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Tejashwi Yadav Blog

'Tejashwi Yadav Blog' - 18 News Result(s)
  • ...तो क्या नीतीश कुमार पर चढ़ने लगा है तेजस्वी रंग? या 'चित भी मेरी और पट भी मेरी'

    ...तो क्या नीतीश कुमार पर चढ़ने लगा है तेजस्वी रंग? या 'चित भी मेरी और पट भी मेरी'

    अब, जब नीतीश कुमार और बीजेपी की राहें जुदा हो चुकी हैं और माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ 2024 के लिए लंबी लड़ाई का आगाज कर दिया है, तब उन्होंने इस बड़े ऐलान और अपने पुराने स्टैंड से यू-टर्न लेने का दिन ठीक उसी दिन को चुना, जब पीएम मोदी ने 2047 के विकसित भारत के लिए लाल किले से 'पंच प्रण' का आह्वान किया.

  • तेजस्वी यादव को BJP से भी आगे ले गया है RJD का बड़ा होना...

    तेजस्वी यादव को BJP से भी आगे ले गया है RJD का बड़ा होना...

    राष्ट्रीय जनता दल, यानी RJD के प्रमुख तेजस्वी यादव 29 जून को अपनी SUV ड्राइव करते हुए बिहार विधानसभा पहुंचे, और उनके साथ सवार थे बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के पांच में से चार विधायक. यह अपनी गाड़ी में यूं ही दी गई लिफ्ट नहीं थी, क्योंकि उन चार का कहना था, वे तेजस्वी की पार्टी में शामिल हो रहे हैं.

  • कैसे नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव में नीतीश को निपटाने के चक्कर में तेजस्वी और चिराग को नेता बना दिया

    कैसे नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव में नीतीश को निपटाने के चक्कर में तेजस्वी और चिराग को नेता बना दिया

    बिहार के चुनाव परिणाम की हर जगह, हर व्यक्ति अपने तरह से विवेचना कर रहा है. लेकिन इस चुनाव का सबसे बड़ा संदेश यही है कि नीतीश कुमार इस बार अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा को पराजित कर कुर्सी पर नहीं बैठे हैं बल्कि एक बार फिर वे अपने सहयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रचे चक्रव्यूह को भेदकर निकले हैं.

  • तेजस्वी ने साबित किया, नहीं हैं वो 'बिहार का पप्पू'

    तेजस्वी ने साबित किया, नहीं हैं वो 'बिहार का पप्पू'

    31 साल के तेजस्वी यादव को मध्यम वर्ग की उम्मीदों के अनुरूप चलने वाले और अधिकारप्राप्त नेता के तौर पर देखा गया था. नीतीश कुमार के साथ राजद के गठजोड़ के दौरान जब 2015 में गठबंधन सरकार बनी थी तो वह मंत्री थे.

  • क्या बिहार की हवा तेजस्वी के पक्ष में बहने लगी है?

    क्या बिहार की हवा तेजस्वी के पक्ष में बहने लगी है?

    एक बड़ी अंतर्दृष्टि से भरी किताब है- 'टॉकिंग टु माई डॉटर: अ ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ़ कैपिटलिज़्म.' इसके लेखक हैं यानिस वारौफ़किस, जो यूनान के संकट में वित्त मंत्री भी बने. अर्थशास्त्री और दार्शनिक के रूप में उनकी ख्याति रही है. वे अर्थशास्त्र के इस ज़िक्र में साहित्य और सिनेमा भी लाते हैं. किताब उन्होंने अपनी पंद्रह साल की बिटिया को संबोधित करते हुए लिखी है- तो बहुत सरल भाषा में है.

  • नीतीश कुमार को क्या अपने 15 सालों पर भरोसा नहीं है?

    नीतीश कुमार को क्या अपने 15 सालों पर भरोसा नहीं है?

