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Biharcandidates2020

'Biharcandidates2020' - 5 News Result(s)
  • Bihar Election 2020: पूरब के 'लेनिनग्राद' में बदलते समीकरणों के बीच अब 'साख' दांव पर

    Bihar Election 2020: पूरब के 'लेनिनग्राद' में बदलते समीकरणों के बीच अब 'साख' दांव पर

    लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की बेगूसराय सीट पर पूरे देश की नजरें थीं. यहां से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और अपने बयानों के लिए मशहूर गिरिराज सिंह का मुकाबला वामपंथी राजनीति के इस समय पोस्टर ब्बॉय और सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार से था. लेकिन बाजी आखिरकार गिरिराज सिंह के ही हाथ लगी और कन्हैया कुमार को हार का सामना करना पड़ा. यह सीट अपने आप में कई ऐतिहासिक और राजनीतिक नामकरणों को लिए भी मशहूर है. बेगूसराय को पूरब का लेनिनग्राद भी कहा जाता है. 2019 के चुनाव से पहले ही कन्हैया के भाषण सोशल मीडिया पर खूब देखे जा रहे थे. बिहार की राजनीति में एक युवा नेता का उभार एक समय तो तेजस्वी यादव के लिए भी बड़ा खतरा बनते देखा गया. कहा तो यह भी जाता है कि कन्हैया कुमार को हराने के लिए ही आरजेडी ने तनवीर हसन को लोकसभा चुनाव में उतार दिया था. हालांकि आरजेडी का कहना था साल 2014 में तनवीर हसन सिर्फ 60 हजार वोटों से हारे थे इसलिए कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिए उनको चुनाव में उतारा गया है. फिलहाल इस सच्चाई से नकारा नहीं जा सकता है कि इसका फायदा गिरिराज सिंह को ही मिला था. 

  • कट्टर संघी और BJP के दूसरे मोदी को कितना जानते हैं आप

    कट्टर संघी और BJP के दूसरे मोदी को कितना जानते हैं आप

    1952 में जन्में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बीएस कॉलेज, पटना से बीएससी की डिग्री ली है.  पटना विश्वविद्यालय के छात्र नेता रहे सुशील मोदी 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में महासचिव पद का चुनाव जीत चुके हैं. इसी दौरान लालू यादव  पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष  थे. इस लिहाज से उन दिनों लालू यादव सुशील मोदी के बॉस थे.  सुशील मोदी बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के भी सदस्य बने. ये वही संगठन है जिसने 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में बिहार के प्रसिद्ध छात्र आंदोलन को पूरे देश में फैलाया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में घोषित आपालकाल के दौरान सुशील मोदी मीसा कानून के तहत 5 बार गिरफ्तार किये गये और इस दौरान उन्हें 24 महीने जेल में रहना पड़ा. 

  • तेज प्रताप यादव, तेजस्वी के लिए क्यों हैं चुनाव में बड़ा फैक्टर?

    तेज प्रताप यादव, तेजस्वी के लिए क्यों हैं चुनाव में बड़ा फैक्टर?

    लालू यादव परिवार के सबसे अलबेले सदस्य हैं तेज प्रताप यादव. वो कब क्या बयान दे देगें कोई नहीं जानता लेकिन उसका असर कितना होगा इसका अंदाजा खुद तेज प्रताप भी नहीं लगा पाते हैं. लेकिन तेज और तेजस्वी यादव दोनों की तुलना करें तो कई बार तेज प्रताप के भाषणों में लालू प्रसाद यादव का असर दिख जाता है. उनके भाषणों में तंज लालू प्रसाद यादव जैसे ही होते हैं. लेकिन तेज प्रताप के साथ दिक्कत ये है कि उनके साथ विवादों की एक लंबी फेरहिस्त भी जुड़ती चली जा रही है.

  • तेजस्वी यादव क्या इस बार बन पाएंगे मुख्यमंत्री?

    तेजस्वी यादव क्या इस बार बन पाएंगे मुख्यमंत्री?

    बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. चुनाव आयोग ने भी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं और माना जा रहा है कि अब जल्द ही तारीखों का ऐलान हो सकता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कह दिया है कि कोरोन संक्रमण की वजह से चुनाव को नहीं टाला जा सकता है. हालांकि विपक्षी दलों का मानना है कि इस महामारी के बीच चुनाव कराना ठीक नहीं है. इसके पीछे विपक्षी दलों की अपनी भी कुछ चिंताए हैं. हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला है. एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले से ही चेहरा घोषित हैं. लेकिन आरजेडी जहां तेजस्वी यादव को इस पद का दावेदार मान रही है लेकिन महागठबंधन की ओर से अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा भी नहीं की गई है. एनडीए की तरह ही महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान है. इतना ही नहीं खुद आरजेडी में भी तेजस्वी से कई बड़े नेता अक्सर नाराज दिख जाते हैं. 

  • बिहार विधानसभा चुनाव :  नालंदा के 'मुन्ना' से लेकर 'सुशासन बाबू' तक का सफर

    बिहार विधानसभा चुनाव : नालंदा के 'मुन्ना' से लेकर 'सुशासन बाबू' तक का सफर

    'नालंदा के मुन्ना' से लेकर बिहार के ‘सुशासन बाबू’ तक का सफर तय कर चुके नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री पद का सफर तय कर चुके हैं. वैद्य राम लखन सिंह के बेटे नीतीश कुमार का जन्म  एक मई 1950 को पटना के बख्तियारपुर में हुआ था.  पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. छात्र जीवन में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. वह जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में भी शामिल हुए. 1985 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे. 1987 में उन्हें युवा लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया था. 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया. इसी साल वह बिहार से दिल्ली की ओर बढ़े और नौंवी लोकसभा के सांसद बने थे. 

