पारिवारिक जिम्मेदारियों को हंसी खुशी पूरा करना हो तो समझ लें खर्चे और बचत का यह फॉर्मूला

परिवार के ऐसे लोग जो इन बातों को समझते हैं, के साथ बैठकर कभी चर्चा मंथन कर लेना चाहिए. फिर किस समय यानि कितने साल पर क्या जरूरत आने वाली है उसके बारे में सोच लेना चाहिए. हो सके तो कॉपी पेन लेकर लिख लेना चाहिए. फिर अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए. 

पारिवारिक जिम्मेदारियों को हंसी खुशी पूरा करना हो तो समझ लें खर्चे और बचत का यह फॉर्मूला

how to plan savings investment and expenditure.

नई दिल्ली:

वित्तीय प्रबंधन या फिर कहें फाइनेंशियल मैनेजमेंट (Financial Management) जीवन में हर व्यक्ति को करना चाहिए. बात परिवार के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति की हो रही है जो घर की आय के लिए जिम्मेदार है और घर के लोगों के खर्चे को प्रबंधित कर रहा है. इस व्यक्ति को परिवार का मुखिया कह लीजिए जो बच्चों के खर्चे से लेकर पत्नी की जरूरतों और घर की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करता है. बदलते जमाने में कई घरों में पति-पत्नी दोनों नौकरी कर रहे होते हैं और कुछ परिवारों में पत्नी नौकरी पर होती है और वह भी आय के लिए जिम्मेदार होती है. समय के अनुसार यह जरूरी है कि ऐसे मुखिया परिवार की सलाह और अपने प्लान को परिजनों के साथ शेयर या साझा जरूर करें. इससे परिवार वालों को घर की स्थिति और नियोजन या कहें प्लानिंग की जानकारी होती है तो घर में कलह की संभावनाएं लगभग न के समान हो जाती है. 

अभी तक हमने दो उम्र 20 और 30 के लोगों के लिए वित्तीय प्लानिंग किस प्रकार किस फॉर्मूले के तहत करना चाहिए इस बारे में बात की है. अब बात हम उस उम्र की करते हैं जब बच्चों के साथ परिवार के बढ़े खर्चे फ्यूचर प्लान तथा रिटायरमेंट पर प्लान करना होता है. यानि समय तक आपकी उम्र 40 साल हो चुकी है. 

40 की उम्र में कैसे करें खर्चे, बचत और निवेश की प्लानिंग 

 How to plan Expenditure, saving and investment at 40 years age

इस वक्त आपको यह देखना होता है कि बच्चे के लिए आपको कब ज्यादा रुपये की जरूरत है. आपको यह भी देखना होता है कि क्या आप कार खरीदना चाहते हैं. आप घर खरीदना चाहते हैं. क्या आप बच्चे को विदेश भेजना चाहते हैं. पत्नी की महंगे गहने खरीदने की इच्छा को पूरा करना है. जरूरत पर इलाज के लिए पैसा का प्रबंधन सोचना है. इस उम्र तक ये सारी बातें इस आयु के लोगों के दिमाग में चल रही होती है. 

जरूरी है कि परिवार के ऐसे लोग जो इन बातों को समझते हैं, के साथ बैठकर कभी चर्चा मंथन कर लेना चाहिए. फिर किस समय यानि कितने साल पर क्या जरूरत आने वाली है उसके बारे में सोच लेना चाहिए. हो सके तो कॉपी पेन लेकर लिख लेना चाहिए. फिर अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए. 

कम समयावधि और लंबी समयावधि के प्लानिंग की जरूरत Short Term and Long Term planning is required 

यह तो आप तय कर पाए हैं कि कुछ जरूरतें लंबे समय में सामने आएंगे तो कुछ जरूरतों के लिए आपके पास ज्यादा समय नहीं है. यानि आपके गोल कुछ शॉर्ट टर्म में अचीव होने वाले हैं और कुछ लॉन्ग टर्म में. साफ शब्दों में कुछ पैसे की आपको 3-5 साल के भीतर जरूरत पड़ने वाली है कुछ की 5-7 साल बात और कुछ 7-10 और बाकी कम से कम 10 साल बाद आपको जरूरत पड़ेगी. यह तय होने के बाद आप अपने निवेश की रकम को भी कुछ इस प्रकार से ही प्लान करें. ताकि आपको आपकी जरूरतों के हिसाब से समय पर रिटर्न मिल जाए. 

कम समयावधि का निवेश क्या है (What is Short Term goal ) और लंबे समयावधि का निवेश क्या है (What is Long Term goal) 

वित्तीय भाषा में जो निवेश पांच साल से कम के होते हैं उन्हें शॉर्ट टर्म गोल ही कहते हैं और जो इससे ज्यादा समय के लिए निवेश होते हैं उन्हें लॉन्ग टर्म गोल वाले निवेश कहते हैं. 

