लाहौर:
सरदार भगत सिंह को फांसी दिए जाने के आठ दशक बाद पाकिस्तान की एक अदालत में एक याचिका दायर कर इस क्रांतिकारी के मामले को फिर से खोलने की मांग की गई है, ताकि उन्हें बेकसूर साबित किया जा सके।
‘सेव द ज्यूडीशियरी कमेटी’ के इम्तियाज राशिद कुरैशी ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।
उन्होंने कहा है कि भगत सिंह इस उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता सेनानी थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी और मार्च 1931 में लाहौर में उन्हें फांसी दी गई।
कुरैशी ने अपनी याचिका में कहा है, ‘‘सिंह को पहले आजीवन कारावास की सजा हुई थी पर बाद में उन्हें मौत की सजा दी गई। उन्हें फर्जी मामले में दोषी ठहराया गया था।’’
‘सेव द ज्यूडीशियरी कमेटी’ के इम्तियाज राशिद कुरैशी ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।
उन्होंने कहा है कि भगत सिंह इस उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता सेनानी थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी और मार्च 1931 में लाहौर में उन्हें फांसी दी गई।
कुरैशी ने अपनी याचिका में कहा है, ‘‘सिंह को पहले आजीवन कारावास की सजा हुई थी पर बाद में उन्हें मौत की सजा दी गई। उन्हें फर्जी मामले में दोषी ठहराया गया था।’’
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