    नीतीश कुमार अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं जिन्होंने 15 साल लगातार शासन किया. दिल्ली आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार चुने जा चुके थे और लगभग 13 साल पूरे कर चुके थे. दिल्ली में शीला दीक्षित ने 15 साल पूरे किए, उसके बाद चुनाव हारीं. ओडिशा में नवीन पटनायक भी उनसे लंबे समय से सरकार चला रहे हैं.

  • कोरोना में बिहार चुनाव से किसको फायदा ?

    कोरोना में बिहार चुनाव से किसको फायदा ?

    Bihar Assembly Elections: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. 28 अक्टूबर,3 और 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 10 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. चुनाव आयोग ने इस बार कोरोना को देखते हुए बड़ी संख्या में मास्क,सेनेटाइजर और दस्तानों की व्यवस्था की है. मगर सवाल अभी भी वही बना हुआ है कि इस वक्त चुनाव कराने की क्या जरूरत थी. कोरोना के इस काल में दुनिया के करीब 60 देशों ने अपने चुनाव टाल दिए हैं तो बिहार में चुनाव के लिए इतनी हड़बड़ी क्यों की गई? आखिर इससे किसको फायदा हो रहा है ? कौन है वो जो इस चुनाव के लिए जोर लगा रहा है ? ये बात यहां इसलिए महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग से चुनाव टालने का अनुरोध विपक्षी दल जैसे आरजेडी और कांग्रेस ने तो किया ही था एनडीए में शामिल रामविलास पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी ने भी किया था.

  • 'हम लाशों के ढेर पर चुनाव क्यों नहीं चाहते...'

    'हम लाशों के ढेर पर चुनाव क्यों नहीं चाहते...'

    विगत कुछ महीनों से वर्तमान 15-वर्षीय शासन की उदासीनता और अकर्मण्यता के कारण बिहार में कोरोना महामारी विकराल रूप लेती जा रही है और स्थिति और भी विस्फोटक होने की ओर अग्रसर है, लेकिन नीतीश जी इसकी परवाह न करते हुए अपने CM पद का नवीनीकरण करने की जुगत में लगे हुए हैं.

  • तेजस्वी यादव और उनके माफ़ीनामा को बिहार की जनता कितनी गंभीरता से लेती है?

    तेजस्वी यादव और उनके माफ़ीनामा को बिहार की जनता कितनी गंभीरता से लेती है?

    तेजस्वी यादव का ये बयान उनकी सोची समझी राजनीति का हिस्सा हैं. 15 वर्ष पूर्व बिहार की सत्ता से बेदख़ल होने के बाद अपनी पार्टी की तरफ़ से इतने बेबाक़ होकर इस बात को स्वीकार करने वाले वो पहले नेता हैं.

  • राजद का भविष्य और बिहार की राजनीति की दिशा क्यों और कैसे तय करेंगे नीतीश कुमार...

    राजद का भविष्य और बिहार की राजनीति की दिशा क्यों और कैसे तय करेंगे नीतीश कुमार...

    लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति को लेकर जो भी क़यास लगाए जा रहे हैं उसके केंद्र में एक ही बात की प्रमुखता होती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा और राजद टूटेगी या अब एक बार फिर नीतीश कुमार की शरण में जाएगी.

  • नून रोटी खाएंगे, मोदिए को ले आएंगे...

    नून रोटी खाएंगे, मोदिए को ले आएंगे...

    भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों को भी इस बार ये बात समझ लेनी चाहिए कि उन्होंने नरेंद्र दामोदर दास मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनाया, मोदी ने उन्हें संसद तक पहुंचाया है. अमेठी के आसमान में सुराख स्मृति ईरानी ने नहीं किया है.

  • गरीब सवर्णों को आरक्षण का नहीं, लागू करने के तरीके का विरोध कर रहे हैं...

    गरीब सवर्णों को आरक्षण का नहीं, लागू करने के तरीके का विरोध कर रहे हैं...

