लॉन्चिंग के दौरान स्टीव जॉब्स
नई दिल्ली:
5 अक्टूबर को स्टीव जॉब्स की डेथ एनिवर्सरी है. स्टीव जॉब्स को सक्सेसफुल बिजनेसमेन के साथ ही एक बेहद समझदार और सुलझा हुआ इंसान माना जाता है. दुनिया भर में अपने नाम का डंका बजवाने वाले स्टीव की मौत 5 अक्टूबर 2011 को पैन्क्रीऐटिक केंसर की वजह से हुई थी. हम आपको बताने जा रहे हैं स्टीव जॉब्स के ऐसे फैक्ट्स जो बहुत कम लोग जानते हैं.
चाहे यूएसबी को स्टैंडर्ड बनाने की बात हो या फिर आईपॉड के जरिए गानों को आसानी से सुनने की सहूलियत, लगभग अपने हर प्रोडक्ट के जरिए एप्पल कंपनी ने तकनीकी क्षेत्र में बदलाव करने के बेहतर विकल्पों को सुझाया है. कमाई के मामले में भी कंपनी ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. कैसे एप्पल और स्टीव जॉब्स ने 2001 से 2007 तक नए-नए प्रोडक्ट्स तैयार किए.
पढ़ें- जानिए मरते वक्त क्या थे स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द, इसलिए हुई थी मौत
1. नए फोन का आइडिया
2004-2005 में मोटोरोला के नए फोन ROKR के कैंपेन के संबंध में जॉब्स ने मोटोरोला के सीईओ एड जेंडर (Ed Zander) से बात की. उसी समय उन्हें आइडिया आया कि क्यों न फोन में कैमरा और ipod को एक ही डिवाइस में रखा जाए.
पढ़ें- स्टीव जॉब्स का भारत से खास नाता, उत्तराखंड में सेब खाकर बिताए थे 15 दिन
स्टीव हमेशा कुछ नया करने के बारे में सोचते थे. इसके साथ ही कन्जयूमर की सहूवियत का भी उन्होंने बखूबी ध्यान रखा. उन्होंने प्रो-डिवाइस डेस्कटॉप और पोर्टेबल डिवाइस के बारे में सोचा. कभी सोचा नहीं था कि आईफोन में iPods, MacBooks भी हो सकते हैं. 2005 में उन्हें लगा कि iPods का आइडिया बेहतर है, लेकिन जॉब्स इस बात से चिंतित थे कि कहीं दूसरे फोन एप्पल के प्रोडक्ट को नुकसान ना पहुंचाए.
2. खुद ही किया काम
ROKR को 2005 में लॉन्च किया गया. Wired मैगजीन ने जब इसी फोन के बारे में जॉब्स से पूछा कि क्या इसे आप भविष्य का फोन कह सकते हैं, तो जॉब्स ने गुस्से में कहा कि वे बहुत हैरान हैं. मोटोरोला जैसी कंपनी के साथ डील की. इसके बाद उन्होंने मीटिंग में घोषणा की कि वे खुद अपना काम करेंगे. यही वो समय था जब नए आईफोन ने जन्म लिया.
पढ़ें- स्टीव जॉब्स की वो बातें जो आपकी सोच बदल देगी
3. iPod को मॉडिफाई किया
जॉब्स ने एप्पल की टीम के साथ प्लानिंग शुरू की. वो ऐसा फोन बनाना चाहते थे, जिसे खुद भी यूज कर सकें. 2002 से 2005 के बीच एप्पल नया और सीक्रेट डिवाइस बनाना चाहता था, जो टैबलेट और आईपैड जैसा हो. इसी आइडिया के साथ आईपैड को डेवलप किया गया, जिसकी वजह से आईफोन को शेप मिला.
इसी समय माइक्रोसॉफ्ट भी stylus के साथ टैबलेट पीसी सॉफ्टवेयर डिवाइस बना रहा था. जॉब्स को लगा कि यह एप्पल के टैबलेट का प्रतियोगी हो सकता है, लेकिन उन्हें लगा कि stylus के साथ कोई भी डिवाइस बनाना गलती करना होगा. जब वे माइक्रोसॉफ्ट का सॉफ्टवेयर बनाने वाले व्यक्ति से डिनर पर मिले तो उन्हें इस डिवाइस के बारे में पता चल गया था. उन्होंने अपनी टीम से पूछा, 'क्या आप एक नया मल्टी टच, टच सेन्सिटिव डिस्प्ले बनाने में मेरा साथ देंगे?' टीम तैयार हो गई और लगातार 6 महीने तक काम किया गया.
