गूगल का प्रोजेक्ट लून.
नई दिल्ली:
गूगल हमेशा कुछ नया और इनोवेटिव करने के लिए जाना जाता है. बात सेल्फ ड्राइविंग बाइक की हो... गूगल ट्रांस्लेशन हो या फिर गूगल की सेल्फ डाइविंग कार. जिंदगी को और आरामदायक बनाने के लिए गूगल हर वो चीज कर रहा है जिससे जिंदगी कठिन नहीं बल्कि आसान हो जाए. अब गूगल ने ऐसी चीज बनाने जा रहा है जिसको देखकर आप फ्लाइंड टैक्सी को भूल जाएंगे.
पढ़ें- 19वें जन्मदिन पर गूगल ने बनाया 'सरप्राइज स्पिनर'
गूगल का प्रोजेक्ट लून
गूगल ने हाल ही में प्रोजेक्ट लून की शुरुआत की है. दरअसल इसका संबंध गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट सेवा बहाल करने से है. ये प्रोजेक्ट दो तिहाई आबादी यानी 418 अरब गांव के लोगों को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है. गूगल ने इसके लिए एक अरब डॉलर की लागत से तकनीक विकसित की, इसका शेप गुब्बारे जैसा है. ये गुब्बारे बिल्डिंग पर लगे एंटिना से प्राप्त सिग्नलों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकते हैं.
पढ़ें- Facebook और Twitter के बाद चीन ने WhatsApp पर भी लगाई पाबंदी
इसे कंपनी की एक्स लैब ने विकसित किया है. हर गुब्बारा हवा में 100 दिन तक रहेगा और अपने आसपास 40 किलोमीटर के दायरे में इंटरनेट की सुविधा देगा. इसकी स्पीड 3 जी के बराबर होगी. अभी गूगल ने न्यूजीलैंड के साउथ आइसलैंड्स में ऐसे 180 गुब्बारों को लांच किए हैं.
प्रोजेक्ट मकानी
बिजली बनाने के लिए गूगल ने मकानी प्रोजेक्ट शुरू किया है. वो हूबहू पवन चक्की से दिखाई देता है और हवा में उड़कर हवा से बिजली उत्पन्न करता है. वो पवन चक्की से थोड़ा हाईटेक है क्योंकि ये उसके मुकाबले काफी ऊपर रहता है और जहां ज्यादा हवा चलती है वहां जाकर बिजली पैदा करता है.
पढ़ें- गूगल 1.1 अरब डॉलर में खरीदेगी HTC का स्मार्टफोन कारोबार, देगी पूरा कैश
प्रोजेक्ट विंग
गूगल ने 2017 तक प्रोजेक्ट विंग के तहत ड्रोन डिलीवरी सिस्टम की शुरुआत करने का ऐलान किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन से कंज्यूमर का सामान 30 मिनट के भीतर उसके घर भेजा जाएगा. कंपनी ने इस ड्रोन के काम का परीक्षण ऑस्ट्रेलिया में किया है और इस सफल टेस्टिंग के बाद इस प्रोजेक्ट के हेड डेविड वोस ने ऐलान किया है कि 2017 के आखिर तक इसे शुरू कर दिया जाएगा.
गूगल का स्काईबेंडर
गूगल पिछले साल से एक सीक्रेट प्रोजेक्ट (स्काईबेंडर) पर काम कर रही है. गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल की इस नई टेक्नोलॉजी के बाद मौजूदा 4जी सिस्टम 40 गुना ज्यादा तेजी से काम करेगा. यह टेक्नोलॉजी नेक्स्ट जनरेशन 5जी वायरलेस इंटरनेट की उपलब्धता को बढ़ाने में मददगार साबित होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, हाई फ्रिक्यूवेंसी मिलिमीटर वेव्स सैद्धांतिक रूप से हर सेकेंड गिगाबाइट डाटा को ट्रांसमिट कर सकेगी. गूगल दुनिया भर में इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ‘सेल्फ फ्लाई एयरक्राफ्ट’ उड़ाने पर विचार कर रही है.
गूगल सेल्फ ड्राइविंग कार
गूगल ने सेल्फ ड्राइविंग कार बनाई है, जो बिना ड्राइवर के चलती है. इस कार की टेस्ट ड्राइव भी ली जा चुकी है. इस कार में रुकने और चलने के लिए एक बटन तो होगा, लेकिन नियंत्रण के लिए स्टीयरिंग या पैडल नहीं हैं. गूगल की इस कार की तस्वीरों से पता चलता है कि यह आम शहरी कारों की तरह जाने-पहचाने आकार वाली है और इस तरह से उसका डिजाइन किया गया है कि सामने से सुरक्षित होने का अहसास दे. कुल मिलाकर गूगल उन सभी चीजों पर काम कर रही है जो दुनिया को और हाईटेक बना देगी.