    अगर आपका सांसद पिछड़ा और दलित है तो उसे अपने क्षेत्र में मत घुसने दो, क्योंकि उन्होंने आपके और बहुजनों का आरक्षण बढ़ाने की मांग नहीं की. ऐसे कायर और डरपोक लोग आपके सांसद बनने के लायक नहीं हैं.

  • 'मोदी बनाम कौन' पूछने वालों को तेजस्वी यादव का जवाब

    'मोदी बनाम कौन' पूछने वालों को तेजस्वी यादव का जवाब

    पांच राज्यों के परिणाम (मैं खुद को सिर्फ तीन बड़े हिन्दी-भाषी राज्यों तक नहीं बांध रहा हूं, जहां जनता ने BJP के 15 साल के शासन को कतई खत्म कर दिया, और तेलंगाना और मिज़ोरम में तो गंभीरता से लिया तक नहीं) इस बात के सबूत हैं कि वोटर अब खोखले वादों से ऊब चुके हैं, और जुमलों के पार की सच्चाई देख सकते हैं.

  • भीड़ आख़िर इतनी अराजक क्यों हो रही है?

    भीड़ आख़िर इतनी अराजक क्यों हो रही है?

    आज एक ऐसी कहानी पर बात करेंगे जिसके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. ऐसी बहुत ही कम कहानियां होती हैं जिनके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं होता. ऐसी कहानियों को हर खेमे के लोग बिना अपराध बोध के देख सकते हैं. देखते हुए कोई ज़िम्मेदार दिख जाए तो यह उनका दोष होगा. उनकी नज़र का कसूर होगा.

  • नीतीश चच्‍चा, आप 67 के हैं और मैं 28 का, क्‍या हुआ? - तेजस्‍वी यादव

    नीतीश चच्‍चा, आप 67 के हैं और मैं 28 का, क्‍या हुआ? - तेजस्‍वी यादव

    उन्होंने कहा, 'केवल मैं ही नहीं, आप देखेंगे कि केंद्र सरकार सभी जांच एजेंसियों को कैसे समाजवादी पार्टी और बसपा के नेताओं के खिलाफ लगा देती है.'

'Tejashwi Yadav Blog' - 18 News Result(s)
  • ...तो क्या नीतीश कुमार पर चढ़ने लगा है तेजस्वी रंग? या 'चित भी मेरी और पट भी मेरी'

    ...तो क्या नीतीश कुमार पर चढ़ने लगा है तेजस्वी रंग? या 'चित भी मेरी और पट भी मेरी'

    अब, जब नीतीश कुमार और बीजेपी की राहें जुदा हो चुकी हैं और माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ 2024 के लिए लंबी लड़ाई का आगाज कर दिया है, तब उन्होंने इस बड़े ऐलान और अपने पुराने स्टैंड से यू-टर्न लेने का दिन ठीक उसी दिन को चुना, जब पीएम मोदी ने 2047 के विकसित भारत के लिए लाल किले से 'पंच प्रण' का आह्वान किया.

  • तेजस्वी यादव को BJP से भी आगे ले गया है RJD का बड़ा होना...

    तेजस्वी यादव को BJP से भी आगे ले गया है RJD का बड़ा होना...

    राष्ट्रीय जनता दल, यानी RJD के प्रमुख तेजस्वी यादव 29 जून को अपनी SUV ड्राइव करते हुए बिहार विधानसभा पहुंचे, और उनके साथ सवार थे बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के पांच में से चार विधायक. यह अपनी गाड़ी में यूं ही दी गई लिफ्ट नहीं थी, क्योंकि उन चार का कहना था, वे तेजस्वी की पार्टी में शामिल हो रहे हैं.

  • कैसे नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव में नीतीश को निपटाने के चक्कर में तेजस्वी और चिराग को नेता बना दिया

    कैसे नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव में नीतीश को निपटाने के चक्कर में तेजस्वी और चिराग को नेता बना दिया

    बिहार के चुनाव परिणाम की हर जगह, हर व्यक्ति अपने तरह से विवेचना कर रहा है. लेकिन इस चुनाव का सबसे बड़ा संदेश यही है कि नीतीश कुमार इस बार अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा को पराजित कर कुर्सी पर नहीं बैठे हैं बल्कि एक बार फिर वे अपने सहयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रचे चक्रव्यूह को भेदकर निकले हैं.