आकस्मिक फंड में कितना पैसा रखना होता है. What amount to be kept for Emergency Fund

वित्तीय प्रबंधन के जानकारों का मानना है कि हर परिवार को अपने मासिक खर्चे का छह गुणा इमरजेंसी फंड के रूप में रखना चाहिए. यह पैसा वे एफडी, लिक्विड फंड में रखना चाहिए. लिक्विड फंड क्या होता है इस पर हम एक विस्तार से खबर बना चुके हैं. यह तो हर किसी को समझ में आता है कि पैसे पैसे को खींचता है. यदि आपके पास पैसा है तो आप पैसा बढ़ाने के विकल्प पर काम कर सकते हैं. आपको अपनी बचत बढ़ानी ही होगी. आपकी बचत तभी बढ़ेगी जब आपकी आय बढ़ती जाए या फिर खर्चा सीमित किया जाए.

40 की उम्र में रूल ऑफ मनी क्या होना चाहिए. What is to be rule of money at age of 40 years

इस उम्र तक आपको अपने खर्चे इच्छाओं और बचत के रेशियो में अंतर लाना होगा. इस उम्र के लोगों तक यह फॉर्मूला 40-20-40 हो जाता है. यानि रूल ऑफ मनी rule of money यहां पर कुछ और कहती है. आपकी आय के साथ आपके परिवार की जरूरतें खर्चों के हिसाब से बढ़ चुकी होती है. आपको अपनी पुरानी गललियों से सबक लेने का भी यह समय होता है. आपने क्या चूक की कब की और उसका निवारण कैसे किया जाए इस बारे में समझदारी से नियोजन की आवश्यकता होती है. अच्छा हो किसी फाइनेंशियल प्लानर से राय मश्विरा किया जाए और तदनुसार कदम उठाया जाए.

Better loan management 

आप इस उम्र तक लोन ले चुके होते हैं. लोन को पूरा करने का प्रयास करते रहना चाहिए. संभव हो सके तो जल्दी से जल्दी लोन पूरा करना चाहिए. लोन का बेहतर मैनेजमेंट सबसे अहम हो जाता है. लोन यदि महंगा है तब जल्द से जल्द इसे पूरा करें. याद रखें लोन हमेशा जरूरतों के लिए लें न कि लग्जरी के लिए... यह बेहद अहम है. कई बार युवा लग्जरी के लिए महंगे लोन का शिकार हो जाते हैं और बचत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. 

बैंकिंग एक व्यवसाय है Banking is Business

लोन लेने के लिए बैंक अकसर लोगों को लालच देते हैं. यह तक समझा देते हैं कि वे अपनी सैलरी का 50 फीसदी किश्त की ईएमआई तक का लोन ले सकते हैं. लेकिन याद रखने के बात यह है कि बैंक एक व्यवसाय है. वे भी मुनाफे के लिए काम कर रहे हैं. अत: वे सबसे ऊपर अपना हित रखते हैं इसलिए आपकी सजगता और समझदारी आपको सही कदम उठाने की ओर ले जाएगी. बैंक के कर्मी से ज्यादा अपने विवेक का इस्तेमाल करिए.

कितना लोन और ईएमआई होना चाहिए How much loan and EMI be taken

बैंक के 50 फीसद ईएमआई वाले फॉर्मूले के दरकिनार कर आप 33 फीसदी तक की अधिकतम सीमा का ध्यान रखें. इससे आपको पारिवारिक जीवन में दिक्कत का कम सामना करना होगा. आप यह सोचकर लोन न लें कि इससे टैक्स की बचत होगी. 

होम लोन का टॉप अप अच्छा विकल्प Home loan top up good alternative

एक बात और बैंक आपको होम लोन पर टॉप अप लोन भी देते हैं. यदि आपका लोन चल रहा है और कुछ साल हो चुके हैं तब आप अपने होम लोन पर टॉप लोन ले सकते हैं और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. आपको तो यह ज्ञात ही होगा कि होम लोन बैंकों की नजर में सबसे सुरक्षित लोन है और ब्याज दरें इस पर कम होती हैं. कोशिश करें कि क्रेडिट कार्ड पर लोन न लें. इसमें ब्याज का खेल जानकर आप डर जाएंगे. जितना संभव हो सके अपने क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर चुकाएं.

कितना स्वास्थ्य बीमा लेना चाहिए  How much health insurance be taken

हेल्थ इंश्योरेंश कितना लेना चाहिए. कम से कम इतना का जरूर लें ताकि आप इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए अपने बचत के खाते से रकम निकालने के लिए मजबूर न हों. कम से कम 10-15 लाख रुपये की पॉलिसी हो तो बेहतर है. परिवार के सभी लोगों को इसमे कवर कर लेना चाहिए. माता-पिता यदि हैं तो उनका भी पूरा ध्यान रखना चाहिए. यदि उनकी अपनी कोई पॉलिसी है तो ठीक नहीं तो उनका कवर लेना भी आवश्यक हो जाता है. 