पढ़ें- 19वें जन्मदिन पर गूगल ने बनाया 'सरप्राइज स्पिनर'
गूगल का प्रोजेक्ट लून
गूगल ने हाल ही में प्रोजेक्ट लून की शुरुआत की है. दरअसल इसका संबंध गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट सेवा बहाल करने से है. ये प्रोजेक्ट दो तिहाई आबादी यानी 418 अरब गांव के लोगों को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है. गूगल ने इसके लिए एक अरब डॉलर की लागत से तकनीक विकसित की, इसका शेप गुब्बारे जैसा है. ये गुब्बारे बिल्डिंग पर लगे एंटिना से प्राप्त सिग्नलों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकते हैं.
पढ़ें- Facebook और Twitter के बाद चीन ने WhatsApp पर भी लगाई पाबंदी
इसे कंपनी की एक्स लैब ने विकसित किया है. हर गुब्बारा हवा में 100 दिन तक रहेगा और अपने आसपास 40 किलोमीटर के दायरे में इंटरनेट की सुविधा देगा. इसकी स्पीड 3 जी के बराबर होगी. अभी गूगल ने न्यूजीलैंड के साउथ आइसलैंड्स में ऐसे 180 गुब्बारों को लांच किए हैं.
प्रोजेक्ट मकानी
बिजली बनाने के लिए गूगल ने मकानी प्रोजेक्ट शुरू किया है. वो हूबहू पवन चक्की से दिखाई देता है और हवा में उड़कर हवा से बिजली उत्पन्न करता है. वो पवन चक्की से थोड़ा हाईटेक है क्योंकि ये उसके मुकाबले काफी ऊपर रहता है और जहां ज्यादा हवा चलती है वहां जाकर बिजली पैदा करता है.
पढ़ें- गूगल 1.1 अरब डॉलर में खरीदेगी HTC का स्मार्टफोन कारोबार, देगी पूरा कैश
प्रोजेक्ट विंग
गूगल ने 2017 तक प्रोजेक्ट विंग के तहत ड्रोन डिलीवरी सिस्टम की शुरुआत करने का ऐलान किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन से कंज्यूमर का सामान 30 मिनट के भीतर उसके घर भेजा जाएगा. कंपनी ने इस ड्रोन के काम का परीक्षण ऑस्ट्रेलिया में किया है और इस सफल टेस्टिंग के बाद इस प्रोजेक्ट के हेड डेविड वोस ने ऐलान किया है कि 2017 के आखिर तक इसे शुरू कर दिया जाएगा.
ये ड्रोन सेल्यूलर और इंटरनेट टेक्नोलॉजी को यूज करके कस्टमर्स के एड्रेस तक पहुंचेंगे. गूगल के ये ड्रोन 2.3 किलो तक का सामान ढोने में सक्षम होंगे. इस ड्रोन का प्रोटोटाइप ऑस्ट्रेलिया में उड़ाया गया जो 1.5 मीटर चौड़ा और 0.8 मीटर ऊंचा था और इसमें सामान रखने के लिए 4 प्रोपेलर क्वाड कॉप्टर लगे थे.Watching baby steps of drone delivery, courtesy of Google X (5 miles in 5 mins is the promise) #zg15 pic.twitter.com/Xk2KyTRURP
— Aaref Hilaly (@aaref) October 19, 2015
गूगल का स्काईबेंडर
गूगल पिछले साल से एक सीक्रेट प्रोजेक्ट (स्काईबेंडर) पर काम कर रही है. गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल की इस नई टेक्नोलॉजी के बाद मौजूदा 4जी सिस्टम 40 गुना ज्यादा तेजी से काम करेगा. यह टेक्नोलॉजी नेक्स्ट जनरेशन 5जी वायरलेस इंटरनेट की उपलब्धता को बढ़ाने में मददगार साबित होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, हाई फ्रिक्यूवेंसी मिलिमीटर वेव्स सैद्धांतिक रूप से हर सेकेंड गिगाबाइट डाटा को ट्रांसमिट कर सकेगी. गूगल दुनिया भर में इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ‘सेल्फ फ्लाई एयरक्राफ्ट’ उड़ाने पर विचार कर रही है.
गूगल सेल्फ ड्राइविंग कार
गूगल ने सेल्फ ड्राइविंग कार बनाई है, जो बिना ड्राइवर के चलती है. इस कार की टेस्ट ड्राइव भी ली जा चुकी है. इस कार में रुकने और चलने के लिए एक बटन तो होगा, लेकिन नियंत्रण के लिए स्टीयरिंग या पैडल नहीं हैं. गूगल की इस कार की तस्वीरों से पता चलता है कि यह आम शहरी कारों की तरह जाने-पहचाने आकार वाली है और इस तरह से उसका डिजाइन किया गया है कि सामने से सुरक्षित होने का अहसास दे. कुल मिलाकर गूगल उन सभी चीजों पर काम कर रही है जो दुनिया को और हाईटेक बना देगी.