अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज कहा कि 2014 के बाद अमेरिका अफगानिस्तान में एक छोटा बल रखेगा, लेकिन अभी तक की अमेरिका की सबसे लंबी जंग समाप्त हो जाएगी।
अमेरिकी संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के समक्ष अपने वाषिर्क संबोधन में ओबामा ने कहा कि जंग से जर्जर अफगानिस्तान में अमेरिका की छोटी-सी सेना बनी रहेगी। बहरहाल, उन्होंने यह नहीं बताया कि 2014 के बाद अफगानिस्तान में बने रहने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या कितनी होगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, अगर अफगानिस्तान कोई (द्विपक्षीय) सुरक्षा संधि करती है जिस पर हमने वार्ता की है तो दो अभियान संचालित करने के लिए अपने नाटो सहयोगियों के साथ अमेरिकियों की एक छोटी फौज रहेगी। अफगान बलों का प्रशिक्षण एवं सहायता, और अलकायदा के बचे तत्वों के खिलाफ आतंकवाद निरोधी अभियान। ओबामा ने कहा, जहां अफगानिस्तान के साथ हमारे रिश्ते बदल जाएंगे, एक चीज नहीं बदलेगी, हमारा यह संकल्प कि आतंकवादी हमारे देश के खिलाफ हमले नहीं करें।
ओबामा ने कहा कि 60 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक पहले ही अफगानिस्तान से स्वदेश लौट आए हैं। उन्होंने कहा, जहां अफगानिस्तान बल अपनी सुरक्षा के लिए नेतृत्व में हैं, हमारी सेना समर्थन की भूमिका में चली गई है। अपने सहयोगियों के साथ मिल कर हम इस साल के अंत में अपना मिशन पूरा करेंगे, और अमेरिका की सबसे लंबी जंग आखिरकार खत्म होगी। उन्होंने आतंकवाद विरोधी जंग का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका अब भी आतंकवाद से सुरक्षित नहीं है।
ओबामा ने कहा, तथ्य यह है कि खतरा बना है। जहां हमने अल कायदा के शीर्ष नेतृत्व को हार की राह पर डाल दिया, खतरे ने नया रूप लिया है क्योंकि अल-कायदा संबद्ध संगठनों और दूसरे आतंकवादियों ने दुनिया के दूसरे हिस्सों में जड़ जमाई है।
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