मनु भाकर को एशियाई खेलों में भारत के लिए पदक का दावेदार माना जा रहा है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
महज 16 साल की उम्र में देश के लिये कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्डकप का स्वर्ण पदक जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर का इस साल का कार्यक्रम काफी व्यस्त है लेकिन इससे वह जरा भी परेशान नहीं हैं. अनुभव हासिल करने के लिए हरियाणा की मनु जूनियर और सीनियर स्तर के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेना जारी रखेंगी. मेक्सिको में हुए सत्र के पहले आईएसएसएफ वर्ल्डकप में पदार्पण करते हुए मनु ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल में दो बार की चैम्पियन एलेजांद्रा जवाला को पछाड़कर स्वर्ण पदक जीता. इस जीत के साथ वह वर्ल्डकप में सोने का तमगा हासिल करने वाली युवा भारतीय निशानेबाज बन गईं. इसमें उन्होंने ओम प्रकाश मिथरवाल के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा का भी स्वर्ण अपनी झोली में डाला. हाल में उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में नया रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाला. अपने दो साल के निशानेबाजी करियर में मनु ने इतना शानदार प्रदर्शन कर सभी को हैरान किया है.
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मनु को आज यहां डेली हाइजीन ब्रांड ‘पीसेफ’ ने अपना पहला ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया, इस दौरान उन्होंने इस साल के व्यस्त कार्यक्रम के बारे में प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘अभी मैं जर्मनी में सीनियर और जूनियर वर्ल्डकप में भाग लूंगी, इसके बाद एशियाई खेल होंगे, फिर युवा ओलिंपिक खेल और फिर वर्ल्ड चैम्पियनशिप भी है.’वह साल के अंत तक केवल 18 या 20 दिन तक ही भारत में रहेंगी.यह पूछने पर कि सीनियर स्तर पर मिली इस अपार सफलता के बाद उन्हें जूनियर के बजाय सीनियर प्रतियोगिताओं पर ही ध्यान नहीं लगाना चाहिए तो इस युवा शूटर ने कहा, ‘बिलकुल नहीं, मैं अनुभव हासिल करना चाहती हूं. देखिये जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं और सीनियर स्तर की प्रतियोगिताओं का स्तर काफी अलग होता है, दोनों की चुनौतियां अलग अलग होती हैं. इससे आपको अनुभव मिलता है. इससे आप टूर्नामेंट से पहले दबाव से निपटना सीखते हैं.’
हालांकि वह वर्ल्डकप में वर्ल्ड चैंपियन निशानेबाज को हरा चुकी हैं, लेकिन 18 अगस्त से दो सितंबर तक होने वाले एशियाई खेलों की चुनौती कॉमनवेल्थ गेम्स में मिली प्रतिस्पर्धा से काफी अलग होगी. एशियाई खेलों में चुनौती को देखते हुए पूछने पर कि वह किस तरह से तैयारी कर रही हैं तो मनु ने बड़ी बेबाकी से जवाब देते हुए कहा, ‘पदक ऐसे नहीं मिलता, आपको किसी भी प्रतिस्पर्धा में पदक लेना पड़ता है. मुझे पता है कि एशियाई खेलों में बहुत सारे मजबूत दावेदार होते हैं लेकिन मैं हर टूर्नामेंट में अपना सर्वश्रेष्ठ करती हूं. वैसे मैं मानती हूं कि जो गिर के उठते हैं, वो ही चैम्पियन होते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखे हूं, उम्मीद करते हैं कि मैं देश को गौरवान्वित करना जारी रखते हुए देश को पदक दिलाना जारी रखूंगी.’
वीडियो: मशहूर शूटर अभिनव बिंद्रा से खास बातचीत...
मनु का पूरा परिवार इस मौके पर मौजूद था. पिता रामकिशन भाकर से पूछने कि टूर्नामेंट से पहले मनु को किसी तरह का मानसिक दबाव होता है तो उन्होंने कहा, ‘वह किसी लक्ष्य को दिमाग में बिठाकर भाग नहीं लेती कि उसे स्वर्ण, रजत या कांस्य पदक जीतना है. वह सिर्फ अपने निशाने पर ध्यान लगाती है जिससे उस पर कोई दबाव नहीं होता. वह सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ करती है. वह इस बात से वाकिफ है कि जीतना और हारना तो खेल का हिस्सा है. ’बेटी का कौन सा पदक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है तो मनु के पिता ने कहा, ‘सीनियर वर्ल्डकप में पदार्पण के दौरान मनु के स्वर्ण पदक ने उन्हें सबसे ज्यादा खुशी प्रदान की.’मनु की मां सुमेधा खुद स्कूल की प्रिंसिपल हैं जो अपने बच्चों पर रोक टोक लगाने पर भरोसा नहीं करती. उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा (अखिल भाकर) पढ़ाई करना चाहता था और मनु खेलों में जाना चाहती थी. मैं रोक-टोक पर भरोसा नहीं करती क्योंकि इससे उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ता है.’मनु अभी 12वीं कक्षा में है तो वह इस साल सिर्फ कुछ ही दिन भारत में रहेगी तो पढ़ाई कैसे करेगी, इस पर उन्होंने कहा, ‘दसवीं की परीक्षा में भी मैंने जनवरी और फरवरी में उसे पढ़ाया था और वह अच्छे नंबर से पास हुई. अब 12वीं की परीक्षा भी ऐसे ही देगी.’(इनपुट: भाषा)
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मनु को आज यहां डेली हाइजीन ब्रांड ‘पीसेफ’ ने अपना पहला ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया, इस दौरान उन्होंने इस साल के व्यस्त कार्यक्रम के बारे में प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘अभी मैं जर्मनी में सीनियर और जूनियर वर्ल्डकप में भाग लूंगी, इसके बाद एशियाई खेल होंगे, फिर युवा ओलिंपिक खेल और फिर वर्ल्ड चैम्पियनशिप भी है.’वह साल के अंत तक केवल 18 या 20 दिन तक ही भारत में रहेंगी.यह पूछने पर कि सीनियर स्तर पर मिली इस अपार सफलता के बाद उन्हें जूनियर के बजाय सीनियर प्रतियोगिताओं पर ही ध्यान नहीं लगाना चाहिए तो इस युवा शूटर ने कहा, ‘बिलकुल नहीं, मैं अनुभव हासिल करना चाहती हूं. देखिये जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं और सीनियर स्तर की प्रतियोगिताओं का स्तर काफी अलग होता है, दोनों की चुनौतियां अलग अलग होती हैं. इससे आपको अनुभव मिलता है. इससे आप टूर्नामेंट से पहले दबाव से निपटना सीखते हैं.’
हालांकि वह वर्ल्डकप में वर्ल्ड चैंपियन निशानेबाज को हरा चुकी हैं, लेकिन 18 अगस्त से दो सितंबर तक होने वाले एशियाई खेलों की चुनौती कॉमनवेल्थ गेम्स में मिली प्रतिस्पर्धा से काफी अलग होगी. एशियाई खेलों में चुनौती को देखते हुए पूछने पर कि वह किस तरह से तैयारी कर रही हैं तो मनु ने बड़ी बेबाकी से जवाब देते हुए कहा, ‘पदक ऐसे नहीं मिलता, आपको किसी भी प्रतिस्पर्धा में पदक लेना पड़ता है. मुझे पता है कि एशियाई खेलों में बहुत सारे मजबूत दावेदार होते हैं लेकिन मैं हर टूर्नामेंट में अपना सर्वश्रेष्ठ करती हूं. वैसे मैं मानती हूं कि जो गिर के उठते हैं, वो ही चैम्पियन होते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखे हूं, उम्मीद करते हैं कि मैं देश को गौरवान्वित करना जारी रखते हुए देश को पदक दिलाना जारी रखूंगी.’
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मनु का पूरा परिवार इस मौके पर मौजूद था. पिता रामकिशन भाकर से पूछने कि टूर्नामेंट से पहले मनु को किसी तरह का मानसिक दबाव होता है तो उन्होंने कहा, ‘वह किसी लक्ष्य को दिमाग में बिठाकर भाग नहीं लेती कि उसे स्वर्ण, रजत या कांस्य पदक जीतना है. वह सिर्फ अपने निशाने पर ध्यान लगाती है जिससे उस पर कोई दबाव नहीं होता. वह सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ करती है. वह इस बात से वाकिफ है कि जीतना और हारना तो खेल का हिस्सा है. ’बेटी का कौन सा पदक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है तो मनु के पिता ने कहा, ‘सीनियर वर्ल्डकप में पदार्पण के दौरान मनु के स्वर्ण पदक ने उन्हें सबसे ज्यादा खुशी प्रदान की.’मनु की मां सुमेधा खुद स्कूल की प्रिंसिपल हैं जो अपने बच्चों पर रोक टोक लगाने पर भरोसा नहीं करती. उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा (अखिल भाकर) पढ़ाई करना चाहता था और मनु खेलों में जाना चाहती थी. मैं रोक-टोक पर भरोसा नहीं करती क्योंकि इससे उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ता है.’मनु अभी 12वीं कक्षा में है तो वह इस साल सिर्फ कुछ ही दिन भारत में रहेगी तो पढ़ाई कैसे करेगी, इस पर उन्होंने कहा, ‘दसवीं की परीक्षा में भी मैंने जनवरी और फरवरी में उसे पढ़ाया था और वह अच्छे नंबर से पास हुई. अब 12वीं की परीक्षा भी ऐसे ही देगी.’(इनपुट: भाषा)
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