  • तेजस्वी ने साबित किया, नहीं हैं वो 'बिहार का पप्पू'

    तेजस्वी ने साबित किया, नहीं हैं वो 'बिहार का पप्पू'

    31 साल के तेजस्वी यादव को मध्यम वर्ग की उम्मीदों के अनुरूप चलने वाले और अधिकारप्राप्त नेता के तौर पर देखा गया था. नीतीश कुमार के साथ राजद के गठजोड़ के दौरान जब 2015 में गठबंधन सरकार बनी थी तो वह मंत्री थे.

  • क्या बिहार की हवा तेजस्वी के पक्ष में बहने लगी है?

    क्या बिहार की हवा तेजस्वी के पक्ष में बहने लगी है?

    एक बड़ी अंतर्दृष्टि से भरी किताब है- 'टॉकिंग टु माई डॉटर: अ ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ़ कैपिटलिज़्म.' इसके लेखक हैं यानिस वारौफ़किस, जो यूनान के संकट में वित्त मंत्री भी बने. अर्थशास्त्री और दार्शनिक के रूप में उनकी ख्याति रही है. वे अर्थशास्त्र के इस ज़िक्र में साहित्य और सिनेमा भी लाते हैं. किताब उन्होंने अपनी पंद्रह साल की बिटिया को संबोधित करते हुए लिखी है- तो बहुत सरल भाषा में है.

  • नीतीश कुमार को क्या अपने 15 सालों पर भरोसा नहीं है?

    नीतीश कुमार को क्या अपने 15 सालों पर भरोसा नहीं है?

    नीतीश कुमार अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं जिन्होंने 15 साल लगातार शासन किया. दिल्ली आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार चुने जा चुके थे और लगभग 13 साल पूरे कर चुके थे. दिल्ली में शीला दीक्षित ने 15 साल पूरे किए, उसके बाद चुनाव हारीं. ओडिशा में नवीन पटनायक भी उनसे लंबे समय से सरकार चला रहे हैं.

  • कोरोना में बिहार चुनाव से किसको फायदा ?

    कोरोना में बिहार चुनाव से किसको फायदा ?

    Bihar Assembly Elections: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. 28 अक्टूबर,3 और 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 10 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. चुनाव आयोग ने इस बार कोरोना को देखते हुए बड़ी संख्या में मास्क,सेनेटाइजर और दस्तानों की व्यवस्था की है. मगर सवाल अभी भी वही बना हुआ है कि इस वक्त चुनाव कराने की क्या जरूरत थी. कोरोना के इस काल में दुनिया के करीब 60 देशों ने अपने चुनाव टाल दिए हैं तो बिहार में चुनाव के लिए इतनी हड़बड़ी क्यों की गई? आखिर इससे किसको फायदा हो रहा है ? कौन है वो जो इस चुनाव के लिए जोर लगा रहा है ? ये बात यहां इसलिए महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग से चुनाव टालने का अनुरोध विपक्षी दल जैसे आरजेडी और कांग्रेस ने तो किया ही था एनडीए में शामिल रामविलास पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी ने भी किया था.

  • 'हम लाशों के ढेर पर चुनाव क्यों नहीं चाहते...'

    'हम लाशों के ढेर पर चुनाव क्यों नहीं चाहते...'

    विगत कुछ महीनों से वर्तमान 15-वर्षीय शासन की उदासीनता और अकर्मण्यता के कारण बिहार में कोरोना महामारी विकराल रूप लेती जा रही है और स्थिति और भी विस्फोटक होने की ओर अग्रसर है, लेकिन नीतीश जी इसकी परवाह न करते हुए अपने CM पद का नवीनीकरण करने की जुगत में लगे हुए हैं.

