Chinmay Mishra
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नर्मदा घाटी: लड़ाई तो जीती मगर युद्ध जारी है..
- Friday February 10, 2017
- चिन्मय मिश्र
सरदार सरोवर बांध को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन (नबआ) की याचिका पर अंततः सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ ही गया. तीन दशक की कानूनी लड़ाई के बाद आए फैसले ने प्रसिद्ध चिंतक व पत्रकार प्रभाष जोशी के इस कथन की याद दिला दी कि 'फैसला हुआ है न्याय नहीं.’ इस बार हम शायद दो कदम आगे बढ़े हैं क्योंकि इस फैसले ने 'नबआ' की नैतिकता को ठोस आधार प्रदान कर दिया है.
- ndtv.in
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गांधी, विनोबा और जेपी के बाद अनुपम ही थे, जिन्हें समाज पर पूरा भरोसा था...
- Thursday December 22, 2016
- चिन्मय मिश्र
अनुपम जी का यूं पर्दा कर लेना बहुत भाया नहीं. उन्होंने जीवन में पहली बार कोई मनमानी की. मगर एक बार ऐसा करने का हक तो उन्हें भी है. आसन्न मृत्यु को इतनी सहजता और शांति से ग्रहण करने वाले को क्या संज्ञा दी जा सकती है? उन्हीं से कैंसर की खबर पाकर फोन हाथ में जम सा गया और आंखें सूख गईं. क्योंकि उनमें पानी लाने वाला अब डूब रहा था. मगर विश्वास था कि तूफान भी उनका हौसला तोड़ नहीं पाएगा क्योंकि उनकी तो नदी से दोस्ती है.
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सरदार सरोवर बांध को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन (नबआ) की याचिका पर अंततः सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ ही गया. तीन दशक की कानूनी लड़ाई के बाद आए फैसले ने प्रसिद्ध चिंतक व पत्रकार प्रभाष जोशी के इस कथन की याद दिला दी कि 'फैसला हुआ है न्याय नहीं.’ इस बार हम शायद दो कदम आगे बढ़े हैं क्योंकि इस फैसले ने 'नबआ' की नैतिकता को ठोस आधार प्रदान कर दिया है.
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अनुपम जी का यूं पर्दा कर लेना बहुत भाया नहीं. उन्होंने जीवन में पहली बार कोई मनमानी की. मगर एक बार ऐसा करने का हक तो उन्हें भी है. आसन्न मृत्यु को इतनी सहजता और शांति से ग्रहण करने वाले को क्या संज्ञा दी जा सकती है? उन्हीं से कैंसर की खबर पाकर फोन हाथ में जम सा गया और आंखें सूख गईं. क्योंकि उनमें पानी लाने वाला अब डूब रहा था. मगर विश्वास था कि तूफान भी उनका हौसला तोड़ नहीं पाएगा क्योंकि उनकी तो नदी से दोस्ती है.
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