इस्लामाबाद:
पाकिस्तान की एक अदालत ने गुरुवार को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मखदूम शाहबुद्दीन के खिलाफ बतौर स्वास्थ्य मंत्री उनके कार्यकाल में प्रतिबंधित ड्रग एफेड्राइन के बड़ी मात्रा के आयात में कथित अनियमितता के मामले में गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
एंटी नारकोटिक्स फोर्स के अनुरोध पर रावलपिंडी में विशेष एएनएफ अदालत के न्यायाधीश शफकतुल्लाह खान ने शाहबुद्दीन तथा पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बेटे अली मूसा गिलानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए। न्यायाधीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उन्हें एक सप्ताह के भीतर गिरफ्तार कर उनकी अदालत में पेश किया जाए।
एएनएफ के अधिकारियों ने सुनवाई के दौरान एक रिपोर्ट जमा की, जिसमें कहा गया है कि उनके पास शाहबुद्दीन तथा अली मूसा गिलानी के इस घोटाले में शामिल रहने के पुख्ता सबूत हैं। गिरफ्तारी वारंट उस समय जारी किए गए, जब शाहबुद्दीन नेशनल असेंबली द्वारा नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए अपने नामांकन पत्र दाखिल कर रहे थे।
शाहबुद्दीन ने संसद से निकलते हुए खुद को मिले समर्थन के लिए सत्तारूढ़ पीपीपी और इसके नेताओं तथा कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया, लेकिन गिरफ्तारी वारंट के बारे में पूछे गए मीडिया के सवालों को टाल गए। जब एक संवाददाता ने शाहबुद्दीन से पूछा कि क्या वह गिरफ्तारी वारंट को मंजूर करेंगे, तो उन्होंने अपने जवाब में केवल उर्दू की यह पंक्ति पढ़ी, "ये तो चलती है तुझे ऊंचा उड़ाने के लिए।"
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट एफेड्राइन के अत्यधिक तादाद में आयात के आरोपों की पड़ताल कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कथित तौर पर अली मूसा गिलानी के प्रभाव में दो फार्मास्युटिकल कंपनियों को ये ड्रग दिए थे। हनीमून मनाने दक्षिण अफ्रीका गया अली मूसा एएनएफ द्वारा मामले में आरोपी के तौर पर नाम आने के बाद हाल ही में अपनी यात्रा बीच में छोड़ कर पाकिस्तान लौट आया। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि वह आरोपी तौकीर अली खान को नहीं जानता, जिसने खुद को एएनएफ अधिकारियों के सामने उसके निजी सचिव के तौर पर पेश किया था।
मूसा ने इन इल्जामों को भी खारिज कर दिया कि उसने दो फार्मा कंपनियों को 9,000 किलोग्राम का एफेड्राइन का कोटा आवंटित करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसरों पर दबाव बनाया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को प्रधानमंत्री के पद से अयोग्य करार दिए गए गिलानी ने कहा कि उनके बेटे को बेबुनियाद मामले में फंसाया गया है। गिलानी ने एएनएफ में काम कर रहे सैन्य अधिकारियों पर भी मामले में जांच के दौरान अपने अधिकारों से आगे बढ़कर काम करने का आरोप लगाया।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी ने 7 जून को एएनएफ अधिकारियों से सवाल किया था कि उन्होंने एफेड्राइन का कोटा जारी करते वक्त स्वास्थ्य मंत्री रहे शाहबुद्दीन को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
इससे पहले सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी ने वरिष्ठ नेता मखदूम शहाबुद्दीन को अपदस्थ प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के स्थान पर प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया। 65 वर्षीय शहाबुद्दीन गिलानी के मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य और कपड़ा समेत कई विभागों के प्रमुख रहे हैं। शहाबुद्दीन का नामांकन पत्र किसी सूरत में रद्द होने की स्थिति में वरिष्ठ पीपीपी नेता रजा परवेज अशरफ वैकल्पिक उम्मीदवार होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कई याचिकाओं पर अपना फैसला देते हुए यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य घोषित कर दिया था। याचिकाओं में गिलानी के अदालत की अवमानना मामले में दोषी सिद्ध होने के बावजूद उन्हें अयोग्य करार नहीं दिए जाने के नेशनल असेम्बली स्पीकर के फैसले को चुनौती दी थी।
प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया था कि प्रधानमंत्री का पद 26 अप्रैल से खाली है, जिस दिन एक अन्य सात सदस्यीय जजों की पीठ ने गिलानी को जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में रिश्वत के मामलों की जांच फिर से कराने से इनकार करने के मामले में अवमानना का दोषी ठहराया था।
