बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने रविवार को कहा कि वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य 'भगोड़ों' को भारत से वापस लाने के लिए इंटरपोल से मदद मांगेगी ताकि उन सभी पर मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सके. हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर सरकार विरोधी छात्र आंदोलन को क्रूर तरीके से दबाने का आदेश देने का आरोप है. जुलाई से अगस्त महीने में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी.
बड़े पैमाने पर विद्रोह में बदल गया था आंदोलन
बाद में यह आंदोलन बड़े पैमाने पर विद्रोह में तब्दील हो गया, जिस कारण हसीना को पांच अगस्त को गुप्त रूप से भारत भागना पड़ा. मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के अनुसार, विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हुए. इस घटना को यूनुस ने मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार बताया.
बांग्लादेश ने हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी जारी की
अक्टूबर के मध्य तक हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार की 60 से ज्यादा शिकायतें दर्ज कराई गईं.
15 साल तक शासन करने वाली हसीना पर व्यापक मानवाधिकार हनन के आरोप लगे, जिसमें न्यायेतर हत्याएं और राजनीतिक विरोधियों की सामूहिक हिरासत शामिल है. आईसीटी उच्चतम न्यायालय परिसर में पुराने उच्च न्यायालय भवन में स्थित है.
"क्या है रेड नोटिस"
अधिकारियों ने बताया कि रेड नोटिस किसी प्रकार का अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं बल्कि 196 कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक वैश्विक अनुरोध है कि वे प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लंबित रहने तक व्यक्ति का पता लगाएं और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करें. इंटरपोल के सदस्य देश अपने राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार रेड नोटिस लागू करते हैं और तय करते हैं कि व्यक्ति को गिरफ्तार करना है कि नहीं.
2 सूटकसों के साथ भारत आई थीं शेख हसीना?
जानकारी के मुताबिक शेख हसीना बांग्लादेश से अपने साथ दो सूटकेसों में जरूरी सामान और कपड़े ही लेकर भारत पहुंची थी. इसके अलावा वह कुछ भी नहीं ला सकीं. कैसे प्रदर्शनकारी उनका कीमती सामान लूटकर ले जा रहे थे, ये तो तस्वीरों और वीडियो में सबने ही देखा था. शेख हसीना के पास उनके देश में कई बैंक अकाउंट भी हैं, जिसमें करोड़ों रुपए जमा हैं, लेकिन अब वह भी उनके लिए बेकार हो गए हैं.
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