'Biharcandidates2020' - 5 News Result(s)
  • Bihar Election 2020: पूरब के 'लेनिनग्राद' में बदलते समीकरणों के बीच अब 'साख' दांव पर

    Bihar Election 2020: पूरब के 'लेनिनग्राद' में बदलते समीकरणों के बीच अब 'साख' दांव पर

    लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की बेगूसराय सीट पर पूरे देश की नजरें थीं. यहां से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और अपने बयानों के लिए मशहूर गिरिराज सिंह का मुकाबला वामपंथी राजनीति के इस समय पोस्टर ब्बॉय और सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार से था. लेकिन बाजी आखिरकार गिरिराज सिंह के ही हाथ लगी और कन्हैया कुमार को हार का सामना करना पड़ा. यह सीट अपने आप में कई ऐतिहासिक और राजनीतिक नामकरणों को लिए भी मशहूर है. बेगूसराय को पूरब का लेनिनग्राद भी कहा जाता है. 2019 के चुनाव से पहले ही कन्हैया के भाषण सोशल मीडिया पर खूब देखे जा रहे थे. बिहार की राजनीति में एक युवा नेता का उभार एक समय तो तेजस्वी यादव के लिए भी बड़ा खतरा बनते देखा गया. कहा तो यह भी जाता है कि कन्हैया कुमार को हराने के लिए ही आरजेडी ने तनवीर हसन को लोकसभा चुनाव में उतार दिया था. हालांकि आरजेडी का कहना था साल 2014 में तनवीर हसन सिर्फ 60 हजार वोटों से हारे थे इसलिए कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिए उनको चुनाव में उतारा गया है. फिलहाल इस सच्चाई से नकारा नहीं जा सकता है कि इसका फायदा गिरिराज सिंह को ही मिला था. 

  • कट्टर संघी और BJP के दूसरे मोदी को कितना जानते हैं आप

    कट्टर संघी और BJP के दूसरे मोदी को कितना जानते हैं आप

    1952 में जन्में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बीएस कॉलेज, पटना से बीएससी की डिग्री ली है.  पटना विश्वविद्यालय के छात्र नेता रहे सुशील मोदी 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में महासचिव पद का चुनाव जीत चुके हैं. इसी दौरान लालू यादव  पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष  थे. इस लिहाज से उन दिनों लालू यादव सुशील मोदी के बॉस थे.  सुशील मोदी बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के भी सदस्य बने. ये वही संगठन है जिसने 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में बिहार के प्रसिद्ध छात्र आंदोलन को पूरे देश में फैलाया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में घोषित आपालकाल के दौरान सुशील मोदी मीसा कानून के तहत 5 बार गिरफ्तार किये गये और इस दौरान उन्हें 24 महीने जेल में रहना पड़ा. 

  • तेज प्रताप यादव, तेजस्वी के लिए क्यों हैं चुनाव में बड़ा फैक्टर?

    तेज प्रताप यादव, तेजस्वी के लिए क्यों हैं चुनाव में बड़ा फैक्टर?

    लालू यादव परिवार के सबसे अलबेले सदस्य हैं तेज प्रताप यादव. वो कब क्या बयान दे देगें कोई नहीं जानता लेकिन उसका असर कितना होगा इसका अंदाजा खुद तेज प्रताप भी नहीं लगा पाते हैं. लेकिन तेज और तेजस्वी यादव दोनों की तुलना करें तो कई बार तेज प्रताप के भाषणों में लालू प्रसाद यादव का असर दिख जाता है. उनके भाषणों में तंज लालू प्रसाद यादव जैसे ही होते हैं. लेकिन तेज प्रताप के साथ दिक्कत ये है कि उनके साथ विवादों की एक लंबी फेरहिस्त भी जुड़ती चली जा रही है.

  • तेजस्वी यादव क्या इस बार बन पाएंगे मुख्यमंत्री?

    तेजस्वी यादव क्या इस बार बन पाएंगे मुख्यमंत्री?

    बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. चुनाव आयोग ने भी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं और माना जा रहा है कि अब जल्द ही तारीखों का ऐलान हो सकता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कह दिया है कि कोरोन संक्रमण की वजह से चुनाव को नहीं टाला जा सकता है. हालांकि विपक्षी दलों का मानना है कि इस महामारी के बीच चुनाव कराना ठीक नहीं है. इसके पीछे विपक्षी दलों की अपनी भी कुछ चिंताए हैं. हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला है. एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले से ही चेहरा घोषित हैं. लेकिन आरजेडी जहां तेजस्वी यादव को इस पद का दावेदार मान रही है लेकिन महागठबंधन की ओर से अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा भी नहीं की गई है. एनडीए की तरह ही महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान है. इतना ही नहीं खुद आरजेडी में भी तेजस्वी से कई बड़े नेता अक्सर नाराज दिख जाते हैं. 

  • बिहार विधानसभा चुनाव :  नालंदा के 'मुन्ना' से लेकर 'सुशासन बाबू' तक का सफर

    बिहार विधानसभा चुनाव : नालंदा के 'मुन्ना' से लेकर 'सुशासन बाबू' तक का सफर

    'नालंदा के मुन्ना' से लेकर बिहार के ‘सुशासन बाबू’ तक का सफर तय कर चुके नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री पद का सफर तय कर चुके हैं. वैद्य राम लखन सिंह के बेटे नीतीश कुमार का जन्म  एक मई 1950 को पटना के बख्तियारपुर में हुआ था.  पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. छात्र जीवन में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. वह जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में भी शामिल हुए. 1985 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे. 1987 में उन्हें युवा लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया था. 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया. इसी साल वह बिहार से दिल्ली की ओर बढ़े और नौंवी लोकसभा के सांसद बने थे.