तमाम बचत योजनाओं और बीमा पॉलिसी में एनुइटी शब्द का जिक्र आता है. लोग समझ नहीं पाते हैं कि ये एनुइटी क्या है और वे कई बार अनमने ढंग से निवेश कर देते हैं. एनपीएस पर भी लेख के दौरान एनुइटी का जिक्र आया था. तब इसे अलग से लेख में समझाने की बात कही गई थी. आज इस एनुइटी पर विस्तार से बात करते हैं. यह तो तय है कि हर आदमी को एक दिन बुढ़ापे में जाने हा. बुढ़ापे में हाथ पैर शिथिल हो जाते हैं और व्यक्ति ऊर्जावान नहीं होता है. लेकिन ऐसे में आय का नियमित स्रोत होना जरूरी हो जाता है ताकि बुढ़ापे में किसी और पर निर्भर न हो पड़े. इसलिए सभी को कोई न कोई पेंशन प्लान लेना चाहिए. इससे बुढ़ापे में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी. जब भी पेंशन प्लान की बात होगी, एनुइटी प्लान आ ही जाता है.
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एनुइटी एक बीमा उत्पाद है. इसके जरिए बीमा खरीदने वाले और बीमा कंपनी के बीच एक प्रकार का समझौता होता है. इस प्रकार की योजना में व्यक्ति को एकमुश्त निवेश करता है. इस एकमुश्त निवेश के चलते भविष्य में इसके बदले बीमा कंपनी मासिक, तिमाही या वार्षिक रूप से भुगतान करती है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि एनुइटी का प्रयोग रिटायरमेंट पोर्टफोलियो के एक हिस्से के तौर किया जाता है. बीमा कंपनी जब तक पेमेंट करती रहती है जब तक बीमाधारक की मृत्यु नहीं हो जाती. मृत्यु के बाद नॉमिनी राशि लेने का अधिकारी होता है.
एक खास बात बताना जरूरी हो जाता है. क्योंकि एनुइटी एक प्रकार की रेगुलर इनकम हो जाती है. ऐसे में यह साफ कर देना आवश्यक हो जाता है कि एनुइटी से प्राप्त आय को आयकर के दायरे में देखा जाता है. इसमें टैक्स में किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी जाती है. पॉलिसीधारक जिस भी टैक्स स्लैब में आता है उसी हिसाब से टैक्स देय होता है.
अब समझते हैं कि ये एनुइटी कितने प्रकार की होती है.
अमूमन दो तरह की एनुइटी होती है. एक होती है इमीडिएट एनुइटी और दूसरी है डेफर्ड एनुइटी. इमीडिएट एनुइटी में शुरुआती निवेश के तुरंत बाद पेमेंट मिलना शुरू हो जाता है. साफ है कि रिटायरमेंट की उम्र के करीब पहुंच रहे लोगों के लिए यह अच्छा विकल्प माना जाता है. डेफर्ड एनुइटी में नियमित रूप से एनुइटी का भुगतान नहीं किया जाता है. गौरतलब है कि यहां पर पॉलिसीधारक जरूरत पड़ने पर डेफर्ड एनुइटी को इमीडिएट एनुइटी में बदलवा सकते हैं.
बीमा पॉलिसी में किस प्रकार से एनुइटी में बांटा गया है.
लाइफ एनुइटी: इस एनुइटी में व्यक्ति को मृत्यु तक रकम का भुगतान दिया जाता है. ये भुगतान मासिक, तिमाही या वार्षिक रूप में किया जाता है. यह व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि उसने किस प्रकार का विकल्प चुना है.
परचेज प्राइस लाइफ एनुइटी: इस प्रकार की एनुइटी में पॉलिसीधारक को मृत्यु तक एनुइटी का भुगतान मिलेगा. पॉलिसीधार की मृत्यु के बाद, एनुइटी खरीदने के लिए जो भी पेमेंट दी गई थी वह नॉमिनी को वापस कर दी जाती है.
गारंटीड पीरियड एनुइटी: इस प्रकार की एनुइटी में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद भी निश्चित समय तक के लिए एनुइटी का भुगतान किया जाता है. निश्चित समय पूरा होने के बाद एनुइटी मिलना भी बंद हो जाती है.
ज्वाइंट लाइफ एनुइटी: इस एनुइटी में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद जीवनसाथी को उसके पूरे जीवनकाल तक एनुइटी का भुगतान किया जाता है.
परचेज प्राइस के रिटर्न साथ ज्वाइंट लाइफ एनुइटी: इस प्रकार के प्लान में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसके जीवनसाथी को एनुइटी पूरे जीवनकाल तक दी जाती है और उसकी भी मृत्यु हो जाने के बाद नॉमिनी को आरंभ में जमा की गई रकम को वापस कर दिया जाता है.
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इस प्रकार का प्लान लेने से पहले प्लान की बारिकियों को अच्छे से समज लेना उचित होता है.
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