
- अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने भारतीय वायुसेना के तेजस मार्क-1A विमान के लिए F404-IN20 इंजन की डिलीवरी शुरू कर दी है, HAL को दो इंजन मिल चुके हैं।
- मार्च 2026 तक कुल बारह तेजस मार्क-1A विमान वायुसेना को सौंपे जाने की संभावना है, हालांकि यह कार्यक्रम दो साल की देरी से चल रहा है।
- GE के साथ 2021 में 5375 करोड़ रुपये की लागत से 99 इंजन की आपूर्ति का समझौता हुआ था, जिसमें इंजन की डिलीवरी में देरी पर दोनों पक्षों ने नाराजगी जताई।
भारतीय वायुसेना की ताकत में जल्द ही और इजाफा होने जा रहा है. देसी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1A के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) ने F404-IN20 इंजन की डिलीवरी शुरू कर दी है. अब तक हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दो इंजन मिल चुके हैं. शेष 10 इंजन भी 31 मार्च 2026 तक सौंप दिए जाएंगे.
इसका सीधा मतलब है कि भारतीय वायुसेना को अगले साल मार्च तक 12 तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमान मिलने की संभावना है. हालांकि, यह कार्यक्रम करीब दो साल की देरी से चल रहा है. लेकिन अब उम्मीद की जा सकती है कि HAL को शेष इंजनों के लिए वर्षों इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
HAL के मुताबिक इंजनों की देर से डिलीवरी ही वायुसेना को तेजस मार्क-1A देने में देरी का मुख्य कारण रही है. आपको बता दें कि विमान के एयरफ्रेम में इंजन लगाने का काम आखिरी चरण में होता है. इसके बाद विमान को कई स्तरों के परीक्षणों से गुजरना पड़ता है और तभी उसे वायुसेना में शामिल होने की अंतिम मंजूरी मिलती है.
GE से 99 इंजनों का सौदा
जनरल इलेक्ट्रिक के साथ अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ रुपये की लागत से 99 F404-IN20 इंजन की आपूर्ति को लेकर समझौता हुआ था. GE ने इस वर्ष से डिलीवरी शुरू की है. पहला इंजन मार्च में और दूसरा जुलाई में HAL को सौंपा गया. इंजन डिलीवरी में हुई देरी को लेकर रक्षा मंत्रालय और वायुसेना, दोनों ही अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
GE का कहना है कि वह HAL को 99 इंजनों की आपूर्ति को लेकर प्रतिबद्ध है. साल 2004 में तेजस के लिए F404-IN20 इंजन को चुना गया था और 2016 तक भारत को 65 इंजन डिलीवर किए जा चुके थे. लेकिन नया ऑर्डर न मिलने के चलते GE ने अपनी प्रोडक्शन लाइन बंद कर दी थी. 2021 में HAL के नए ऑर्डर के बाद प्रोडक्शन लाइन को दोबारा शुरू किया गया.
भारतीय वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किए गए F404-IN20 इंजन में 84 नॉट का अतिरिक्त थ्रस्ट है, जो इसे अधिक विश्वसनीय बनाता है.
2030 तक पूरे होंगे तेजस डिलीवरी के लक्ष्य
जब मार्च 2026 तक पहले 12 तेजस मार्क-1A विमान वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे, तब शेष 61 तेजस विमान भी 2030 तक डिलीवर किए जाने की उम्मीद है. तेजस मार्क-1A के निर्माण के लिए HAL ने बेंगलुरु के अलावा नासिक में भी असेंबली लाइन तैयार की है. इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद (DAC) HAL से 97 और तेजस विमान खरीदने को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. अंतिम समझौते पर बातचीत चल रही है.
स्वदेशी निर्माण का सामरिक लाभ
तेजस के देश में बनने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें वांछित बदलाव तत्काल और स्वतंत्र रूप से किए जा सकते हैं. इसके लिए किसी विदेशी अनुमति की जरूरत नहीं होगी. साथ ही, इससे देश के रक्षा उद्योग को भी भारी बढ़ावा मिलता है. शायद इसीलिए CDS जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि 'अगला युद्ध हम स्वदेशी हथियारों के दम पर ही जीत सकेंगे.' सरकार का भी यही प्रयास है कि रक्षा क्षेत्र में विदेशी हथियारों पर निर्भरता न्यूनतम हो.
तेजस मार्क-1A: एक उन्नत लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट
तेजस मार्क-1A, भारत में बना एक चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. यह हल्का और अत्यधिक गतिशील है. इसमें 9 हार्ड प्वाइंट हैं, जिन पर हथियार और मिसाइल लगाए जा सकते हैं. तेजस लगभग 8 से 9 टन तक हथियार लेकर उड़ान भर सकता है और एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकता है.
यह विमान निम्नलिखित तकनीकों से लैस है:
• Active Electronic Scanned Array (AESA) रडार
• BVR (Beyond Visual Range) मिसाइल
• Electronic Warfare (EW) सूट
• Air-to-Air Refueling (AAR)
ये सभी क्षमताएं इसे आधुनिक युद्ध के लिए अत्यधिक सक्षम और प्रभावशाली बनाती हैं
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