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This Article is From Apr 30, 2022

पंडित नेहरू और लार्ड माउंटबेटन के निजी पत्रों के कुछ हिस्सों का खुलासा नहीं होगा : ब्रिटिश ट्रिब्यूनल

ब्रिटेन (Britain) के एक ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) एवं उनकी पत्नी एडविना द्वारा लिखी गईं निजी डायरी तथा पत्र के कुछ खास अंश गोपनीय बने रहेंगे.

पंडित नेहरू और लार्ड माउंटबेटन के निजी पत्रों के कुछ हिस्सों का खुलासा नहीं होगा : ब्रिटिश ट्रिब्यूनल
ब्रिटेन के मंत्रिमंडल ने कहा था कि इन दस्तावेजों से जुड़ी अधिकांश जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है.
लंदन:

ब्रिटेन (Britain) के एक ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) एवं उनकी पत्नी एडविना द्वारा लिखी गईं निजी डायरी तथा पत्र के कुछ खास अंश गोपनीय बने रहेंगे. न्यायाधिकरण के समक्ष दायर अपील का केंद्र बिंदु यह था कि क्या इन निजी डायरी और पत्रों को पूर्ण रूप से सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया जा सकता है या नहीं? ब्रिटेन की 'फर्स्ट-टियर ट्रिब्यूनल' (सूचना अधिकार) की न्यायाधीश सोफी बकले को इन निजी डायरी के कुछ गोपनीय हिस्से और 1930 के दशक के दौरान के पत्रों के बारे में फैसला करना था.

न्यायाधीश सोफी ने हाल में निष्कर्ष निकाला था कि साउथहैंप्टन विश्वविद्यालय के व्यापक संग्रह में ''स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भेजे गये लेडी माउंटबेटन के पत्र (33 फाइल्स, 1948-60), साथ ही उनके (नेहरू) द्वारा उन्हें (लेडी माउंटबेटन) भेजे गए पत्रों की प्रति'' शीर्षक संबंधी कोई पत्राचार ''उपलब्ध'' नहीं है. अपनी पुस्तक 'द माउंटबेटन : द लाइव्स एंड लव्स ऑफ डिकी एंड एडविना माउंटबेटन' के लिए दस्तावेज जारी करने को लेकर चार वर्ष लंबी लड़ाई लड़ने वाले इतिहासकार एंड्रयू लॉनी ने कहा, '' माउंटबेटन संग्रह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है हालांकि सरकार के स्तर पर महत्वपूर्ण मुद्दे भी थे जो सरकार की शक्ति के दुरुपयोग और हमारे इतिहास को छुपाने से कम नहीं है.''

इस मामले में अपनी बचत का 2,50,000 पाउंड खर्च करने वाले एंड्रयू ने कहा कि अब इन डायरी और पत्रों के 30,000 से अधिक पन्ने जारी किए जा चुके हैं और इससे अधिक के सामने आने की संभावना नहीं है क्योंकि लगभग इतनी जानकारी अन्य पुस्तकों और डायरी में उपलब्ध है. उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के मंत्रिमंडल ने कहा था कि इन दस्तावेजों से जुड़ी अधिकांश जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है और भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में ''रोकी गई जानकारी अन्य राष्ट्रों के साथ ब्रिटेन के संबंधों को प्रभावित करेंगे.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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