प्रतीकात्मक तस्वीर...
कराची:
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के तहत बनने वाले सामरिक महत्व के ग्वादर बंदरगाह और व्यापारिक मार्गों की हिफाजत के लिए पाकिस्तान अपनी नौसेना और नौसैन्य पोत तैनात करेगा. पाकिस्तान की इस योजना से भारत को चिंता हो सकती है.
नौसेना के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. यह परियोजना 46 अरब डॉलर की है. चीन और पाकिस्तान अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह को शिंजियांग से जोड़ने के लिए करीब 3,000 किलोमीटर लंबा आर्थिक गलियारा बना रहे हैं. यह कदम चीन में तेल परिवहन के लिए एक नया और सस्ता मालवाहक मार्ग खोलेगा. साथ ही इस रास्ते से चीनी वस्तुओं का मध्य पूर्व और अफ्रीका में निर्यात होगा.
पाकिस्तानी नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि ग्वादर बंदरगाह को क्रियान्वित किए जाने और सीपीईसी के तहत आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बाद समुद्री बलों की भूमिका बढ़ गई है.
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अनाम अधिकारी के हवाले से बताया कि चीन सीपीईसी के तहत बंदरगाह और व्यापार की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान नौसेना के सहयोग से नौसेना के जहाज तैनात करेगा. इससे पहले चीन इस कहने से बचता रहा है कि उसकी ग्वादर में नौसैन्य पोत तैनात करने की योजना है. यह कदम अमेरिका और भारत में चिंता पैदा कर सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सीपीईसी और ग्वादर बंदरगाह चीन और पाक की सैन्य क्षमताएं बढ़ाएगा तथा अरब सागर में चीनी नौसेना की आसान पहुंच को संभव बनाएगा. ग्वादर में नौसैनिक अड्डा होने से चीनी जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में अपने बेड़े की मरम्मत और रखरखाव जैसे कार्य के लिए भी बंदरगाह का इस्तेमाल कर पाएंगे. ऐसी कोई भी सुविधा चीन की नौसेना के भविष्य के मिशनों के लिए उसे सहयोग प्रदान करने वाली पहली ओवरसीज सुविधा होगी. पाकिस्तानी रक्षा अधिकारी चाहते हैं कि चीनी नौसेना हिंद महासागर और अरब सागर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराए.
पाक अधिकारी ने यह भी बताया कि नौसेना चीन और तुर्की से तेज गति वाले जहाज खरीदने पर भी विचार कर रही है ताकि सुरक्षा लिहाज से ग्वादर बंदरगाह पर अपनी एक विशेष टुकड़ी तैनात कर सके.
उन्होंने कराची एक्सपो सेंटर में 'आइडियाज 2016' में कहा कि एक टुकड़ी में चार से छह जंगी जहाज होंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नौसेना के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. यह परियोजना 46 अरब डॉलर की है. चीन और पाकिस्तान अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह को शिंजियांग से जोड़ने के लिए करीब 3,000 किलोमीटर लंबा आर्थिक गलियारा बना रहे हैं. यह कदम चीन में तेल परिवहन के लिए एक नया और सस्ता मालवाहक मार्ग खोलेगा. साथ ही इस रास्ते से चीनी वस्तुओं का मध्य पूर्व और अफ्रीका में निर्यात होगा.
पाकिस्तानी नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि ग्वादर बंदरगाह को क्रियान्वित किए जाने और सीपीईसी के तहत आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बाद समुद्री बलों की भूमिका बढ़ गई है.
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अनाम अधिकारी के हवाले से बताया कि चीन सीपीईसी के तहत बंदरगाह और व्यापार की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान नौसेना के सहयोग से नौसेना के जहाज तैनात करेगा. इससे पहले चीन इस कहने से बचता रहा है कि उसकी ग्वादर में नौसैन्य पोत तैनात करने की योजना है. यह कदम अमेरिका और भारत में चिंता पैदा कर सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सीपीईसी और ग्वादर बंदरगाह चीन और पाक की सैन्य क्षमताएं बढ़ाएगा तथा अरब सागर में चीनी नौसेना की आसान पहुंच को संभव बनाएगा. ग्वादर में नौसैनिक अड्डा होने से चीनी जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में अपने बेड़े की मरम्मत और रखरखाव जैसे कार्य के लिए भी बंदरगाह का इस्तेमाल कर पाएंगे. ऐसी कोई भी सुविधा चीन की नौसेना के भविष्य के मिशनों के लिए उसे सहयोग प्रदान करने वाली पहली ओवरसीज सुविधा होगी. पाकिस्तानी रक्षा अधिकारी चाहते हैं कि चीनी नौसेना हिंद महासागर और अरब सागर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराए.
पाक अधिकारी ने यह भी बताया कि नौसेना चीन और तुर्की से तेज गति वाले जहाज खरीदने पर भी विचार कर रही है ताकि सुरक्षा लिहाज से ग्वादर बंदरगाह पर अपनी एक विशेष टुकड़ी तैनात कर सके.
उन्होंने कराची एक्सपो सेंटर में 'आइडियाज 2016' में कहा कि एक टुकड़ी में चार से छह जंगी जहाज होंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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