Uapa Act In Delhi Riot Case
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दिल्ली दंगों में UAPA एक्ट के तहत आरोप झेल रहे लोगों के परिवारों ने आपबीती सुनायी
- Saturday April 16, 2022
- Reported by: भाषा
दिल्ली दंगों के पीछे बड़ी साजिश के मद्देनजर पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को गैरकानूनी गतिविधियां निषेध कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था. संशोधित नागरिकता कानून के पक्ष और विरोध में हो रहे प्रदर्शन के बीच 24 फरवरी, 2020 को उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए और हालात काबू से बाहर हो गए.
- ndtv.in
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क्या जनतांत्रिक विरोध प्रदर्शन पर भी फर्जी केस में फंसा देगी पुलिस?
- Wednesday June 16, 2021
- रवीश कुमार
शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना ग़ैर कानूनी नहीं है और न ही आतंकी कार्रवाई है. भड़काऊ भाषण और चक्का जाम करना ऐसे अपराध नहीं हैं कि Unlawful activities prevention act (UAPA) की संगीन धाराएं लगा दी जाएं. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का यह सार दिल्ली पुलिस के अलावा उन लोगों के सामने आइने की तरह खड़ा है जो सिर्फ इसी बात के लिए अभियान चला रहे थे कि नागरिकता कानून के विरोधी आतंकी साज़िश कर रहे थे. दिल्ली दंगों के साज़िशकर्ता हैं. गोदी मीडिया चैनलों के स्क्रीन के आगे बैठकर आपने जिन छात्रों के बारे में ये सब कहा या सोचा आज उन्हीं के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए करते हुए ज़मानत दे दी.
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दिल्ली दंगों में UAPA एक्ट के तहत आरोप झेल रहे लोगों के परिवारों ने आपबीती सुनायी
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दिल्ली दंगों के पीछे बड़ी साजिश के मद्देनजर पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को गैरकानूनी गतिविधियां निषेध कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था. संशोधित नागरिकता कानून के पक्ष और विरोध में हो रहे प्रदर्शन के बीच 24 फरवरी, 2020 को उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए और हालात काबू से बाहर हो गए.
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क्या जनतांत्रिक विरोध प्रदर्शन पर भी फर्जी केस में फंसा देगी पुलिस?
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शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना ग़ैर कानूनी नहीं है और न ही आतंकी कार्रवाई है. भड़काऊ भाषण और चक्का जाम करना ऐसे अपराध नहीं हैं कि Unlawful activities prevention act (UAPA) की संगीन धाराएं लगा दी जाएं. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का यह सार दिल्ली पुलिस के अलावा उन लोगों के सामने आइने की तरह खड़ा है जो सिर्फ इसी बात के लिए अभियान चला रहे थे कि नागरिकता कानून के विरोधी आतंकी साज़िश कर रहे थे. दिल्ली दंगों के साज़िशकर्ता हैं. गोदी मीडिया चैनलों के स्क्रीन के आगे बैठकर आपने जिन छात्रों के बारे में ये सब कहा या सोचा आज उन्हीं के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए करते हुए ज़मानत दे दी.
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