भारत-चीन सीमा पर पूर्वी चीन सागर की तरह वायु रक्षा क्षेत्र बनाए जाने की बात को खारिज करते हुए बीजिंग ने कहा है कि ऐसे क्षेत्र चीनी भू-क्षेत्र के वायु क्षेत्र से आगे सिर्फ तटीय इलाकों में बनाए गए हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता छिन गांग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि एयर डिफेंस आईडेंटीफीकेशन जोन (एडीआईजेड) एक ऐसा क्षेत्र है जिसे भूक्षेत्र के वायु क्षेत्र से आगे तटीय क्षेत्र में बनाया गया है।'
उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। दरअसल, उनसे पूछा गया था कि क्या चीन की योजना पूर्वी चीन सागर में विवादित द्वीपों के उपर नव घोषित वायु रक्षा क्षेत्र के समान भारत-चीन की विवादित सीमा पर भी एडीआईजी की घोषणा करने की है।
अधिकारियों ने बताया कि तटीय क्षेत्र के लिए वायु रक्षा क्षेत्र 12 समुद्री मील के जल क्षेत्र से आगे बनाए गए हैं लेकिन यह भू-सीमाओं पर नहीं बनाए गए हैं जिनका स्पष्ट वायु क्षेत्र है।
रक्षा प्रवक्ता ने यहां बताया कि चीन ने संभवत: विवादित दक्षिण चीन सागर के ऊपर ऐसे क्षेत्र घोषित करने का विकल्प खुला रखा है।
उन्होंने कहा, 'चीन तैयारियां पूरी करने के बाद उपयुक्त समय पर एक और डिफेंस आईडेंटीफीकेशन जोन बनाएगा।' चीन सैन्य अभ्यास के लिए अपने प्रथम विमान लिओनींग को पहले ही भेज चुका है।
दक्षिण चीन सागर के अधिकांश भाग पर चीन के संप्रभुता के दावे का फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया और ब्रूनेई ने विरोध किया है।
अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया ने भी पूर्वी चीन सागर के ऊपर एडीआईजेड की खुलकर आलोचना की है। चीन ने स्वीकार किया है कि यूएस बी 52 बम्बर विमान एडीआईजेड के नियमों का उल्लंघन करते हुए मंगलवार को इससे होकर गुजरा।
चीन ने स्वीकार किया कि एक दक्षिण कोरियाई विमान ने भी उड़ान के बारे में सूचना नहीं देकर एडीआईजेड के नियमों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने बताया कि कई विभिन्न देशों के यात्री एयरलाइंसों ने चीनी उड्डयन अधिकारियों को अपने विमानों की उड़ान के बारे में सूचना देना शुरू कर दिया है।
एडीआईजेड के नियम के मुताबिक इससे होकर गुजरने वाले विमान को अपनी योजना चीन को सौंपनी होगी। यह पूछे जाने पर कि सूचना नहीं दिए जाने पर क्या यात्री विमानों को मार गिराया जाएगा, उन्होंने कहा मैं एडीआईजेड में सामान्य अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन के खिलाफ नहीं हूं।
एडीआईजेड का यूएस बी 52 बम्बर विमान द्वारा उल्लंघन किए जाने की बात स्वीकार करने में चीनी रक्षा मंत्रालय द्वारा बरती गई सुस्ती की सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने आज आलोचना की।
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