पिछले दिनों जब कुंवर नारायण और केदारनाथ सिंह का निधन हुआ तो किसी के पास इन महान कवियों की अच्छी तस्वीरें तक नहीं थीं. जिन्हें न जाने कितने लोगों ने पढ़ा होगा. कितनों की ज़िंदगी बदली होगी. हिन्दी के समाज में पाठक की कमी नहीं है लेकिन जो हीरो है उसकी एक तस्वीर तक न हो, यादें न हों ये अच्छी बात नहीं है.