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Playing Gracie Darling Review: दिसंबर की सर्दी में परफेक्ट वॉ़च है 'प्लेइंग ग्रेसी डार्लिंग', जानें कैसी है वेब सीरीज
- Thursday December 4, 2025
Playing Gracie Darling Review: नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज ‘प्लेइंग ग्रेसी डार्लिंग’ रिलीज हो गई है. जानें कैसी है ये हॉरर क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज, पढ़ें मूवी रिव्यू.
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क्या दीपिका 'ब्रह्मास्त्र' में एक्स बॉयफ्रेंड रणबीर की मां के रोल में हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हुई फोटो
- Saturday September 10, 2022
फैंस दावा कर रहे हैं कि ब्रह्मास्त्र में दीपिका पादुकोण भी हैं. यूजर्स का कहना है कि दीपिका में अपने एक्स बॉयफ्रेंड रणबीर कपूर की मां के रोल में हैं.
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Becoming Elizabeth Review: जानें कैसी है 'बिकमिंग एलिजाबेथ' वेब सीरीज
- Tuesday August 30, 2022
Becoming Elizabeth Review: इस तरह एक्टिंग, कहानी और ट्रीटमेंट के लिहाज से यह एक शानदार सीरीज है जो हिस्टोरिकल ड्रामा पसंद करने वालों को खूब पसंद आने वाली है.
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नाट्य समीक्षा : भारत रंग महोत्सव में आज के हालात का स्वाद देने वाले 'सुदामा के चावल'
- Tuesday February 11, 2020
- Suryakant Pathak
भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता की पौराणिक कथा दोस्ती की मिसाल के रूप में उद्धृत की जाने वाली कहानी है. लेकिन इस सीधी सपाट कहानी में सुदामा के चरित्र का कोई प्रतिपक्ष भी हो सकता है. द्वापर युग के सुदामा के चरित्र की यदि कलयुग की परिस्थितियों में कल्पना की जाए तो उसमें आज की दूषित मानसिकता भी दिखाई दे सकती है. कहानी वही है, चरित्र भी वही हैं लेकिन इन चरित्रों का आचार-विचार वह है जो आज के आम जीवन में देखा जाता है. नाटक 'सुदामा के चावल' में इस पौराणिक कथा की प्रभावी प्रस्तुति हुई. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रतिष्ठित आयोजन 'भारत रंग महोत्सव' के तहत रविवार को दिल्ली के कमानी थिएटर में हुई इस शानदार नाट्य प्रस्तुति का प्रेक्षकों ने जमकर आनंद लिया. प्रस्तुति के दौरान हाल कई बार तालियों और ठहाकों से गूंजा.
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नाट्य समीक्षा- बंदिश 20 से 20,000 हर्ट्ज़ : कला के प्रति प्रतिबद्धता और कलाकारों का प्रतिरोध
- Monday May 29, 2017
कलाकार को किसके साथ होना चाहिए- विचार के साथ, व्यक्ति के साथ या कला के साथ? उसे अपने ऊपर पड़ रहे तमाम दबावों से कैसे निकलना चाहिए? एक कलाकार के भीतर कौन से संघर्ष चलते रहते हैं जिससे उसकी कला प्रभावित होती है? कला को रोकने वाली कौन सी बंदिशें है और उनसे कैसे पार पाना है? ऐसे कुछ सवालों पर गायन कला के माध्यम से नाट्य प्रस्तुति‘बंदिश 20 से 20,000 हर्ट्ज़’ अपना नजरिया प्रस्तुत करती है. प्रस्तुति में हिंदुस्तानी संगीत में पिछली डेढ़ सदी में हुए परिवर्तन, कलाकारों की स्थिति और भीतरी राजनीति के प्रश्न और बेचैनियां बहुत सूक्ष्मता से उभरते हैं. प्रस्तुति में अतीत के साथ समकालीनता की भी महीन बुनाई है.
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भारत रंग महोत्सव : अक्करमाशी, दलित शोषण के चरम को उघाड़ती नाट्य प्रस्तुति
- Friday February 17, 2017
जब भी जाति का प्रश्न आता है तो कुछ लोग इसको सिरे से नकारने के लिए खड़े हो जाते हैं. वैसे शहरों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने जाति का अनुभव उस तरह से नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या नगण्य है. जाति और इससे जुड़ी घटनाओं की सच्चाई से इनकार करना वैसा ही है जैसे घर के पीछे की तरफ नाला है तो खिड़की को ही बंद कर लेना. जबकि बजबजाता हुआ नाला बदस्तूर बहता रहता है. इस बजबजाहट की सबसे कारुणिक और रोष भरी अभिव्यक्तियां हमें उन आत्मकथाओं में मिलती हैं जिन्हें जातिगत व्यवस्था में हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों ने इसकी भीषणता का सामना करते हुए दर्ज किया है. इसे हम दलित साहित्य के नाम से जानते हैं.
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युद्ध के विरुद्ध एक गजब की अदा ऐसी भी...
- Monday October 10, 2016
- Suryakant Pathak
जब युद्ध के खिलाफ जनभावनाएं अलग-अलग माध्यमों में व्यक्त हो रही हैं तब यह विचार रंगमंच पर भी अवतरित हुआ. दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल ने युद्ध की विभीषिका पर केंद्रित नाटक 'गजब तेरी अदा' का प्रदर्शन किया. 'गजब तेरी अदा' में 'अदा' क्या है? 'अदा' वास्तव में उस स्त्री समाज की है जो हमेशा से युद्ध के कुप्रभावों को सबसे अधिक सहने के लिए अभिशप्त रही है.
