ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) में बने रहने या इसकी सदस्यता से बाहर निकलने को लेकर कराए गए जनमत संग्रह में करीब 52 फीसदी मतदान 'ब्रेक्सिट' के पक्ष में हुआ है, जबकि 48 प्रतिशत वोट 'ब्रिमेन' के लिए पड़े हैं। 'बीबीसी' की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन ने इस जनमत संग्रह के जरिये 43 वर्षों बाद ईयू की सदस्यता से हटने के पक्ष में वोट किया है। 'रीमेन' अभियान के पक्ष में 15,692,092 वोट पड़े, जबकि 'लीव' के पक्ष में इससे 6,835,512 अधिक वोट पड़े।
डेविड कैमरन का बयान
प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि 'ब्रेक्जिट' का सम्मान किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अब जनता को एक नए नेतृत्व की जरूरत है और वह अक्टूबर से पहले अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि अपने देश से प्यार करते हैं और इसकी सेवा करते हुए उन्हें गर्व महूसस हुआ।
कैमरन ने कहा कि वह दुनियाभर के लोगों को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मूलत: मजबूत है। जहां तक यूके में बसे यूरोपियन यूनियन के नागरिकों का सवाल है तो प्रधानमंत्री ने उन्हें साफ किया है कि उनकी स्थिति में फौरी तौर पर किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। कैमरन ने कहा कि वह इस जहाज़ को स्थिर बनाए रखने की कोशिश करेंगे लेकिन अक्टूबर में इस देश को नया प्रधानमंत्री मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि अब उनका वह 'कप्तान' बने रहना सही नहीं होगा जो देश को उसकी अगली मंज़िल तक पहुंचाए।
गौरतलब है कि यूरोपीय संघ में बने रहने और इससे बाहर निकलने के समर्थन में चले दोनों तरह के अभियानों ने बड़ी संख्या में लोगों को लुभाया और करीब 4.6 करोड़ लोग इस प्रकिया में शामिल हुए, जिनमें 12 लाख भारतीय मूल के ब्रिटेन के नागरिक हैं।
भारत पर क्या हो सकता है असर
- अगर ब्रिटेन EU से बाहर हुआ तो पाउंड में गिरावट संभव
- पाउंड के गिरने से डॉलर की बढ़ेगी मांग
- डॉलर का मूल्य बढ़ने से आयात होगा महंगा
- कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीज़ल का दाम बढ़ेगा
- EU ब्रिटेन पर अपने क़ानून थोपता रहा है
- ब्रिटेन में 50% से ज्यादा कानून EU के
- ब्रिटेन पर सालाना 33 अरब पाउंड का बोझ
- मुक्त व्यापार संधियां करना अभी मुश्किल
- EU के साथ व्यापार समझौते कारगर नहीं
- EU के मुकाबले ब्रिटेन का बाकी दुनिया को दोगुना निर्यात
- EU में रहने से प्रवासियों की तादाद बढ़ी
- प्रवासियों ने ब्रिटिश लोगों के रोज़गार के मौके छीने
- बाहर निकलने से ब्रिटेन का पैसा बचेगा
- EU में लगाए पैसे का सिर्फ आधा ही वापस
- 28 यूरोपीय देशों का संघ
- 1993 में वजूद में आया
- पहले 15 देश शामिल थे
- यूनियन की अपनी मुद्रा यूरो
- 19 देशों की साझा मुद्रा यूरो
- 50 करोड़ से ज़्यादा की आबादी
- एक वीज़ा पर पूरे ईयू में प्रवेश
- साझा कारोबार का फ़ायदा
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं