सीएम अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
लखनऊ:
यूपी के कैबिनेट मंत्री बलराम यादव की राज्य सरकार से छुट्टी कर दी गई है। बताया जा रहा है कि सीएम अखिलेश यादव उनसे नाराज़ थे, जिसके चलते उन पर यह कार्रवाई की गई। सूत्रों की मानें तो बलराम यादव की मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय कराने में खास भूमिका थी और इसी से अखिलेश यादव नाराज़ थे। पार्टी के नेता मनाने भी पहुंचे थे लेकिन अखिलेश अपने इरादों पर अडिग रहे।
राजनीतिक हल्कों में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे तथा यूपी के सीएम अखिलेश यादव में कुछ बातों को लेकर मतभेद है। वहीं, सपा के कद्दावर नेता और मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने दोनों के बीच तालमेल बिठाते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के सर्वेसर्वा, उनसे पूछकर ही कराया विलय कराया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि मंत्री रखना या न रखना सीएम का हक है। (अंसारी बंधु अपराध से जुड़े हैं तो क्या, धर्मनिरपेक्ष तो हैं...!)
जानकारों का यह भी कहना है कि जहां सपा प्रमुख बाहुबलियों को साथ लेने में कोई समस्या नहीं समझते वहीं, सीएम अखिलेश यादव ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। अगले साल होने वाले चुनाव से पहले अखिलेश यादव पार्टी के बाहुबलियों वाली छवि से निजात पाना चाहते हैं। यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर पार्टी पर तमाम आरोप लगते रहे हैं।
बलराम यादव का बयान
मंत्री पद से हटाए जाने के बाद बलराम यादव ने कहा कि मुझे कोई तकलीफ नहीं है। फैसले का स्वागत करता हूं। आगे जो दायित्व मिलेगा वो निभाऊंगा। हालांकि, यादव की बर्खास्तगी का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन सपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री कौमी एकता दल का सपा में विलय कराने में यादव की सक्रिय भूमिका से खफा थे, इसलिए उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।
अंसारी ने बताया था कि बलराम मिले थे
मालूम हो कि कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजल अंसारी ने दो दिन पहले कहा था कि बलराम यादव विधान परिषद और राज्यसभा के हालिया संपन्न चुनाव से पहले गत 9 जून को उनसे उनके आवास पर मिले थे और उनसे सपा का साथ देने को कहा था।
कौमी एकता दल का सपा में औपचारिक विलय हो गया। कौमी एकता दल पूर्वांचल में राजनीतिक प्रभाव रखने वाली पार्टी है और माफिया सरगना मुख्तार अंसारी मऊ से और उनके रिश्तेदार सिबगतउल्ला अंसारी मुहम्मदाबाद सीट से विधायक हैं। मुख्तार हत्या समेत कई आरोपों में पिछले कई साल से जेल में हैं। कौमी एकता दल के सपा में विलय के बाद विपक्षी दलों को सपा की घेराबंदी करने का नया मौका मिल गया है।
राजनीतिक हल्कों में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे तथा यूपी के सीएम अखिलेश यादव में कुछ बातों को लेकर मतभेद है। वहीं, सपा के कद्दावर नेता और मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने दोनों के बीच तालमेल बिठाते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के सर्वेसर्वा, उनसे पूछकर ही कराया विलय कराया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि मंत्री रखना या न रखना सीएम का हक है। (अंसारी बंधु अपराध से जुड़े हैं तो क्या, धर्मनिरपेक्ष तो हैं...!)
जानकारों का यह भी कहना है कि जहां सपा प्रमुख बाहुबलियों को साथ लेने में कोई समस्या नहीं समझते वहीं, सीएम अखिलेश यादव ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। अगले साल होने वाले चुनाव से पहले अखिलेश यादव पार्टी के बाहुबलियों वाली छवि से निजात पाना चाहते हैं। यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर पार्टी पर तमाम आरोप लगते रहे हैं।
बलराम यादव का बयान
मंत्री पद से हटाए जाने के बाद बलराम यादव ने कहा कि मुझे कोई तकलीफ नहीं है। फैसले का स्वागत करता हूं। आगे जो दायित्व मिलेगा वो निभाऊंगा। हालांकि, यादव की बर्खास्तगी का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन सपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री कौमी एकता दल का सपा में विलय कराने में यादव की सक्रिय भूमिका से खफा थे, इसलिए उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।
अंसारी ने बताया था कि बलराम मिले थे
मालूम हो कि कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजल अंसारी ने दो दिन पहले कहा था कि बलराम यादव विधान परिषद और राज्यसभा के हालिया संपन्न चुनाव से पहले गत 9 जून को उनसे उनके आवास पर मिले थे और उनसे सपा का साथ देने को कहा था।
कौमी एकता दल का सपा में औपचारिक विलय हो गया। कौमी एकता दल पूर्वांचल में राजनीतिक प्रभाव रखने वाली पार्टी है और माफिया सरगना मुख्तार अंसारी मऊ से और उनके रिश्तेदार सिबगतउल्ला अंसारी मुहम्मदाबाद सीट से विधायक हैं। मुख्तार हत्या समेत कई आरोपों में पिछले कई साल से जेल में हैं। कौमी एकता दल के सपा में विलय के बाद विपक्षी दलों को सपा की घेराबंदी करने का नया मौका मिल गया है।
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