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This Article is From Oct 21, 2021

अब Pig किडनी इंसानों में करेगी काम! पहली बार हुआ सफल प्रयोग, कहा जा रहा चमत्कार

सूअर का अंग रोगी की किडनी के मॉलिक्‍यूल क्रिएटिनिन के स्तर को कम करने में सक्षम था, यह किडनी के स्वास्थ्य का एक प्रमुख संकेतक है, जो प्रत्यारोपण से पहले रोगी में बेहद ऊंचा हो गया था.

अब Pig किडनी इंसानों में करेगी काम! पहली बार हुआ सफल प्रयोग, कहा जा रहा चमत्कार
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के सर्जन हाइनेक मर्जेंटल ने कहा कि यह जेनोट्रांसप्लांटेशन क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि है. ( प्रतीकात्‍मक)
वाशिंगटन:

अमेरिकी (America) की एक मेडिकल टीम ने अस्थायी रूप से एक व्यक्ति को सूअर की किडनी (Pig's Kidney) लगाने में सफलता हासिल की है. इस प्रक्रिया का नेतृत्‍व करने वाले सर्जन ने इसे संभावित चमत्‍कार बताया है. 25 सितंबर को की गई सर्जरी में आनुवंशिक रूप से संशोधित दाता जानवर और एक ब्रेन डेड रोगी शामिल था, जिसके परिवार ने विज्ञान की बेहतरी के लिए दो दिवसीय प्रयोग की अनुमति दी थी. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन में ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक रॉबर्ट मोंटगोमरी ने एक साक्षात्कार में एएफपी को बताया, "इसने वही किया जो इसे करना चाहिए था, जो अपशिष्ट को हटाकर मूत्र बनाता है."

इस गंभीर स्थिति में सूअर का अंग रोगी की किडनी के मॉलिक्‍यूल क्रिएटिन के स्तर को कम करने में सक्षम था, यह किडनी के स्वास्थ्य का प्रमुख संकेतक है, जो प्रत्यारोपण से पहले रोगी में बेहद ऊंचा हो गया था. मोंटगोमरी ने लगभग दो घंटे के दौरान अपने कई सहयोगियों के साथ सर्जरी को अंजाम दिया. 

मोंटगोमरी ने बताया कि रोगी अपने अंग दान करना चाहता था, लेकिन उनके परिवार को शुरू में निराशा हुई, जब उन्हें बताया गया कि उनके प्रियजन के अंग दान के लिए सही नहीं है. उन्‍होंने कहा, "हमने राहत महसूस की, यह दान का एक और अवसर था." मरीज को वेंटिलेटर से हटा दिया गया और 54 घंटे के परीक्षण के बाद उसकी मौत हो गई. 

जिस सूअर से किडनी ली गई वो एक ऐसे समूह से संबंधित था, जिसे शुगर पैदा करने वाले जीन को बाहर निकालने के लिए आनुवंशिक बदलाव की  प्रक्रिया से गुजारा गया था, जो एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देता था. 

मोंटगोमरी ने कहा, "यह अभी भी एक सवाल है कि अब से तीन सप्ताह, तीन महीने, तीन साल में क्या होगा." मोंटगोमरी अगले महीने एक वैज्ञानिक पत्रिका को निष्कर्ष प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल लगभग एक या दो साल में हो सकता है. इस खबर का अन्‍य कई विशेषज्ञों ने सावधानी से स्वागत किया है. उन्‍होंने कहा कि वे ठोस निष्कर्ष निकालने से पहले पीयर-रिव्यू के डाटा को देखना चाहेंगे. 

ब्रिटेन में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के एक सर्जन हाइनेक मर्जेंटल ने एक बयान में कहा, "यह समाचार जेनोट्रांसप्लांटेशन क्षेत्र में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है." उन्‍होंने  कहा कि यदि पुष्टि होती है, तो यह ऑर्गन ट्रांसप्‍लांट के क्षेत्र में बड़ा कदम होगा, जो किसी व्‍यक्ति को दिए जाने वाले अंगों की गंभीर कमी को हल कर सकता है. 

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