विज्ञापन

Gm Mustard Farming

'Gm Mustard Farming' - 3 News Result(s)
  • GEAC ने जेनेटिकली मॉडीफाइड सरसों को दी हरी झंडी, अब आयात पर निर्भरता होगी खत्म

    GEAC ने जेनेटिकली मॉडीफाइड सरसों को दी हरी झंडी, अब आयात पर निर्भरता होगी खत्म

    आज भारत सिर्फ 8.5 से 9 मिलियन टन तक खाद्य तेल का उत्पादन करता है, जो खपत से काफी कम है. यही कारण है कि हर साल 1 लाख करोड़ की लागत से 65 फीसदी खाद्य तेल का आयात होता है. अब जीएम सरसों से आयात पर निर्भरता कम होगी ही, लेकिन जब उत्पादन बढेगा तो भारत इसके बड़े आयातक के रूप में उभर सकता है.

  • प्राइम टाइम इंट्रो : अहम सवाल, देश में जीएम सरसों की पैदावार होनी चाहिए?

    प्राइम टाइम इंट्रो : अहम सवाल, देश में जीएम सरसों की पैदावार होनी चाहिए?

    हजारों साल से प्राकृतिक सरसों हमारे भरोसे का साथी रहा है. प्राकृतिक सरसों इसलिए कहा क्योंकि अब एक नया सरसों आ सकता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में जेनेटिकली मोडिफाइड मस्टर्ड कहते हैं. हिन्दी में जीएम सरसों कह सकते हैं. पूरी दुनिया में जीएम फूड यानी जेनिटिकली मोडिफाइड अनाजों के खाने और असर को लेकर बहस चल रही है. भारत में इस बहस का नतीजा यह निकला कि 2010 में बीटी ब्रिंजल, बीटी बैंगन पर रोक लगा दी गई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी जीईएसी ने पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएम मस्टर्ड की व्यावसायिक खेती की अनुमति दी जा सकती है. पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट में जीएम फूड को लेकर सवाल-जवाब छापे गए हैं. इसमें कहा गया है कि सारे जीएम फूड को हम एक तराजू पर नहीं तौल सकते.

  • जीएम सरसों को क्या मिलेगी हरी झंडी? सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फिर सवाल उठाए

    जीएम सरसों को क्या मिलेगी हरी झंडी? सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फिर सवाल उठाए

    सरकार अगर अपने रुख पर कायम रही तो हमारे खेतों में जल्दी ही सरसों की ऐसी फसल उगाई जाएगी जिसमें जीएम यानी जैनेटिकली मॉडिफाइड बीजों का इस्तेमाल होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी फसल की पैदावार अधिक होगी और यह कृषि क्षेत्र में क्रांति आने जैसा होगा. लेकिन जीएम सरसों को लेकर विवाद बना हुआ है और दिल्ली में आज फिर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कुछ सवाल उठाए.

'Gm Mustard Farming' - 3 News Result(s)
  • GEAC ने जेनेटिकली मॉडीफाइड सरसों को दी हरी झंडी, अब आयात पर निर्भरता होगी खत्म

    GEAC ने जेनेटिकली मॉडीफाइड सरसों को दी हरी झंडी, अब आयात पर निर्भरता होगी खत्म

    आज भारत सिर्फ 8.5 से 9 मिलियन टन तक खाद्य तेल का उत्पादन करता है, जो खपत से काफी कम है. यही कारण है कि हर साल 1 लाख करोड़ की लागत से 65 फीसदी खाद्य तेल का आयात होता है. अब जीएम सरसों से आयात पर निर्भरता कम होगी ही, लेकिन जब उत्पादन बढेगा तो भारत इसके बड़े आयातक के रूप में उभर सकता है.

  • प्राइम टाइम इंट्रो : अहम सवाल, देश में जीएम सरसों की पैदावार होनी चाहिए?

    प्राइम टाइम इंट्रो : अहम सवाल, देश में जीएम सरसों की पैदावार होनी चाहिए?

    हजारों साल से प्राकृतिक सरसों हमारे भरोसे का साथी रहा है. प्राकृतिक सरसों इसलिए कहा क्योंकि अब एक नया सरसों आ सकता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में जेनेटिकली मोडिफाइड मस्टर्ड कहते हैं. हिन्दी में जीएम सरसों कह सकते हैं. पूरी दुनिया में जीएम फूड यानी जेनिटिकली मोडिफाइड अनाजों के खाने और असर को लेकर बहस चल रही है. भारत में इस बहस का नतीजा यह निकला कि 2010 में बीटी ब्रिंजल, बीटी बैंगन पर रोक लगा दी गई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी जीईएसी ने पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएम मस्टर्ड की व्यावसायिक खेती की अनुमति दी जा सकती है. पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट में जीएम फूड को लेकर सवाल-जवाब छापे गए हैं. इसमें कहा गया है कि सारे जीएम फूड को हम एक तराजू पर नहीं तौल सकते.

  • जीएम सरसों को क्या मिलेगी हरी झंडी? सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फिर सवाल उठाए

    जीएम सरसों को क्या मिलेगी हरी झंडी? सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फिर सवाल उठाए

    सरकार अगर अपने रुख पर कायम रही तो हमारे खेतों में जल्दी ही सरसों की ऐसी फसल उगाई जाएगी जिसमें जीएम यानी जैनेटिकली मॉडिफाइड बीजों का इस्तेमाल होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी फसल की पैदावार अधिक होगी और यह कृषि क्षेत्र में क्रांति आने जैसा होगा. लेकिन जीएम सरसों को लेकर विवाद बना हुआ है और दिल्ली में आज फिर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कुछ सवाल उठाए.