श्री श्री रविशंकर (फाइल फोटो)
- दोनों के बीच करीब करीब आधे घंटे तक हुई बातचीत
- श्री श्री हमारे प्रेम में मिलने मिलने के लिए आए थे:नृत्य गोपाल दास
- वीएचपी ने भी श्री श्री के समझौता वार्ता में शामिल होने से किया इनकार.
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लखनऊ:
अयोध्या पहुंचे श्री श्री रविशंकर की सुलह की कोशिशों को गुरुवार को झटका लगा क्योंकि वीएचपी ने सुलह से इनकार किया और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने उनसे एक घंटे तक बैठक के बाद कह दिया कि श्री श्री ने अयोध्या मसले पर कोई बात नहीं की. लेकिन श्री श्री ने कहा कि ये काम कठिन है लेकिन असंभव नहीं है, इसलिए वो कोशिश जारी रखेंगे. अयोध्या में श्री श्री रविशंकर ने गुरुवार को राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच करीब करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई.
यह भी पढ़ें : विहिप ने कहा- राम जन्मभूमि के लिए सबूत हिंदुओं के पक्ष में, फिर समझौते की क्या जरूरत?
श्री श्री रविशंकर अयोध्या के तमाम संतों महंतों से मिले, सबकी की सुनी लेकिन खुद कोई फॉर्मूला नहीं पेश किया. कहते हैं कि ये शुरुआत है, बातचीत जारी रहेगी.
श्री श्री रविशंकर ने कहा, 'मुख्य बात यही है कि अलग अलग तरह के लोगों का अलग अलग भाव है. कुछ निराशावादी हैं. मगर हम समझते हैं कि कठिन है काम मगर सब मिलकर अच्छा एक संदेश देश भर में जा सकता है कि यदि दोनों समुदाय पास आएं तो दोनों समुदायों की सहमति से भव्य राम मंदिर बने.'
श्री श्री रविशंकर का पहला पड़ाव मणिराम की छावनी था, जहां उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की. फिर वो दीनबंधु अस्पताल पहुंचे जहां उन्होंने नृत्य गोपाल दास से आधे घंटे बंद कमरे में फिर तमाम साधु संतों से एक साथ बैठक की. लेकिन उनके जाने के बाद नृत्य गोपाल दास ने कहा कि श्री श्री ने अयोध्या विवाद पर कोई बात नहीं की.
नृत्य गोपाल दास ने कहा, 'हमार उनका पुराना संबंध है. वो राम जन्मभूमि, राम मंदिर आदि विषय को लेकर नहीं आए. वो केवल हमारे प्रेम और स्नेह से मि लने के लिए आए. कोई इस विषय की या राम जन्मभूमि की उन्होंने चर्चा नहीं की.'
1984 से राम मंदिर आंदोलन में शामिल वीएचपी ने भी सुलह वार्ता में शामिल होने से इनकार किया. वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, 'अब वार्ता का दौर समाप्त हो गया. 5 दिसंबर से लगातार सुनवाई होनी है. और हम मंदिर निर्माण के निकट पहुंच चुके हैं. मंदिर निर्माण होना ही है इसलिए अब वार्ता और सुलह समझौते का प्रश्न उठता ही नहीं.'
VIDEO: श्री श्री रविशंकर का फॉर्मूला नहीं किसी को पसंद
श्री श्री रविशंकर अयोध्या विवाद के मुकदमे में दावेदा निर्मोही अखाड़े भी पहुंचे जहां साधु संतों से मिल कर उनकी बात सुनी. वो बाबरी मस्जिद के सबसे पुराने मुद्दयी हाशिम अंसारी के घर भी पहुंचे. हासिम अंसारी के गुजरने के बाद अब उनके बेटे इकबाल अंसारी मुद्दयी हैं.