4. यही भविष्य है
एप्पल डिवाइस मल्टी टच, टच सेन्सिटिव डिस्प्ले की टीम के साथ Jony Ive ने काम करना शुरू किया. जॉन ने कम्प्यूटर स्क्रीन में मल्टी टच टेक्नोलॉजी के प्लान के बारे में जॉब्स से कोई चर्चा नहीं की थी. वे जानते थे कि यदि वे स्टीव के साथ बात करेंगे, तो वह तुरंत अपना सुझाव देंगे और वे ऐसा नहीं चाहते थे.
Ive को लगा कि जिस प्रोजेक्ट पर टीम काम कर रही है, यदि जॉब्स ने उनका समर्थन नहीं किया तो उनका मनोबल टूट जाएगा. इसलिए उन्होंने जॉब्स के सामने निजी तौर पर डिवाइस का डेमॉन्स्ट्रेशन दिया. जॉब्स को पसंद आया और उन्होंने कहा, यही भविष्य है. फोन के साथ मल्टी टच स्क्रीन को लोगों द्वारा स्वीकार करने के लिए आईपैड का प्रोजेक्ट होल्ड कर दिया गया. एप्पल ने अपना सारा ध्यान आईफोन पर लगा दिया.
5. एप्पल का पहला आईफोन
कंपनी ने अपना पूरा ध्यान Delaware द्वारा बनाए जा रहे टच सेन्सिटिव प्रोडेक्ट (टैबलेट) और ट्रैकपैड पर रखा. कंपनी फोन के डिस्प्ले पर finger gestures जैसे pinches, swipe पर काम रही थी और चाहती थी कि यह जल्दी ही एक्शन में आ जाए. 2005 में एप्पल ने अपने डिवाइस पर फिंगर वर्क को अपनाया. इस डिवाइस में एप्पल ने रुचि दिखाई. वे इसे अपने ट्रैकपैड के लिए यूज करना चाहते थे। कंपनी को लगा कि यही वो आईफोन है, जिसे वे चाहती है. इस प्रोसेस को पूरा होने में 8 महीने लगे.
चाहे यूएसबी को स्टैंडर्ड बनाने की बात हो या फिर आईपॉड के जरिए गानों को आसानी से सुनने की सहूलियत, लगभग अपने हर प्रोडक्ट के जरिए एप्पल कंपनी ने तकनीकी क्षेत्र में बदलाव करने के बेहतर विकल्पों को सुझाया है. कमाई के मामले में भी कंपनी ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. कैसे एप्पल और स्टीव जॉब्स ने 2001 से 2007 तक नए-नए प्रोडक्ट्स तैयार किए.
पढ़ें- जानिए मरते वक्त क्या थे स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द, इसलिए हुई थी मौत
1. नए फोन का आइडिया
2004-2005 में मोटोरोला के नए फोन ROKR के कैंपेन के संबंध में जॉब्स ने मोटोरोला के सीईओ एड जेंडर (Ed Zander) से बात की. उसी समय उन्हें आइडिया आया कि क्यों न फोन में कैमरा और ipod को एक ही डिवाइस में रखा जाए.
पढ़ें- स्टीव जॉब्स का भारत से खास नाता, उत्तराखंड में सेब खाकर बिताए थे 15 दिन
स्टीव हमेशा कुछ नया करने के बारे में सोचते थे. इसके साथ ही कन्जयूमर की सहूवियत का भी उन्होंने बखूबी ध्यान रखा. उन्होंने प्रो-डिवाइस डेस्कटॉप और पोर्टेबल डिवाइस के बारे में सोचा. कभी सोचा नहीं था कि आईफोन में iPods, MacBooks भी हो सकते हैं. 2005 में उन्हें लगा कि iPods का आइडिया बेहतर है, लेकिन जॉब्स इस बात से चिंतित थे कि कहीं दूसरे फोन एप्पल के प्रोडक्ट को नुकसान ना पहुंचाए.
