
यूनिसेफ के अनुसार 16 करोड़ बच्चे सूखाग्रस्त इलाकों में रहने को मजबूर हैं
संयुक्त राष्ट्र:
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने कहा है कि दुनिया भर में करीब 69 करोड़ बच्चे जलवायु परिवर्तन के खतरे से जूझने को मजबूर हैं। यूनिसेफ के अनुसार, 50 करोड़ से अधिक बच्चे बाढ़ के अत्यधिक खतरे वाले क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि 16 करोड़ बच्चे सूखाग्रस्त इलाकों में रहने को मजबूर हैं। यूनिसेफ की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ के खतरे वाले इलाकों में रहने वाले 53 करोड़ बच्चों में से 30 करोड़ बच्चे ऐसे देशों के हैं, जिनकी आधी से अधिक आबादी अत्यंत गरीब है और औसतन 3.1 डॉलर प्रति दिन की आय पर गुजारा करती है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, "अत्यधिक सूखाग्रस्त इलाकों में रहने वाले बच्चों में से पांच करोड़ बच्चे ऐसे देशों के हैं, जिनकी आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे बसर करने को मजबूर है।" यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एंथनी लेक ने कहा, "यह विशाल संख्या हमें इस दिशा में तुरंत कुछ करने का संकेत देती है। भविष्य के ये नागरिक जलवायु परिवर्तन के लिए बिल्कुल भी उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन उन्हें और उनकी संतानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और जैसा कि अब तक होता रहा है, वंचित समुदाय को सर्वाधिक नुकसान झेलना होगा।
उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले कुछ वर्षों से धरती पर प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हुई है, अर्थात सूखा, बाढ़, लू और अन्य प्राकृतिक आपदाएं अधिक गंभीर रूप लेती जा रही हैं। बाढ़ के खतरे से जूझ रहे बच्चों की सर्वाधिक संख्या एशिया में है तथा सूखे का खतरा झेल रहे बच्चों की सर्वाधिक आबादी अफ्रीका में है।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर होने वाले 21वें सम्मेलन 'सीओपी21' में दुनियाभर के राजनीतिक प्रतिनिधि पेरिस में 30 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच इकट्ठा होंगे और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती लाने पर एक समझौता करने की मांग रखेंगे। लेक ने कहा, "हमें पता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए क्या करना होगा। लेकिन उसे कार्यान्वित करने में असफलता अनर्थकारी होगी। हमें अपने बच्चों और अपनी धरती की खातिर इसकी शपथ लेनी होगी कि हम सीओपी21 में सही निर्णय पर पहुंचें।"
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, "अत्यधिक सूखाग्रस्त इलाकों में रहने वाले बच्चों में से पांच करोड़ बच्चे ऐसे देशों के हैं, जिनकी आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे बसर करने को मजबूर है।" यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एंथनी लेक ने कहा, "यह विशाल संख्या हमें इस दिशा में तुरंत कुछ करने का संकेत देती है। भविष्य के ये नागरिक जलवायु परिवर्तन के लिए बिल्कुल भी उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन उन्हें और उनकी संतानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और जैसा कि अब तक होता रहा है, वंचित समुदाय को सर्वाधिक नुकसान झेलना होगा।
उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले कुछ वर्षों से धरती पर प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हुई है, अर्थात सूखा, बाढ़, लू और अन्य प्राकृतिक आपदाएं अधिक गंभीर रूप लेती जा रही हैं। बाढ़ के खतरे से जूझ रहे बच्चों की सर्वाधिक संख्या एशिया में है तथा सूखे का खतरा झेल रहे बच्चों की सर्वाधिक आबादी अफ्रीका में है।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर होने वाले 21वें सम्मेलन 'सीओपी21' में दुनियाभर के राजनीतिक प्रतिनिधि पेरिस में 30 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच इकट्ठा होंगे और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती लाने पर एक समझौता करने की मांग रखेंगे। लेक ने कहा, "हमें पता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए क्या करना होगा। लेकिन उसे कार्यान्वित करने में असफलता अनर्थकारी होगी। हमें अपने बच्चों और अपनी धरती की खातिर इसकी शपथ लेनी होगी कि हम सीओपी21 में सही निर्णय पर पहुंचें।"
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जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, कुपोषण, यूनिसेफ, प्राकृतिक आपदा, Climate Change, Pollution, Natural Calamities, UNICEF