस्टिस अदली मंसूर ने अंतरिम राष्ट्रपति की शपथ ले ली है।
मीडिया में आज आई खबरों में मुस्लिम ब्रदरहुड के दो वरिष्ठ सदस्यों के हवाले से कहा गया है कि 61 वर्षीय मुर्सी को उनके शीर्ष सहयोगियों के साथ एक सैन्य प्रतिष्ठान में रखा गया है।
इसके पूर्व सुरक्षाबलों ने मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड के अन्य अग्रणी नेताओं पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था ।
मिस्र की पुलिस ने कहा कि उसे मुर्सी की मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी के 300 नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार करने का आदेश मिला है ।
मिस्र सेना के कमांडर जनरल अब्देल फतह सिसी ने सरकारी टेलीविजन पर संविधान को निलंबित करने और सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के प्रमुख अदली मंसूर को अंतरिम राष्ट्र प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की।
सिसी ने राष्ट्रपति पद और संसदीय चुनाव कराने, संविधान की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने तथा एक राष्ट्रीय मेलमिलाप समिति बनाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि रोडमैप पर कई राजनीतिक समूहों की सहमति है।
मिस्र के सशस्त्र बलों के प्रमुख ने बुधवार को मुर्सी को राष्ट्रपति बनने के केवल एक साल बाद ही अपदस्थ कर दिया था। वह हुस्नी मुबारक के करीब तीन दशक के शासन के बाद 2012 में लोकतांत्रिक रूप से देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। यह कदम तब उठाया गया जब इस्लामी नेता मुर्सी ने राजनीतिक संकट के समाधान के लिए सेना द्वारा तय की गई 48 घंटे की समयसीमा खत्म होने के बाद पद छोड़ने से इनकार कर दिया। मिस्र के लाखों लोग मुर्सी के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे।
मुर्सी विरोधी प्रदर्शनों के केंद्र तहरीर चौक पर उस समय हर्षोन्माद छा गया, जब सेना ने राष्ट्रपति को अपदस्थ करने की घोषणा की।
हालांकि, मुर्सी के फेसबुक पेज पर एक बयान में सेना के इस कदम की निन्दा की गई और इसे ‘‘सैन्य तख्तापलट’’ करार दिया गया ।
बयान में कहा गया, सशस्त्र बलों के जनरल द्वारा घोषित प्रक्रिया, तख्तापलट की घटना है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। सेना की घोषणा के बावजूद मुर्सी के बयान में जोर देकर कहा गया कि वह राष्ट्र प्रमुख और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं।
मुर्सी के बयान में मिस्र के नागरिकों (सेना और नागरिकों) से संविधान एवं कानून का पालन करने तथा तख्तापलट का समर्थन नहीं करने का आह्वान किया गया है।
मुस्लिम ब्रदरहुड की आधिकारिक वेबसाइट..इख्वान ऑनलाइन..पर कहा गया कि सेना की घोषणा ‘‘वैधता के खिलाफ एक साजिश और सैन्य तख्तापलट है, जिससे मिस्र में फिर से तानाशाही आएगी। इस बीच, मुर्सी के इस्लामी समर्थक काहिरा में एकत्र हुए और सेना की घोषणा को लेकर गुस्से से भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कुछ लोगों ने पथराव किया। स्त्री-पुरुष रोते और नारे लगाते नजर आए।
सेना प्रमुख सिसी की आलोचना करते हुए कुछ लोग चिल्ला रहे थे, ‘सी अमान्य है, इस्लाम आ रहा है, हम नहीं छोड़ेंगे।
मीडिया में आज आई खबरों में मुस्लिम ब्रदरहुड के दो वरिष्ठ सदस्यों के हवाले से कहा गया है कि 61 वर्षीय मुर्सी को उनके शीर्ष सहयोगियों के साथ एक सैन्य प्रतिष्ठान में रखा गया है।
इसके पूर्व सुरक्षाबलों ने मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड के अन्य अग्रणी नेताओं पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था ।
मिस्र की पुलिस ने कहा कि उसे मुर्सी की मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी के 300 नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार करने का आदेश मिला है ।
मिस्र सेना के कमांडर जनरल अब्देल फतह सिसी ने सरकारी टेलीविजन पर संविधान को निलंबित करने और सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के प्रमुख अदली मंसूर को अंतरिम राष्ट्र प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की।
सिसी ने राष्ट्रपति पद और संसदीय चुनाव कराने, संविधान की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने तथा एक राष्ट्रीय मेलमिलाप समिति बनाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि रोडमैप पर कई राजनीतिक समूहों की सहमति है।
मिस्र के सशस्त्र बलों के प्रमुख ने बुधवार को मुर्सी को राष्ट्रपति बनने के केवल एक साल बाद ही अपदस्थ कर दिया था। वह हुस्नी मुबारक के करीब तीन दशक के शासन के बाद 2012 में लोकतांत्रिक रूप से देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। यह कदम तब उठाया गया जब इस्लामी नेता मुर्सी ने राजनीतिक संकट के समाधान के लिए सेना द्वारा तय की गई 48 घंटे की समयसीमा खत्म होने के बाद पद छोड़ने से इनकार कर दिया। मिस्र के लाखों लोग मुर्सी के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे।
मुर्सी विरोधी प्रदर्शनों के केंद्र तहरीर चौक पर उस समय हर्षोन्माद छा गया, जब सेना ने राष्ट्रपति को अपदस्थ करने की घोषणा की।
हालांकि, मुर्सी के फेसबुक पेज पर एक बयान में सेना के इस कदम की निन्दा की गई और इसे ‘‘सैन्य तख्तापलट’’ करार दिया गया ।
बयान में कहा गया, सशस्त्र बलों के जनरल द्वारा घोषित प्रक्रिया, तख्तापलट की घटना है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। सेना की घोषणा के बावजूद मुर्सी के बयान में जोर देकर कहा गया कि वह राष्ट्र प्रमुख और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं।
मुर्सी के बयान में मिस्र के नागरिकों (सेना और नागरिकों) से संविधान एवं कानून का पालन करने तथा तख्तापलट का समर्थन नहीं करने का आह्वान किया गया है।
मुस्लिम ब्रदरहुड की आधिकारिक वेबसाइट..इख्वान ऑनलाइन..पर कहा गया कि सेना की घोषणा ‘‘वैधता के खिलाफ एक साजिश और सैन्य तख्तापलट है, जिससे मिस्र में फिर से तानाशाही आएगी। इस बीच, मुर्सी के इस्लामी समर्थक काहिरा में एकत्र हुए और सेना की घोषणा को लेकर गुस्से से भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कुछ लोगों ने पथराव किया। स्त्री-पुरुष रोते और नारे लगाते नजर आए।
सेना प्रमुख सिसी की आलोचना करते हुए कुछ लोग चिल्ला रहे थे, ‘सी अमान्य है, इस्लाम आ रहा है, हम नहीं छोड़ेंगे।
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