Labor Law
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20 घंटे एक्स्ट्रा काम करने से किया इंकार, रिकॉर्डतोड़ काम के बाद भी कंपनी ने निकाल बाहर किया, सोशल मीडिया पर सुनाई अपनी आपबीती
- Thursday October 3, 2024
- Written by: शालिनी सेंगर
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक एंप्लॉय की आपबीती ने लोगों का ध्यान खींच रखा है, जिसे उसने रेडिट पर शेयर किया है. बताया जा रहा है कि, एंप्लॉय को कुछ कारणों की वजह से नौकरी से हाथ तक धोना पड़ गया.
- ndtv.in
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कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों के लिए अच्छी खबर : सालभर की नौकरी के बाद ही हो जाएंगे ग्रेच्युटी पाने के हकदार
- Monday October 17, 2022
- Edited by: वंदना
नए लेबर कोड में प्रस्तावित बदलाव से कर्मचारी के रिटायरमेंट फंड और ग्रेच्युटी की रकम में भी इजाफा होगा. पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार, एक निजी कंपनी में एक कर्मचारी पांच साल की सर्विस के बाद ग्रेच्युटी लाभ का दावा करने के लिए पात्र है.
- ndtv.in
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RSS से जुड़े मजदूर संगठन का श्रम मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन, 3 लेबर कोड बिल के खिलाफ जताया विरोध
- Wednesday October 28, 2020
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: नवीन कुमार
भारतीय मजदूर संघ का आरोप है की सभी लेबर कोड बिल में बदलाव की जो मांग उन्होंने संसद की स्थाई समिति के सामने रखी थी, उसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया.
- ndtv.in
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श्रम कानूनों पर 3 साल की रोक का मामला हुआ इंटरनेशनल, ILO ने PM मोदी से मामले में दखल की मांग की
- Wednesday May 27, 2020
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: तूलिका कुशवाहा
लॉकडाउन के दौरान श्रम सुधार और श्रम कानूनों (Labor Laws) को कुछ राज्यों में स्थगित करने पर विवाद उठ रहा है. अब ये मामला संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एजेंसी इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन यानी ILO (International Labor Organization) के कोर्ट में पहुंच गया है.
- ndtv.in
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Lockdown: तीन राज्यों में हुए श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
- Thursday May 14, 2020
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
Lockdown: विदेशी निवेशकों को भारत लाने के मकसद से श्रम कानून में हुए बदलाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है. झारखंड के सोशल एक्टिविस्ट पंकज कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में श्रमिकों के कानून को कमजोर और शिथिल बनाने का अध्यादेश जारी हुआ है. श्रम कानून में संशोधन तीन महीने से लेकर तीन वर्षों तक के लिए अलग अलग राज्यों में किया गया है.
- ndtv.in
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श्रम कानून में बदलाव श्रमिकों के हित में होना चाहिए, उनके अहित में नहीं : मायावती
- Saturday May 9, 2020
- Reported by: भाषा
उन्होंने कहा, ‘इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है?' बसपा नेता ने कहा, ‘देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिए, जिससे खासकर कारखानों/निजी संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए वहीं ठहरने आदि की व्यवस्था हो. किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो. ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए.’
- ndtv.in
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'दिल्ली सरकार श्रम कानूनों को लागू करने में पूरी तरह विफल रही'
- Friday January 4, 2019
- Reported by: मोहम्मद अतहरुद्दीन मुन्ने भारती
दिल्ली सरकार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 कानून और दिल्ली के अन्य सभी श्रम कानूनों को लागू करने में पूरी तरह से विफल है, जो दिल्ली के 65 लाख श्रमिकों को उनके मूल वैधानिक अधिकारों से वंचित करते हैं. श्रमिक दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं.
- ndtv.in
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20 घंटे एक्स्ट्रा काम करने से किया इंकार, रिकॉर्डतोड़ काम के बाद भी कंपनी ने निकाल बाहर किया, सोशल मीडिया पर सुनाई अपनी आपबीती
- Thursday October 3, 2024
- Written by: शालिनी सेंगर
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक एंप्लॉय की आपबीती ने लोगों का ध्यान खींच रखा है, जिसे उसने रेडिट पर शेयर किया है. बताया जा रहा है कि, एंप्लॉय को कुछ कारणों की वजह से नौकरी से हाथ तक धोना पड़ गया.
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कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों के लिए अच्छी खबर : सालभर की नौकरी के बाद ही हो जाएंगे ग्रेच्युटी पाने के हकदार
- Monday October 17, 2022
- Edited by: वंदना
नए लेबर कोड में प्रस्तावित बदलाव से कर्मचारी के रिटायरमेंट फंड और ग्रेच्युटी की रकम में भी इजाफा होगा. पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार, एक निजी कंपनी में एक कर्मचारी पांच साल की सर्विस के बाद ग्रेच्युटी लाभ का दावा करने के लिए पात्र है.
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RSS से जुड़े मजदूर संगठन का श्रम मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन, 3 लेबर कोड बिल के खिलाफ जताया विरोध
- Wednesday October 28, 2020
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: नवीन कुमार
भारतीय मजदूर संघ का आरोप है की सभी लेबर कोड बिल में बदलाव की जो मांग उन्होंने संसद की स्थाई समिति के सामने रखी थी, उसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया.
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श्रम कानूनों पर 3 साल की रोक का मामला हुआ इंटरनेशनल, ILO ने PM मोदी से मामले में दखल की मांग की
- Wednesday May 27, 2020
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: तूलिका कुशवाहा
लॉकडाउन के दौरान श्रम सुधार और श्रम कानूनों (Labor Laws) को कुछ राज्यों में स्थगित करने पर विवाद उठ रहा है. अब ये मामला संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एजेंसी इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन यानी ILO (International Labor Organization) के कोर्ट में पहुंच गया है.
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Lockdown: तीन राज्यों में हुए श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
- Thursday May 14, 2020
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
Lockdown: विदेशी निवेशकों को भारत लाने के मकसद से श्रम कानून में हुए बदलाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है. झारखंड के सोशल एक्टिविस्ट पंकज कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में श्रमिकों के कानून को कमजोर और शिथिल बनाने का अध्यादेश जारी हुआ है. श्रम कानून में संशोधन तीन महीने से लेकर तीन वर्षों तक के लिए अलग अलग राज्यों में किया गया है.
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श्रम कानून में बदलाव श्रमिकों के हित में होना चाहिए, उनके अहित में नहीं : मायावती
- Saturday May 9, 2020
- Reported by: भाषा
उन्होंने कहा, ‘इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है?' बसपा नेता ने कहा, ‘देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिए, जिससे खासकर कारखानों/निजी संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए वहीं ठहरने आदि की व्यवस्था हो. किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो. ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए.’
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'दिल्ली सरकार श्रम कानूनों को लागू करने में पूरी तरह विफल रही'
- Friday January 4, 2019
- Reported by: मोहम्मद अतहरुद्दीन मुन्ने भारती
दिल्ली सरकार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 कानून और दिल्ली के अन्य सभी श्रम कानूनों को लागू करने में पूरी तरह से विफल है, जो दिल्ली के 65 लाख श्रमिकों को उनके मूल वैधानिक अधिकारों से वंचित करते हैं. श्रमिक दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं.
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