प्रतीकात्मक फोटो.
चंडीगढ़:
पंजाब में विधानसभा चुनाव प्रचार में सभी पार्टियां किसानों का वोट हासिल करने के लिए तमाम वादे कर रही हैं. लेकिन यह वादे सिर्फ चुनावी भाषणों तक सीमित न रह जाएं इसलिए भारतीय किसान यूनियन ने किसानों की संसद बुलाई जिसमें नेताओं से जवाब तलब किया गया.
किसानों की मजलिस में नजारा संसद की तरह ही दिखा. नेता यहां भी झगड़ते नजर आए. चुनावों से पहले खेती बाड़ी के अहम मुद्दों पर किसानों ने सवाल पूछे और नेताओं ने जवाब दिए. बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सवालों का सामना किया. लेकिन किसानों का रहनुमा होने का दावा करने वाले अकाली दल को अपना नुमाइंदा भेजना गंवारा नहीं हुआ.
नेताओं से पूछा गया कि गेहूं और धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य आगे भी जारी रहेगा या नहीं? आयत शुल्क खत्म होने से विदेश का सस्ता गेहूं आने पर किसानों से खरीद होगी या नहीं? किसानों की खुदकुशी रोकने के लिए पार्टियों का क्या एक्शन प्लान होगा? और किसानों की न्यूनतम आय तय करने को लेकर क्या योजना है?
सबसे ज्यादा हंगामा किसानों की कर्ज माफी को लेकर हुआ. कांग्रेस और आप ने सरकार बनाने पर पूरा कर्ज माफ करने का वादा किया है.
आम आदमी पार्टी नेता कंवर संधू ने कहा 'हमारे पास रोडमैप है. हम सत्ता में आने के दो साल के भीतर किसानों का सारा कर्ज माफ करेंगे. कांग्रेस और अकाली-बीजेपी सिर्फ झूठे वादे कर रहे हैं.'
कांग्रेस के नेता कुलजीत नागरा ने कहा 'पंजाब का किसान सारे देश का पेट भरता है. केंद्र सरकार भी उसकी बेहतरी के लिए उतनी ही जिम्मेदार है जितनी पंजाब की. हमने वादा किया है कि कर्ज खत्म करेंगे और कुर्की नहीं होने देंगे.'
वहीं बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा,'कांग्रेस और आप दोनों पार्टियां इसलिए ऐसा वादा कर रही हैं क्योंकि इन्हें पता है कि इनकी सरकार नहीं बनेगी. मोदी जी पूरे देश के किसानों के लिए काम कर रहे हैं.'
किसानों को लग रहा है कि चुनावी हो-हल्ले में उनके मुद्दे कहीं पीछे न छूट जाएं. इसलिए लामबंद होने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता.
किसानों की मजलिस में नजारा संसद की तरह ही दिखा. नेता यहां भी झगड़ते नजर आए. चुनावों से पहले खेती बाड़ी के अहम मुद्दों पर किसानों ने सवाल पूछे और नेताओं ने जवाब दिए. बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सवालों का सामना किया. लेकिन किसानों का रहनुमा होने का दावा करने वाले अकाली दल को अपना नुमाइंदा भेजना गंवारा नहीं हुआ.
नेताओं से पूछा गया कि गेहूं और धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य आगे भी जारी रहेगा या नहीं? आयत शुल्क खत्म होने से विदेश का सस्ता गेहूं आने पर किसानों से खरीद होगी या नहीं? किसानों की खुदकुशी रोकने के लिए पार्टियों का क्या एक्शन प्लान होगा? और किसानों की न्यूनतम आय तय करने को लेकर क्या योजना है?
सबसे ज्यादा हंगामा किसानों की कर्ज माफी को लेकर हुआ. कांग्रेस और आप ने सरकार बनाने पर पूरा कर्ज माफ करने का वादा किया है.
आम आदमी पार्टी नेता कंवर संधू ने कहा 'हमारे पास रोडमैप है. हम सत्ता में आने के दो साल के भीतर किसानों का सारा कर्ज माफ करेंगे. कांग्रेस और अकाली-बीजेपी सिर्फ झूठे वादे कर रहे हैं.'
कांग्रेस के नेता कुलजीत नागरा ने कहा 'पंजाब का किसान सारे देश का पेट भरता है. केंद्र सरकार भी उसकी बेहतरी के लिए उतनी ही जिम्मेदार है जितनी पंजाब की. हमने वादा किया है कि कर्ज खत्म करेंगे और कुर्की नहीं होने देंगे.'
वहीं बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा,'कांग्रेस और आप दोनों पार्टियां इसलिए ऐसा वादा कर रही हैं क्योंकि इन्हें पता है कि इनकी सरकार नहीं बनेगी. मोदी जी पूरे देश के किसानों के लिए काम कर रहे हैं.'
किसानों को लग रहा है कि चुनावी हो-हल्ले में उनके मुद्दे कहीं पीछे न छूट जाएं. इसलिए लामबंद होने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता.
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