एनडाउमेंट पॉलिसी से कितना मिलता है रिटर्न

लाइफ इंश्योरेंस कितना हो चाहिए. यह समझ लें कि एक अनुमान के मुताबिक लाइफ इश्योरेंस का रिटर्न करीब-करीब 5-6 प्रतिशत का होता है. यह आपको तय करना है कि आपको रिटर्न कितना चाहिए. मामलों के जानकारों की राय में टर्म इंश्योरेंस के साथ म्यूचुअल फंड का निवेश ज्यादा रिटर्न दे देता है. इस पर हम विस्तार से आपको जानकारी दे चुके हैं. एक बार फिर यहां यह साफ कर देना उचित है कि म्यूचुअल फंड का निवेश बाजार की जोखिमों पर आधारित होता है.

निवेश को कैसे प्लान करें How to plan investment

अब बात निवेश की भी कर लेते हैं. आय बढ़ने के साथ-साथ आपको टैक्स बचाने वाले निवेश के साथ साथ बेहतर रिटर्न वाले निवेश पर भी ध्यान देना चाहिए. एक बार फिर आपको यह बता दें कि 1.5 लाख तक का रिबेट आप ईपीएफ, पीपीएफ, एनपीएस आदि और लॉक इन पीरड वाले ईएलएसएस योजना में पा सकते हैं. बाजार की चाल पर देखा गया है कि ईएलएसएस फंड में निवेश में 10-12 प्रतिशत सालाना का रिटर्न मिल जा रहा है.

हाई रिस्क वाले शॉर्ट टर्म निवेश से बचें How to plan short term investment

जैसा कि बात हुई कि शॉर्ट टर्म निवेश भी करना होगा. ऐसे में हाई रिस्क वाले निवेश लुभावने लगते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. यह आपकी वित्तीय स्थिति और अवस्था पर निर्भर करता है कि आप कितना रिस्क उठा सकते हैं. ऐसे में शेयरों में निवेश से बचना चाहिए. एफडी, डेट म्यूचुअल फंड, बॉन्ड अच्छे विकल्प हैं. यदि आप रिटर्न तेज चाहते हैं तो इस मद के पैसे को बांट कर बताए गए विकल्पों में निवेश कर लें. ध्यान रहे स्टॉक्स पर 30 प्रतिशत से ज्यादा इस मद का निवेश न करें. अपनी बचत में से 70 फीसदी एफडी, डेट फंड और बॉन्ड में ही डालें. 

लंबे समय का निवेश कैसे करें प्लान How to plan long term  investment

लॉन्ग टर्म गोल के तहत आप इस मद के लिए निकाली गई बचत का 60 फीसदी इक्विटी या स्टॉक्ट में लगा सकते हैं. (इक्विटी निवेश बाजार की चाल पर कैसे करना चाहिए इस पर हम विस्तार से लेख में बता चुके हैं.) 30 फीसदी तक आप डेट फंड में लगा सकते हैं और 10 फीसदी के करीब गोल्ड में निवेश कर लें. जानकारों की राय में यह हेजिंग के लिए उचित रहता है. बाजार गलती से किन्ही कारणों से तेजी से गिर जाए उस सूरत में सोना घाटे को पूरा करने मदद ही करता है.

How to invest in Stocks for long term investment

स्टाक्स के लिए बता दें कि किसी जानकार की मदद से ही निवेश करें. यदि आपको को ठीक-ठाक जानकारी है तभी आप स्वयं इस में निवेश में सीधे कूदें. जरूरी है कि आप बाजार की चाल पर अध्ययन करें और रोज समय दें. जानकारों की राय में अपने इस निवेश को डायवर्सीफाई करें. यानि कई स्टॉक्स और कई तरह के स्टॉक्स में निवेश करें. कम से कम 20 स्टॉक्स में निवेश करें.

ETF और MF लंबे समयावधि के लिए निवेश का बेहतर विकल्प

लॉन्ग टर्म के हिसाब से म्यूचुअल फंड और ईटीएफ इंडेक्स फंड भी एक बेहतर रिटर्न के विकल्प हैं. इस बात की जानकारों से राय लें कौन से म्यूचुअल फंड इंडेक्स को पीछे छोड़ देते हैं वे बढ़िया हैं. आप उनका चयन भी कर सकते हैं. लेकिन एक बार फिर आपकी सतर्कता आपकी मेहनत से कमाए पैसे को बढ़ाने में मदद करती है और डूबने से बचाती है. 

Debt investment is good for long term, डेट निवेश लंबे समय के लिए अच्छा 

लॉन्ग टर्म निवेश में डेट निवेश भी शामिल होते हैं. आप इनमें म्यूचुअल फंड, आरबीआई बॉन्ड, सोवरिन गोल्ड बॉन्ड आदि अच्छा विकल्प है.

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