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Playing Gracie Darling Review: दिसंबर की सर्दी में परफेक्ट वॉ़च है 'प्लेइंग ग्रेसी डार्लिंग', जानें कैसी है वेब सीरीज
- Thursday December 4, 2025
Playing Gracie Darling Review: नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज ‘प्लेइंग ग्रेसी डार्लिंग’ रिलीज हो गई है. जानें कैसी है ये हॉरर क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज, पढ़ें मूवी रिव्यू.
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क्या दीपिका 'ब्रह्मास्त्र' में एक्स बॉयफ्रेंड रणबीर की मां के रोल में हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हुई फोटो
- Saturday September 10, 2022
फैंस दावा कर रहे हैं कि ब्रह्मास्त्र में दीपिका पादुकोण भी हैं. यूजर्स का कहना है कि दीपिका में अपने एक्स बॉयफ्रेंड रणबीर कपूर की मां के रोल में हैं.
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Becoming Elizabeth Review: जानें कैसी है 'बिकमिंग एलिजाबेथ' वेब सीरीज
- Tuesday August 30, 2022
Becoming Elizabeth Review: इस तरह एक्टिंग, कहानी और ट्रीटमेंट के लिहाज से यह एक शानदार सीरीज है जो हिस्टोरिकल ड्रामा पसंद करने वालों को खूब पसंद आने वाली है.
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नाट्य समीक्षा : भारत रंग महोत्सव में आज के हालात का स्वाद देने वाले 'सुदामा के चावल'
- Tuesday February 11, 2020
- Suryakant Pathak
भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता की पौराणिक कथा दोस्ती की मिसाल के रूप में उद्धृत की जाने वाली कहानी है. लेकिन इस सीधी सपाट कहानी में सुदामा के चरित्र का कोई प्रतिपक्ष भी हो सकता है. द्वापर युग के सुदामा के चरित्र की यदि कलयुग की परिस्थितियों में कल्पना की जाए तो उसमें आज की दूषित मानसिकता भी दिखाई दे सकती है. कहानी वही है, चरित्र भी वही हैं लेकिन इन चरित्रों का आचार-विचार वह है जो आज के आम जीवन में देखा जाता है. नाटक 'सुदामा के चावल' में इस पौराणिक कथा की प्रभावी प्रस्तुति हुई. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रतिष्ठित आयोजन 'भारत रंग महोत्सव' के तहत रविवार को दिल्ली के कमानी थिएटर में हुई इस शानदार नाट्य प्रस्तुति का प्रेक्षकों ने जमकर आनंद लिया. प्रस्तुति के दौरान हाल कई बार तालियों और ठहाकों से गूंजा.
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नाट्य समीक्षा- बंदिश 20 से 20,000 हर्ट्ज़ : कला के प्रति प्रतिबद्धता और कलाकारों का प्रतिरोध
- Monday May 29, 2017
कलाकार को किसके साथ होना चाहिए- विचार के साथ, व्यक्ति के साथ या कला के साथ? उसे अपने ऊपर पड़ रहे तमाम दबावों से कैसे निकलना चाहिए? एक कलाकार के भीतर कौन से संघर्ष चलते रहते हैं जिससे उसकी कला प्रभावित होती है? कला को रोकने वाली कौन सी बंदिशें है और उनसे कैसे पार पाना है? ऐसे कुछ सवालों पर गायन कला के माध्यम से नाट्य प्रस्तुति‘बंदिश 20 से 20,000 हर्ट्ज़’ अपना नजरिया प्रस्तुत करती है. प्रस्तुति में हिंदुस्तानी संगीत में पिछली डेढ़ सदी में हुए परिवर्तन, कलाकारों की स्थिति और भीतरी राजनीति के प्रश्न और बेचैनियां बहुत सूक्ष्मता से उभरते हैं. प्रस्तुति में अतीत के साथ समकालीनता की भी महीन बुनाई है.
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भारत रंग महोत्सव : अक्करमाशी, दलित शोषण के चरम को उघाड़ती नाट्य प्रस्तुति
- Friday February 17, 2017
जब भी जाति का प्रश्न आता है तो कुछ लोग इसको सिरे से नकारने के लिए खड़े हो जाते हैं. वैसे शहरों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने जाति का अनुभव उस तरह से नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या नगण्य है. जाति और इससे जुड़ी घटनाओं की सच्चाई से इनकार करना वैसा ही है जैसे घर के पीछे की तरफ नाला है तो खिड़की को ही बंद कर लेना. जबकि बजबजाता हुआ नाला बदस्तूर बहता रहता है. इस बजबजाहट की सबसे कारुणिक और रोष भरी अभिव्यक्तियां हमें उन आत्मकथाओं में मिलती हैं जिन्हें जातिगत व्यवस्था में हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों ने इसकी भीषणता का सामना करते हुए दर्ज किया है. इसे हम दलित साहित्य के नाम से जानते हैं.
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युद्ध के विरुद्ध एक गजब की अदा ऐसी भी...
- Monday October 10, 2016
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जब युद्ध के खिलाफ जनभावनाएं अलग-अलग माध्यमों में व्यक्त हो रही हैं तब यह विचार रंगमंच पर भी अवतरित हुआ. दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल ने युद्ध की विभीषिका पर केंद्रित नाटक 'गजब तेरी अदा' का प्रदर्शन किया. 'गजब तेरी अदा' में 'अदा' क्या है? 'अदा' वास्तव में उस स्त्री समाज की है जो हमेशा से युद्ध के कुप्रभावों को सबसे अधिक सहने के लिए अभिशप्त रही है.
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