
- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर तीन दिनों की यात्रा पर चीन पहुंचे और तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे.
- बीजिंग पहुंचने के बाद जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और भारत के एससीओ अध्यक्षता समर्थन की जानकारी दी.
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर चर्चा हुई और जयशंकर ने आशा जताई कि उनकी यात्रा सकारात्मक ट्रेंड बनाए रखेगी.
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को तीन दिनों की यात्रा पर चीन पहुंचे. वे तियानजिन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे. बीजिंग पहुंचने के बाद उन्होंने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलाकात की. मुलाकात के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने एक ट्वीट करते हुए कहा, “आज बीजिंग पहुंचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलकर खुशी हुई. उन्हें चीन की SCO अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन से अवगत कराया. हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर गौर किया गया और विश्वास व्यक्त किया कि मेरी यात्रा के दौरान चर्चा उस सकारात्मक ट्रेजेक्टरी (रास्ते) को बनाए रखेगी."
Pleased to meet Vice President Han Zheng soon after my arrival in Beijing today.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
Conveyed India's support for China's SCO Presidency.
Noted the improvement in our bilateral ties. And expressed confidence that discussions during my visit will maintain that positive trajectory. pic.twitter.com/F8hXRHVyOE
जयशंकर और वांग की आखिरी मुलाकात फरवरी में जोहान्सबर्ग में जी20 बैठक के मौके पर हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने आपसी विश्वास और समर्थन का आह्वान किया था.
इस बार चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी शुरुआती टिप्पणी करते हुए कहा:
- "मैं कहना चाहता हूं कि एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए मेरी यात्रा के दौरान आपसे मिलना खुशी की बात है. भारत एससीओ में चीन की सफल अध्यक्षता का समर्थन करता है."
- "महामहिम, जैसा कि आपने बताया है, पिछले अक्टूबर में कजान में प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है. मुझे विश्वास है कि इस यात्रा में मेरी चर्चाएं उस सकारात्मक ट्रेजेक्टरी को बनाए रखेंगी."
- "महामहिम, हमने अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाई है. कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली की भी भारत में व्यापक सराहना हो रही है. हमारे संबंधों का लगातार सामान्य होना दोनों देशों को फायदा पहुंचा सकता है."
- "महामहिम, जैसा कि आज हम देख रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय स्थिति बहुत जटिल है. पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और चीन के बीच विचारों और दृष्टिकोणों का खुला आदान-प्रदान बहुत महत्वपूर्ण है."
- "मैं इस यात्रा के दौरान ऐसी चर्चाओं की आशा करता हूं."
वहीं चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग ने कहा कि चीन और भारत, दोनों प्रमुख विकासशील देश और ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं. एक-दूसरे की सफलता को सक्षम बनाने वाले भागीदार बनना और "ड्रैगन-हाथी टैंगो" हासिल करना दोनों पक्षों के लिए सही विकल्प है. दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं द्वारा पहुंची महत्वपूर्ण सहमति को आगे लागू करना चाहिए, व्यावहारिक सहयोग को लगातार आगे बढ़ाना चाहिए, एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना चाहिए और चीन-भारत संबंधों के निरंतर, स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देना चाहिए.
पांच साल बाद चीन पहुंचे हैं एस. जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार शाम बीजिंग पहुंचें हैं जो पांच साल में उनकी पहली चीन यात्रा है. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश तनाव को कम करने और संबंधों में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं जो 2020 में गलवान घाटी में हुई घातक झड़पों के बाद खराब हो गए थे. जयशंकर, जो दो देशों - सिंगापुर और चीन - की यात्रा पर हैं, अपनी यात्रा के सिंगापुर चरण को पूरा करने के बाद बीजिंग पहुंचे हैं.
जयशंकर की यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की यात्रा के बाद हो रही है, जिन्होंने एससीओ बैठकों के लिए जून में चीन की यात्रा की थी. वांग यी के अगले महीने NSA अजीत डोभाल से मिलने के लिए भारत आने की भी उम्मीद है - जो दशकों पुराने सीमा विवाद को हल करने के उद्देश्य से विशेष प्रतिनिधि (एसआर) तंत्र के तहत बातचीत के एक नियोजित दौर का हिस्सा है.
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