तारिक खोसा (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान की जमीन पर 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की योजना बनने और वहां से उसे अंजाम देने का खुलासा करने के कुछ दिनों बाद एफआईए के पूर्व महानिदेशक तारिक खोसा ने दावा किया है कि इस हमले को 'गैर सरकारी तत्वों' ने अंजाम दिया था।
खोसा ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि उन्होंने आतंकी हमले में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों के शामिल होने के बारे में बात की थी।
एक बयान में खोसा ने भारतीय मीडिया के एक वर्ग पर 3 अगस्त के उनके लेख को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया। 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे।
खोसा ने कहा, लेख में स्पष्ट है कि आतंकी हमला गैर सरकारी तत्वों ने किया था जिनके खिलाफ फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एफआईए) ने गहन पेशेवर जांच की थी और जिन पर पाकिस्तान सरकार मुकदमा चला रही है। खोसा ने कहा कि साजिश का मामला साबित करने की जटिलताओं को उनके पेशेवर नजरिए के तौर पर दिखाया गया था।
इससे पहले उन्होंने 'डॉन' अखबार में प्रकाशित अपने लेख में कहा था कि 26/11 हमले को कराची के एक संचालन कक्ष से नियंत्रित किया गया था। हमले के कुछ ही हफ्तों के बाद शीर्ष पुलिस अधिकारी खोसा को एफआईए का महानिदेशक बनाया गया था।
खोसा ने हमले की साजिश और उसकी जांच के ग्राफिक ब्यौरे दिए थे और इस तरह भारत के उस रुख की पुष्टि की थी कि हमले के पूरे अभियान को पाकिस्तान से अंजाम दिया गया था। उन्होंने लेख में कहा था, पाकिस्तान को मुंबई में हुए हमले से निपटना होगा, जिसकी उसकी जमीन से योजना बनाई गई और अंजाम दिया गया। इसके लिए सच्चाई का सामना करना और गलतियों को मानने की जरूरत है। खोसा ने साथ ही पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र से यह सुनिश्चित करने की मांग की थी कि 'नृशंस हमले' के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाया जाए।
उन्होंने रविवार को अपने बयान में कहा, आतंकवाद रोधी अदालत में 7 गिरफ्तार आरोपियों के अभ्यारोपण के बाद 2009 में पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार के साथ उन तथ्यों को आधिकारिक रूप से साझा किया था, जिनका लेख में उल्लेख है। खोसा ने कहा, भारतीयों को खुद में झांकना चाहिए और अपनी आतंरिक सुरक्षा कमियों को ठीक करना चाहिए। इसी वजह से मैंने विवाद में घसीटने की उनके पत्रकारों की किसी भी कोशिश का जवाब नहीं देना पसंद किया।
खोसा ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि उन्होंने आतंकी हमले में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों के शामिल होने के बारे में बात की थी।
एक बयान में खोसा ने भारतीय मीडिया के एक वर्ग पर 3 अगस्त के उनके लेख को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया। 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे।
खोसा ने कहा, लेख में स्पष्ट है कि आतंकी हमला गैर सरकारी तत्वों ने किया था जिनके खिलाफ फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एफआईए) ने गहन पेशेवर जांच की थी और जिन पर पाकिस्तान सरकार मुकदमा चला रही है। खोसा ने कहा कि साजिश का मामला साबित करने की जटिलताओं को उनके पेशेवर नजरिए के तौर पर दिखाया गया था।
इससे पहले उन्होंने 'डॉन' अखबार में प्रकाशित अपने लेख में कहा था कि 26/11 हमले को कराची के एक संचालन कक्ष से नियंत्रित किया गया था। हमले के कुछ ही हफ्तों के बाद शीर्ष पुलिस अधिकारी खोसा को एफआईए का महानिदेशक बनाया गया था।
खोसा ने हमले की साजिश और उसकी जांच के ग्राफिक ब्यौरे दिए थे और इस तरह भारत के उस रुख की पुष्टि की थी कि हमले के पूरे अभियान को पाकिस्तान से अंजाम दिया गया था। उन्होंने लेख में कहा था, पाकिस्तान को मुंबई में हुए हमले से निपटना होगा, जिसकी उसकी जमीन से योजना बनाई गई और अंजाम दिया गया। इसके लिए सच्चाई का सामना करना और गलतियों को मानने की जरूरत है। खोसा ने साथ ही पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र से यह सुनिश्चित करने की मांग की थी कि 'नृशंस हमले' के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाया जाए।
उन्होंने रविवार को अपने बयान में कहा, आतंकवाद रोधी अदालत में 7 गिरफ्तार आरोपियों के अभ्यारोपण के बाद 2009 में पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार के साथ उन तथ्यों को आधिकारिक रूप से साझा किया था, जिनका लेख में उल्लेख है। खोसा ने कहा, भारतीयों को खुद में झांकना चाहिए और अपनी आतंरिक सुरक्षा कमियों को ठीक करना चाहिए। इसी वजह से मैंने विवाद में घसीटने की उनके पत्रकारों की किसी भी कोशिश का जवाब नहीं देना पसंद किया।
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