Memoirs Of Hudhud
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निहाल किदवई की कलम से : हुदहुद की यादें-3
- Wednesday October 22, 2014
- Nihal Kidwai)
मैं, अपने कैमरा सहयोगी गोविन्द के साथ आर के बीच पहुंचा। बारिश काफी तेज़ हो चुकी थी और हवा की रफ्तार भी इतनी तेज़ थी कि कई बार खड़े होने में कदम डगमगा जाते। रिपोर्ट रिकॉर्ड करना मुश्किल हो रहा था।
- ndtv.in
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निहाल किदवई की कलम से : हुदहुद की यादें-2
- Wednesday October 22, 2014
- Nihal Kidwai)
हम लोग सुबह तकरीबन 0430 इस उम्मीद से उठे की सुबह की बुलेटिन के लिए वीडियो और कुछ रिपोर्ट भेज दे। होटल का दरवाज़ा खोलते ही पहला झटका लगा जब काफी तेज़ बह रही हवा ने ये साफ़ कर दिया कि ओबी वैन का डिश नहीं खोली जा सकती।
- ndtv.in
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निहाल किदवई की कलम से : हुदहुद की यादें-3
- Wednesday October 22, 2014
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मैं, अपने कैमरा सहयोगी गोविन्द के साथ आर के बीच पहुंचा। बारिश काफी तेज़ हो चुकी थी और हवा की रफ्तार भी इतनी तेज़ थी कि कई बार खड़े होने में कदम डगमगा जाते। रिपोर्ट रिकॉर्ड करना मुश्किल हो रहा था।
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हम लोग सुबह तकरीबन 0430 इस उम्मीद से उठे की सुबह की बुलेटिन के लिए वीडियो और कुछ रिपोर्ट भेज दे। होटल का दरवाज़ा खोलते ही पहला झटका लगा जब काफी तेज़ बह रही हवा ने ये साफ़ कर दिया कि ओबी वैन का डिश नहीं खोली जा सकती।
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