हिमोजी
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कला का अपराजित संसार
- Tuesday April 17, 2018
- प्रियदर्शन |
अपराजिता शर्मा हिंदी की लेखक या कवयित्री हो सकती थीं, लेकिन वे चित्रकार या कलाकार हैं. उनके मित्र उनसे पूछते भी हैं कि कुछ गंभीर साहित्य क्यों नहीं लिखती, चित्र-वित्र क्यों बनाती हो. यह दरअसल अपराजिता का नहीं, उस संसार का संकट है जो शब्दों को विचार और संवेदना की इकलौती पूंजी मानता है. बहरहाल, अपराजिता शर्मा के नाम पर पहली बार ध्यान तब गया जब उन्होंने हिंदी के लिए इमोजी की तर्ज पर हिमोजी बनाई. हालांकि तब मुझे यह ख़याल आया कि संकेत चिह्नों को भाषा की ज़रूरत क्यों हो. लेकिन धीरे-धीरे हिमोजी के संसार को ख़ुद अपराजिता पीछे छो़ड़ती दिखीं. उन्होंने वाणी प्रकाशन से प्रकाशित नीलिमा चौहान की किताब 'पतनशील पत्नियों के नोट्स' के लिए बड़ी मेहनत से इलस्ट्रेशन बनाए.
- ndtv.in
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'हिमोजी' बनाने वाली अपराजिता शर्मा ने कहा- हमें हिन्दी के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है
- Wednesday March 16, 2016
- Edited by: NDTVKhabar.com team |
दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज की हिंदी की असिस्टेंट प्रोफेसर अपराजिता वह शख्स हैं जिन्होंने हिन्दी के इमोजी तैयार किए हैं। हिन्दी के इमोजी असल में वही स्माइली हैं जो इंसानी भाव भंगिमाओं को हिन्दी शब्दों व वाक्यों के साथ पेश करते हैं।
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कला का अपराजित संसार
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अपराजिता शर्मा हिंदी की लेखक या कवयित्री हो सकती थीं, लेकिन वे चित्रकार या कलाकार हैं. उनके मित्र उनसे पूछते भी हैं कि कुछ गंभीर साहित्य क्यों नहीं लिखती, चित्र-वित्र क्यों बनाती हो. यह दरअसल अपराजिता का नहीं, उस संसार का संकट है जो शब्दों को विचार और संवेदना की इकलौती पूंजी मानता है. बहरहाल, अपराजिता शर्मा के नाम पर पहली बार ध्यान तब गया जब उन्होंने हिंदी के लिए इमोजी की तर्ज पर हिमोजी बनाई. हालांकि तब मुझे यह ख़याल आया कि संकेत चिह्नों को भाषा की ज़रूरत क्यों हो. लेकिन धीरे-धीरे हिमोजी के संसार को ख़ुद अपराजिता पीछे छो़ड़ती दिखीं. उन्होंने वाणी प्रकाशन से प्रकाशित नीलिमा चौहान की किताब 'पतनशील पत्नियों के नोट्स' के लिए बड़ी मेहनत से इलस्ट्रेशन बनाए.
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'हिमोजी' बनाने वाली अपराजिता शर्मा ने कहा- हमें हिन्दी के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है
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दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज की हिंदी की असिस्टेंट प्रोफेसर अपराजिता वह शख्स हैं जिन्होंने हिन्दी के इमोजी तैयार किए हैं। हिन्दी के इमोजी असल में वही स्माइली हैं जो इंसानी भाव भंगिमाओं को हिन्दी शब्दों व वाक्यों के साथ पेश करते हैं।
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