  • तेजस्वी यादव और उनके माफ़ीनामा को बिहार की जनता कितनी गंभीरता से लेती है?

    तेजस्वी यादव और उनके माफ़ीनामा को बिहार की जनता कितनी गंभीरता से लेती है?

    तेजस्वी यादव का ये बयान उनकी सोची समझी राजनीति का हिस्सा हैं. 15 वर्ष पूर्व बिहार की सत्ता से बेदख़ल होने के बाद अपनी पार्टी की तरफ़ से इतने बेबाक़ होकर इस बात को स्वीकार करने वाले वो पहले नेता हैं.

  • राजद का भविष्य और बिहार की राजनीति की दिशा क्यों और कैसे तय करेंगे नीतीश कुमार...

    राजद का भविष्य और बिहार की राजनीति की दिशा क्यों और कैसे तय करेंगे नीतीश कुमार...

    लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति को लेकर जो भी क़यास लगाए जा रहे हैं उसके केंद्र में एक ही बात की प्रमुखता होती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा और राजद टूटेगी या अब एक बार फिर नीतीश कुमार की शरण में जाएगी.

  • नून रोटी खाएंगे, मोदिए को ले आएंगे...

    नून रोटी खाएंगे, मोदिए को ले आएंगे...

    भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों को भी इस बार ये बात समझ लेनी चाहिए कि उन्होंने नरेंद्र दामोदर दास मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनाया, मोदी ने उन्हें संसद तक पहुंचाया है. अमेठी के आसमान में सुराख स्मृति ईरानी ने नहीं किया है.

  • गरीब सवर्णों को आरक्षण का नहीं, लागू करने के तरीके का विरोध कर रहे हैं...

    गरीब सवर्णों को आरक्षण का नहीं, लागू करने के तरीके का विरोध कर रहे हैं...

    अगर आपका सांसद पिछड़ा और दलित है तो उसे अपने क्षेत्र में मत घुसने दो, क्योंकि उन्होंने आपके और बहुजनों का आरक्षण बढ़ाने की मांग नहीं की. ऐसे कायर और डरपोक लोग आपके सांसद बनने के लायक नहीं हैं.

  • 'मोदी बनाम कौन' पूछने वालों को तेजस्वी यादव का जवाब

    'मोदी बनाम कौन' पूछने वालों को तेजस्वी यादव का जवाब

    पांच राज्यों के परिणाम (मैं खुद को सिर्फ तीन बड़े हिन्दी-भाषी राज्यों तक नहीं बांध रहा हूं, जहां जनता ने BJP के 15 साल के शासन को कतई खत्म कर दिया, और तेलंगाना और मिज़ोरम में तो गंभीरता से लिया तक नहीं) इस बात के सबूत हैं कि वोटर अब खोखले वादों से ऊब चुके हैं, और जुमलों के पार की सच्चाई देख सकते हैं.

  • भीड़ आख़िर इतनी अराजक क्यों हो रही है?

    भीड़ आख़िर इतनी अराजक क्यों हो रही है?

    आज एक ऐसी कहानी पर बात करेंगे जिसके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. ऐसी बहुत ही कम कहानियां होती हैं जिनके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं होता. ऐसी कहानियों को हर खेमे के लोग बिना अपराध बोध के देख सकते हैं. देखते हुए कोई ज़िम्मेदार दिख जाए तो यह उनका दोष होगा. उनकी नज़र का कसूर होगा.

  • नीतीश चच्‍चा, आप 67 के हैं और मैं 28 का, क्‍या हुआ? - तेजस्‍वी यादव

    नीतीश चच्‍चा, आप 67 के हैं और मैं 28 का, क्‍या हुआ? - तेजस्‍वी यादव

    उन्होंने कहा, 'केवल मैं ही नहीं, आप देखेंगे कि केंद्र सरकार सभी जांच एजेंसियों को कैसे समाजवादी पार्टी और बसपा के नेताओं के खिलाफ लगा देती है.'