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बजट 2025-27 पर मंथन शुरू, उद्योग संघ ने नए इनकम टैक्स कानून में बदलाव का दिया सुझाव!
- Thursday October 30, 2025
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्रा, Edited by: समरजीत सिंह
संदीप चौफला ने आगे कहा कि बढे हुए US Tariffs के असर से निपटने के लिए सरकार भारतीय एक्सपोर्टरों के लिए नए बाज़ार विकसित करना चाहती है.
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राज्यों की सहमति पर जीएसटी के दायरे में लाए जा सकते हैं पेट्रोलियम उत्पाद : निर्मला सीतारमण
- Wednesday February 15, 2023
- Reported by: भाषा, Edited by: सूर्यकांत पाठक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि राज्यों के सहमत होने पर पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (GST) के तहत लाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ साल से सरकार का प्रयास आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के इरादे से सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करने का रहा है. उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के सदस्यों के साथ बजट पश्चात बैठक में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर प्रावधान पहले से उपलब्ध है. मेरे पूर्ववर्ती ने इस संदर्भ में विकल्प खुला रखा है.’’
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कमजोर रुपये से और प्रभावित हो सकता है व्यापार घाटा और कैड
- Sunday July 14, 2013
- Bhasha
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष सुमन ज्योति खेतान ने कहा ‘यदि रुपये में गिरावट जारी रहती है तो भारत का व्यापार घाटा हरसंभव सीमापार कर जाएगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय निवेश कम होगा जिससे वृद्धि में सुधार की संभावनाएं प्रभावित होंगी।’
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संदीप चौफला ने आगे कहा कि बढे हुए US Tariffs के असर से निपटने के लिए सरकार भारतीय एक्सपोर्टरों के लिए नए बाज़ार विकसित करना चाहती है.
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राज्यों की सहमति पर जीएसटी के दायरे में लाए जा सकते हैं पेट्रोलियम उत्पाद : निर्मला सीतारमण
- Wednesday February 15, 2023
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि राज्यों के सहमत होने पर पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (GST) के तहत लाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ साल से सरकार का प्रयास आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के इरादे से सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करने का रहा है. उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के सदस्यों के साथ बजट पश्चात बैठक में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर प्रावधान पहले से उपलब्ध है. मेरे पूर्ववर्ती ने इस संदर्भ में विकल्प खुला रखा है.’’
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कमजोर रुपये से और प्रभावित हो सकता है व्यापार घाटा और कैड
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