(फाइल फोटो)
वुहान (चीन):
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच यहां शुक्रवार से शुरू हो रही दो दिवसीय अनौपचारिक बैठक द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मुकाम हो सकता है और मतभेदों को कम करने में मदद कर सकता है. चीन के सरकारी अखबार में लिखे एक आलेख में गुरुवार को यह दावा किया गया है. ‘चाइना डेली’ में एक आलेख में कहा गया है कि शी और मोदी के रणनीतिक, दीर्घकालीन और अन्य अहम मुद्दों पर वुहान में अनौपचारिक बैठक में विचारों का आदान - प्रदान करने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि बैठक चीन - भारत संबंधों में एक नया मुकाम होगा, जो द्विपक्षीय संबंधों में नया जोश भरेगा और सहयोग का एक नया दौर शुरू करेगा.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी व्यापारिक कदमों के मद्देनजर दो सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं - चीन और भारत - को न सिर्फ अपने विकास के पथ पर बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, बल्कि अपने साझा लक्ष्य, एशिया का महत्व एक बार फिर से बढ़ाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. डोकलाम संकट सहित कई मुद्दों पर पिछले साल हुए तनाव का जिक्र करते हुए इसने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग तनावों के बावजूद बनाए रखा गया. इसने कहा है कि पिछली गर्मियों में सीमा पर गतिरोध एक संक्षिप्त मामला था. हालांकि, इसने दोनों देशों को संकट प्रबंधन की अहमियत को पहचानने में मदद की. वुहान बैठक में मतभेदों को घटाने और दोनों देशों के बीच आमराय बनाए जाने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि दोनों नेता मौजूदा विश्व व्यवस्था पर अपनी वार्ताओं में ध्यान केंद्रित करेंगे.
VIDEO : डोकलाम विवाद के बाद पहली बार मिलेंगी पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग
दोनों देशों का तीव्र विकास दुनिया की स्थिरता के लिए फायदेमंद है और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के बीच सही संतुलन लाने वाला होगा. शी और मोदी के अपने शासकीय अनुभवों को भी साझा करने की उम्मीद है. उनके द्वारा बड़ी अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का हल करने पर भी चर्चा करने की संभावना है. इसमें कहा गया है कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं वित्तीय प्रणाली बेहतर करने का साझा हित रखते हैं. आलेख में कहा गया है कि बेशक शी और मोदी एक दूसरे की चिंताओं का हल करेंगे. साथ ही, बेहतर संबंध की जरूरत को नजरअंदाज कर उनके भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा में पड़ने की संभावना भी नहीं है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी व्यापारिक कदमों के मद्देनजर दो सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं - चीन और भारत - को न सिर्फ अपने विकास के पथ पर बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, बल्कि अपने साझा लक्ष्य, एशिया का महत्व एक बार फिर से बढ़ाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. डोकलाम संकट सहित कई मुद्दों पर पिछले साल हुए तनाव का जिक्र करते हुए इसने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग तनावों के बावजूद बनाए रखा गया. इसने कहा है कि पिछली गर्मियों में सीमा पर गतिरोध एक संक्षिप्त मामला था. हालांकि, इसने दोनों देशों को संकट प्रबंधन की अहमियत को पहचानने में मदद की. वुहान बैठक में मतभेदों को घटाने और दोनों देशों के बीच आमराय बनाए जाने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि दोनों नेता मौजूदा विश्व व्यवस्था पर अपनी वार्ताओं में ध्यान केंद्रित करेंगे.
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