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This Article is From Jul 22, 2018

अलवर मॉब लिंचिंग : सामने आई गंभीर लापरवाही, पीड़ित को घंटों घुमाती रही पुलिस

पुलिस पीड़ित को उस घायल हालत में पहले अस्पताल न ले जाकर घंटों तक घुमाती रही. तो अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुलिस की लापरवाही के चलते ही रकबर की जान गई?

अलवर मॉब लिंचिंग : सामने आई गंभीर लापरवाही, पीड़ित को घंटों घुमाती रही पुलिस
अलवर: राजस्थान के अलवर में गोरक्षा के नाम पर भीड़ ने पीट-पीट कर अकबर नाम के व्यक्ति की जान ले ली. इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. भीड़ की हिंसा दिनों दिन डरा रही है और अगर इस हिंसा में पुलिस की लापरवाही भी शामिल हो जाए तो ये और ख़तरनाक हो जाती है. अलवर में शुक्रवार और शनिवार की रात गौ तस्करी के शक़ में रकबर नाम के जिस युवक की जान गई, वो भीड़ द्वारा पीटे जाने से हुई या इसमें पुलिस की भूमिका थी? ये चौंकानेवाला सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इस मामले में अब कुछ सनसनीखेज़ तथ्य सामने आ रहे हैं. एनडीटीवी की तफ़्तीश में जानकारी मिली है कि रकबर भीड़ के हाथों जितना घायल नहीं हुआ उससे ज़्यादा वो पुलिस की हिरासत में हुआ और यही उसकी जान जाने की वजह बनी. यही नहीं, पुलिस घायल रकबर को सीधे अस्पताल भी नहीं ले गई, बल्कि ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां वहां घुमाती रही, थाने ले गई. वो अस्पताल तब पहुंचा जब उसकी मौत हो चुकी थी. इस बीच पुलिस थाने में रकबर के साथ क्या हुआ इस पर पर्दा अभी नहीं उठा है. लेकिन अब आरोप लग रहा है कि थाने में जो हुआ उसकी वजह से रकबर की जान गई. अब ख़ुद पुलिस की टीम इस मामले में संदेह के घेरे में है. वहीं ख़बर है कि एडिश्नल एसपी क्राइम और विजिलेंस इस मामले की जांच संभालेंगे. इसका मतलब है कि स्थानीय थाने से जांच हटा ली गई है. आईजी ने कहा है कि इस बात की भी जांच होगी कि रकबर को अस्पताल लाने में इतनी देरी क्यों हुई.

संसद में भले ही मॉब लिंचिंग पर चिंता जताई जा रही हो लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है. राजस्थान के अलवर में फिर से गोरक्षा के नाम पर भीड़ ने पीट-पीट कर एक शख़्स की जान ले ली. अलवर ज़िले के रामगढ़ में गो-तस्करी के शक़ में रकबर नाम के शख़्स की भीड़ ने मार मार कर हत्या कर दी. शुक्रवार रात रकबर अपने साथी के साथ गाय लेकर जा रहा था. अचानक इन दोनों पर भीड़ ने हमला कर दिया. इस हमले में रकबर की जान चली गई जबकि उसका साथी किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग गया. मृतक रकबर हरियाणा के नूंह ज़िले का रहने वाला था.

घायल को अस्‍पताल ले जाने से पहले पुलिस जब्‍त की गई गायों को गौशाला ले गई, फिर पुलिस थाने गई और यहां तक कि चाय पीने के लिए भी रुकी. अस्‍पताल पहुंचने तक रकबर की जान जा चुकी थी. पुलिस ने कहा कि 28 वर्षीय रकबर खान की अस्‍पताल ले जाते वक्‍त रास्‍ते में मौत हो गई. उन्‍होंने अलवर के लल्‍लावंडी गांव से 3 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनके बारे में उनका कहना है कि उन पर हत्‍या का मामला दर्ज होगा.

एनडीटीवी ने पाया कि मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार पुलिस को देर रात 12:41 बजे घटना की सूचना मिली और पुलिस 1:20 बजे वहां पहुंची. एफआईआर के अनुसार नवल किशोर नाम के दक्षिण पंथी समर्थक ने पुलिस को फोन किया था.

पुलिस के साथ गए नव‍ल किशोर के अनुसार पुलिसवालों ने घायल के शरीर को धोया क्‍योंकि वह कीचड़ से सना था, उसके बाद उन्‍होंने कई अन्‍य काम किए. उनका पहला पड़ाव नवल किशोर का घर था, जहां से उन्‍होंने गाड़ी का इंतजाम किया ताकि गायों को स्‍थानीय गौशाला ले जाया जा सके.

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उनकी एक रिश्‍तेदार माया ने NDTV को बताया, 'मैंने शोर सुना. जब में बाहर आई, एक पुलिसवाला गाड़ी के अंदर एक व्‍यक्ति को पीट रहा था और गालियां दे रहा था.' जब उनसे पूछा गया कि क्‍या वह व्‍यक्ति तब भी जीवित था, उन्‍होंने हां में जवाब दिया.

VIDEO: अलवर मामला: पीड़ित पर पुलिस का सितम

इसके बाद वो चाय नाश्‍ते के लिए रुके. हालांकि घायल शख्‍स तकलीफ होने की बात कह रहा था, फिर भी पुलिसवालों ने करीब की दुकान से चाय मंगवाई और गायों को ले जाने वाली गाड़ी का इंतजार किया. दुकानदार ने बताया कि पुलिसवालों ने 4 चाय मंगवाई थी. नवल किशोर ने NDTV को बताया, 'उनका अगला पड़ाव पुलिस स्‍टेशन था जहां से वो गौशाला गए.'

जब तब पुलिस ये सब कर रही थी तब तक उस शख्‍स की मौत हो गई. पुलिस तब उसे स्‍थानीय अस्‍पताल ले गई, मेडिकल रजिस्‍टर में 4 बजे सुबह का वक्‍त दर्ज है.

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