एंटी नारकोटिक्स फोर्स के अनुरोध पर रावलपिंडी में विशेष एएनएफ अदालत के न्यायाधीश शफकतुल्लाह खान ने शाहबुद्दीन तथा पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बेटे अली मूसा गिलानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए। न्यायाधीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उन्हें एक सप्ताह के भीतर गिरफ्तार कर उनकी अदालत में पेश किया जाए।
एएनएफ के अधिकारियों ने सुनवाई के दौरान एक रिपोर्ट जमा की, जिसमें कहा गया है कि उनके पास शाहबुद्दीन तथा अली मूसा गिलानी के इस घोटाले में शामिल रहने के पुख्ता सबूत हैं। गिरफ्तारी वारंट उस समय जारी किए गए, जब शाहबुद्दीन नेशनल असेंबली द्वारा नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए अपने नामांकन पत्र दाखिल कर रहे थे।
शाहबुद्दीन ने संसद से निकलते हुए खुद को मिले समर्थन के लिए सत्तारूढ़ पीपीपी और इसके नेताओं तथा कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया, लेकिन गिरफ्तारी वारंट के बारे में पूछे गए मीडिया के सवालों को टाल गए। जब एक संवाददाता ने शाहबुद्दीन से पूछा कि क्या वह गिरफ्तारी वारंट को मंजूर करेंगे, तो उन्होंने अपने जवाब में केवल उर्दू की यह पंक्ति पढ़ी, "ये तो चलती है तुझे ऊंचा उड़ाने के लिए।"
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट एफेड्राइन के अत्यधिक तादाद में आयात के आरोपों की पड़ताल कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कथित तौर पर अली मूसा गिलानी के प्रभाव में दो फार्मास्युटिकल कंपनियों को ये ड्रग दिए थे। हनीमून मनाने दक्षिण अफ्रीका गया अली मूसा एएनएफ द्वारा मामले में आरोपी के तौर पर नाम आने के बाद हाल ही में अपनी यात्रा बीच में छोड़ कर पाकिस्तान लौट आया। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि वह आरोपी तौकीर अली खान को नहीं जानता, जिसने खुद को एएनएफ अधिकारियों के सामने उसके निजी सचिव के तौर पर पेश किया था।
मूसा ने इन इल्जामों को भी खारिज कर दिया कि उसने दो फार्मा कंपनियों को 9,000 किलोग्राम का एफेड्राइन का कोटा आवंटित करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसरों पर दबाव बनाया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को प्रधानमंत्री के पद से अयोग्य करार दिए गए गिलानी ने कहा कि उनके बेटे को बेबुनियाद मामले में फंसाया गया है। गिलानी ने एएनएफ में काम कर रहे सैन्य अधिकारियों पर भी मामले में जांच के दौरान अपने अधिकारों से आगे बढ़कर काम करने का आरोप लगाया।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी ने 7 जून को एएनएफ अधिकारियों से सवाल किया था कि उन्होंने एफेड्राइन का कोटा जारी करते वक्त स्वास्थ्य मंत्री रहे शाहबुद्दीन को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
इससे पहले सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी ने वरिष्ठ नेता मखदूम शहाबुद्दीन को अपदस्थ प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के स्थान पर प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया। 65 वर्षीय शहाबुद्दीन गिलानी के मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य और कपड़ा समेत कई विभागों के प्रमुख रहे हैं। शहाबुद्दीन का नामांकन पत्र किसी सूरत में रद्द होने की स्थिति में वरिष्ठ पीपीपी नेता रजा परवेज अशरफ वैकल्पिक उम्मीदवार होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कई याचिकाओं पर अपना फैसला देते हुए यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य घोषित कर दिया था। याचिकाओं में गिलानी के अदालत की अवमानना मामले में दोषी सिद्ध होने के बावजूद उन्हें अयोग्य करार नहीं दिए जाने के नेशनल असेम्बली स्पीकर के फैसले को चुनौती दी थी।
प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया था कि प्रधानमंत्री का पद 26 अप्रैल से खाली है, जिस दिन एक अन्य सात सदस्यीय जजों की पीठ ने गिलानी को जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में रिश्वत के मामलों की जांच फिर से कराने से इनकार करने के मामले में अवमानना का दोषी ठहराया था।
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