2. खुद ही किया काम
ROKR को 2005 में लॉन्च किया गया. Wired मैगजीन ने जब इसी फोन के बारे में जॉब्स से पूछा कि क्या इसे आप भविष्य का फोन कह सकते हैं, तो जॉब्स ने गुस्से में कहा कि वे बहुत हैरान हैं. मोटोरोला जैसी कंपनी के साथ डील की. इसके बाद उन्होंने मीटिंग में घोषणा की कि वे खुद अपना काम करेंगे. यही वो समय था जब नए आईफोन ने जन्म लिया.
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3. iPod को मॉडिफाई किया
जॉब्स ने एप्पल की टीम के साथ प्लानिंग शुरू की. वो ऐसा फोन बनाना चाहते थे, जिसे खुद भी यूज कर सकें. 2002 से 2005 के बीच एप्पल नया और सीक्रेट डिवाइस बनाना चाहता था, जो टैबलेट और आईपैड जैसा हो. इसी आइडिया के साथ आईपैड को डेवलप किया गया, जिसकी वजह से आईफोन को शेप मिला.
इसी समय माइक्रोसॉफ्ट भी stylus के साथ टैबलेट पीसी सॉफ्टवेयर डिवाइस बना रहा था. जॉब्स को लगा कि यह एप्पल के टैबलेट का प्रतियोगी हो सकता है, लेकिन उन्हें लगा कि stylus के साथ कोई भी डिवाइस बनाना गलती करना होगा. जब वे माइक्रोसॉफ्ट का सॉफ्टवेयर बनाने वाले व्यक्ति से डिनर पर मिले तो उन्हें इस डिवाइस के बारे में पता चल गया था. उन्होंने अपनी टीम से पूछा, 'क्या आप एक नया मल्टी टच, टच सेन्सिटिव डिस्प्ले बनाने में मेरा साथ देंगे?' टीम तैयार हो गई और लगातार 6 महीने तक काम किया गया.
4. यही भविष्य है
एप्पल डिवाइस मल्टी टच, टच सेन्सिटिव डिस्प्ले की टीम के साथ Jony Ive ने काम करना शुरू किया. जॉन ने कम्प्यूटर स्क्रीन में मल्टी टच टेक्नोलॉजी के प्लान के बारे में जॉब्स से कोई चर्चा नहीं की थी. वे जानते थे कि यदि वे स्टीव के साथ बात करेंगे, तो वह तुरंत अपना सुझाव देंगे और वे ऐसा नहीं चाहते थे.
Ive को लगा कि जिस प्रोजेक्ट पर टीम काम कर रही है, यदि जॉब्स ने उनका समर्थन नहीं किया तो उनका मनोबल टूट जाएगा. इसलिए उन्होंने जॉब्स के सामने निजी तौर पर डिवाइस का डेमॉन्स्ट्रेशन दिया. जॉब्स को पसंद आया और उन्होंने कहा, यही भविष्य है. फोन के साथ मल्टी टच स्क्रीन को लोगों द्वारा स्वीकार करने के लिए आईपैड का प्रोजेक्ट होल्ड कर दिया गया. एप्पल ने अपना सारा ध्यान आईफोन पर लगा दिया.
5. एप्पल का पहला आईफोन
कंपनी ने अपना पूरा ध्यान Delaware द्वारा बनाए जा रहे टच सेन्सिटिव प्रोडेक्ट (टैबलेट) और ट्रैकपैड पर रखा. कंपनी फोन के डिस्प्ले पर finger gestures जैसे pinches, swipe पर काम रही थी और चाहती थी कि यह जल्दी ही एक्शन में आ जाए. 2005 में एप्पल ने अपने डिवाइस पर फिंगर वर्क को अपनाया. इस डिवाइस में एप्पल ने रुचि दिखाई. वे इसे अपने ट्रैकपैड के लिए यूज करना चाहते थे। कंपनी को लगा कि यही वो आईफोन है, जिसे वे चाहती है. इस प्रोसेस को पूरा होने में 8 महीने लगे.
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