उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की कक्षा 10 की 17 लड़कियों ने आरोप लगाया है कि उनके स्कूल के प्रिंसिपल और उनके सहयोगी ने 'प्रैक्टिकल एग्जाम' के नाम पर रात में रुकने को कहा और फिर उन्हें नशीला पदार्थ देकर उनका शोषण किया. एग्जाम उसी इलाके के दूसरे स्कूल में अगले दिन होना था. पुलिस के मुताबिक, यह घटना 18 नवंबर की है. पुलिस ने कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमों का गठन किया गया है.
मुजफ्फरनगर के पुलिस प्रमुख अभिषेक यादव ने कहा, 'हमने ड्यूटी पर लापरवाही के लिए थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया है. प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपी पर धारा 328, 358, 506 और POCSO अधिनियम की संबंधित धाराएं के तहत मामला दर्ज किया गया है.'
अभिभावकों का आरोप है कि स्थानीय विधायक प्रमोद उत्तवाल की दखल के बाद ही उनकी शिकायत दर्ज की गई.
एक शिकायतकर्ता ने कहा, 'प्रिंसिपल योगेश ने 16-17 लड़कियों को प्रैक्टिकल परीक्षा के बहाने आने के लिए कहा. लड़कियों को एक कॉपी लिखने के बाद उन्हें रात में रुकने के कहा गया. उन्हें बताया गया कि अगले दिन और प्रैक्टिकल होंगे. फिर लड़कियों ने खिचड़ी बनाई, जिसके बारे में प्रिंसिपल ने कहा कि वह अधपकी है. फिर उसने खुद बनाई और लड़कियों को खिलाया. खिचड़ी खाने के बाद लड़कियां बेहोश हो गईं. और फिर उनके साथ छेड़छाड़ की गई.'
एक अन्य शिकायतकर्ता ने कहा, 'बच्चों को नशीला पदार्थ दिया गया था. कक्षा में 29 छात्र हैं, लेकिन केवल लड़कियों को बुलाया गया.'
यह पूछे जाने पर कि क्या बोर्ड ने प्रैक्टिकल एग्जाम की तारीखों का ऐलान कर दिया, लड़कियों में से एक ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्हें एक कॉपी लिखने के लिए कहा गया था.
जब उनसे पूछा गया कि यह कौन सा प्रैक्टिकल एग्जाम था, तो उन्होंने कहा, 'हिंदी प्रैक्टिकल'. एक लड़की ने बताया कि उन्हें प्रैक्टिकल एग्जाम के लिए बुलाया गया था, उसके बाद उन्होंने पहले खिंचड़ी बनाई और फिर प्रिंसिपल ने बनाई. और उसे खाने के बाद वे बेहोश हो गईं.
लड़कियों ने यह भी आरोप लगाया कि उन पर इस बारे में किसी से कुछ न बोलने का भी दबाव बनाया गया.
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