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This Article is From Feb 21, 2015

चीन ने मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर विरोध जताया

चीन ने मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर विरोध जताया
बीजिंग:

चीन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा को लेकर भारत के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिहाज से यह कारगर नहीं है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बयान में कहा, ‘‘भारतीय पक्ष की गतिविधि दोनों पक्षों के बीच विवादों को सही से सुलझाने और नियंत्रित करने के लिहाज से कारगर नहीं है और द्विपक्षीय रिश्तों की प्रगति के सामान्य हालात के अनुरूप नहीं है।’’ हुआ ने कहा कि चीन ने ‘‘चीन-भारत सीमा पर विवादित क्षेत्र’’ की प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा पर भारत के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

मोदी ने शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान कहा कि केंद्र सरकार कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिहाज से क्षेत्र को जैविक खेती का गढ़ बनाने की योजना बना रही है और लंबे समय से अनदेखी का शिकार पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2जी, 3जी और 4जी कनेक्टिविटी को सुधारना चाहती है।

चीन की सरकारी शिन्हुआ संवाद समिति ने हुआ के बयान के हवाले से जारी खबर में कहा, ‘‘मोदी ने शुक्रवार को चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से में एक विवादित क्षेत्र की यात्रा की और तथाकथित अरुणाचल प्रदेश की स्थापना से जुड़े आयोजनों में शामिल हुए। इस राज्य की भारतीय अधिकारियों ने 1987 में गैर-कानूनी और एकपक्षीय तरीके से घोषणा की थी।’’

हुआ ने कहा, ‘‘चीन सरकार ने कभी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी।’’ उन्होंने कहा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से में विवादित क्षेत्र पर चीन का रुख एक समान और स्पष्ट है। यह तथ्य सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त है कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से पर बड़ा विवाद है।

शिन्हुआ की खबर में दावा किया गया है, ‘‘तथाकथित अरुणाचल प्रदेश की स्थापना व्यापक रूप से चीन के तिब्बत के तीन क्षेत्रों-मोन्युल, लोयुल और लोअर सायुल में हुई थी जो फिलहाल भारत के अवैध कब्जे में हैं। ये तीनों क्षेत्र हमेशा चीनी क्षेत्र रहे हैं जो अवैध ‘मैकमोहन रेखा’ तथा चीन व भारत के बीच परंपरागत सीमा के बीच में स्थित हैं।’’ इसमें दावा किया गया है, ‘‘उपनिवेशवादियों ने 1914 में चीन के उक्त उल्लेखित तीनों क्षेत्रों को भारत में शामिल दिखाने के प्रयास में गुप्त तरीके से अवैध ‘मैकमोहन रेखा’ बनाई। चीन की किसी सरकार ने कभी इस रेखा को स्वीकार नहीं किया।’’

चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का भाग बताता है।

हुआ ने कहा, ‘‘हम भारतीय पक्ष से मांग करते हैं कि चीनी पक्ष की इस पुरजोर चिंता पर ध्यान दे।’’ उन्होंने कहा कि भारत को चीन के साथ समान मकसद से आगे बढ़ना चाहिए और वार्ता के जरिये सीमा विवाद के निष्पक्ष और तर्कसंगत समाधान पर जोर देना चाहिए।

हुआ ने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि भारतीय पक्ष ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करे जो समाधान से पहले सीमा मुद्दे को और उलझा दे।’’ चीन हमेशा अरणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं की यात्रा पर विरोध दर्ज कराता रहा है। चीन ने तब भी आपत्ति जताई थी जब अक्तूबर 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अरुणाचल प्रदेश गये थे।

चीन की आज की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की 18वें दौर की सीमा वार्ता अगले महीने किसी समय हो सकती है और मोदी की मई में चीन यात्रा की संभावना है।

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