Kunwar Narayan
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साहित्य और कला का अद्वितीय संगम : कुंवर नारायण और सीरज सक्सेना
- Thursday October 17, 2024
- पूनम अरोड़ा
दो कलाओं का यह संगम अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे कला और साहित्य मिलकर नए रूप में प्रकट हो सकते हैं. इस प्रकार के रचनात्मक प्रयोग हमारे समाज में कला और साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका को और भी स्पष्ट करते हैं. वे यह सिद्ध करते हैं कि कला और साहित्य केवल देखने या पढ़ने की वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि वे मानवता की गहरी समझ, संवेदनाओं और विचारों को प्रकट करने के सशक्त और संवेदनशील माध्यम भी हैं.
- ndtv.in
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कुंवर नारायण : समय होगा, हम अचानक बीत जाएंगे
- Wednesday November 15, 2017
- धर्मेंद्र सिंह
कुंवर नारायण को यह पता था- 'घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएंगे/ समय होगा,हम अचानक बीत जाएंगे/ अनर्गल जिंदगी ढोते किसी दिन हम/ एक आशय तक पहुंच सहसा बहुत थक जाएंगे..
- ndtv.in
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कुंवर नारायण : मानो जीवन मृत्यु के पहले का बवाल हो
- Wednesday November 15, 2017
- प्रियदर्शन
कई बार असावधानी से पढ़ते हुए कुंवर नारायण किसी को बहुत मामूली कवि लग सकते हैं- ऐसे ठंडे कवि जो काव्योचित ऊष्मा पैदा नहीं करते. उनमें सूक्तियां चली आती हैं, व्यंग्य चला आता है, बहुधा सामान्य ढंग से कही गई बातें चली आती हैं. मगर ध्यान से देखें तो यही मामूलीपन कुंवर नारायण को बड़ा बनाता है. उनको पढ़ते हुए अचानक हम पाते हैं कि यह सिर्फ कविता नहीं है, एक पूरा सभ्यता विमर्श है जो अपने निष्कर्षों को लेकर बेहद चौकन्ना भी है. यह अनायास नहीं है कि मिथकों और इतिहास को अपनी कविता का रसायन बनाते हुए भी कुंवर नारायण उनके भव्य अर्थों के प्रलोभन में नहीं फंसते, उन्हें बिल्कुल समकालीन और आधुनिक मूल्यों की कसौटी पर कसते हैं. ऐसा भी नहीं कि वे किसी 'पॉलिटिकल करेक्टनेस' को निभाने की कोशिश करते हों, वे बस उन्हें एक ज़रूरी और छूटा हुआ अर्थ देते हैं जिससे कविता अचानक प्रासंगिक हो उठती है.
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साहित्य और कला का अद्वितीय संगम : कुंवर नारायण और सीरज सक्सेना
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दो कलाओं का यह संगम अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे कला और साहित्य मिलकर नए रूप में प्रकट हो सकते हैं. इस प्रकार के रचनात्मक प्रयोग हमारे समाज में कला और साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका को और भी स्पष्ट करते हैं. वे यह सिद्ध करते हैं कि कला और साहित्य केवल देखने या पढ़ने की वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि वे मानवता की गहरी समझ, संवेदनाओं और विचारों को प्रकट करने के सशक्त और संवेदनशील माध्यम भी हैं.
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- Wednesday November 15, 2017
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कुंवर नारायण को यह पता था- 'घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएंगे/ समय होगा,हम अचानक बीत जाएंगे/ अनर्गल जिंदगी ढोते किसी दिन हम/ एक आशय तक पहुंच सहसा बहुत थक जाएंगे..
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