मुलाकात पर इकबाल अंसारी ने कहा, 'रविशंकर जी हमारे यहां आए. हालचाल लिया उन्होंने. इस मसले पर कोई बात नहीं की. मगर कहा कि इस मसले पर हम कोई बात करेंगे तो दोबारा आपसे मिलेंगे. हम मिलते रहेंगे और जैसा होगा आपको बताते रहेंगे. इस तरह से हमारी उनकी बातचीत हुई.'
बहरहाल यह समझौती की एक भूमिका थी जिसे बनाने श्री श्री रविशंकर अयोध्या में आए थे. समझौते को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत सारी चुनौतियां हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है वो इसमें कामयाब होंगे.
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श्री श्री रविशंकर अयोध्या के तमाम संतों महंतों से मिले, सबकी की सुनी लेकिन खुद कोई फॉर्मूला नहीं पेश किया. कहते हैं कि ये शुरुआत है, बातचीत जारी रहेगी.
श्री श्री रविशंकर ने कहा, 'मुख्य बात यही है कि अलग अलग तरह के लोगों का अलग अलग भाव है. कुछ निराशावादी हैं. मगर हम समझते हैं कि कठिन है काम मगर सब मिलकर अच्छा एक संदेश देश भर में जा सकता है कि यदि दोनों समुदाय पास आएं तो दोनों समुदायों की सहमति से भव्य राम मंदिर बने.'
श्री श्री रविशंकर का पहला पड़ाव मणिराम की छावनी था, जहां उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की. फिर वो दीनबंधु अस्पताल पहुंचे जहां उन्होंने नृत्य गोपाल दास से आधे घंटे बंद कमरे में फिर तमाम साधु संतों से एक साथ बैठक की. लेकिन उनके जाने के बाद नृत्य गोपाल दास ने कहा कि श्री श्री ने अयोध्या विवाद पर कोई बात नहीं की.
नृत्य गोपाल दास ने कहा, 'हमार उनका पुराना संबंध है. वो राम जन्मभूमि, राम मंदिर आदि विषय को लेकर नहीं आए. वो केवल हमारे प्रेम और स्नेह से मि लने के लिए आए. कोई इस विषय की या राम जन्मभूमि की उन्होंने चर्चा नहीं की.'
1984 से राम मंदिर आंदोलन में शामिल वीएचपी ने भी सुलह वार्ता में शामिल होने से इनकार किया. वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, 'अब वार्ता का दौर समाप्त हो गया. 5 दिसंबर से लगातार सुनवाई होनी है. और हम मंदिर निर्माण के निकट पहुंच चुके हैं. मंदिर निर्माण होना ही है इसलिए अब वार्ता और सुलह समझौते का प्रश्न उठता ही नहीं.'
VIDEO: श्री श्री रविशंकर का फॉर्मूला नहीं किसी को पसंद
श्री श्री रविशंकर अयोध्या विवाद के मुकदमे में दावेदा निर्मोही अखाड़े भी पहुंचे जहां साधु संतों से मिल कर उनकी बात सुनी. वो बाबरी मस्जिद के सबसे पुराने मुद्दयी हाशिम अंसारी के घर भी पहुंचे. हासिम अंसारी के गुजरने के बाद अब उनके बेटे इकबाल अंसारी मुद्दयी हैं.
मुलाकात पर इकबाल अंसारी ने कहा, 'रविशंकर जी हमारे यहां आए. हालचाल लिया उन्होंने. इस मसले पर कोई बात नहीं की. मगर कहा कि इस मसले पर हम कोई बात करेंगे तो दोबारा आपसे मिलेंगे. हम मिलते रहेंगे और जैसा होगा आपको बताते रहेंगे. इस तरह से हमारी उनकी बातचीत हुई.'
बहरहाल यह समझौती की एक भूमिका थी जिसे बनाने श्री श्री रविशंकर अयोध्या में आए थे. समझौते को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत सारी चुनौतियां हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है वो इसमें कामयाब होंगे.
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