छत्तीसगढ़ में पार्टी प्रभारी पीएल पुनिया (फाइल फोटो)
रायपुर:
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापसी के लिए कठिन प्रयास कर रही है. वर्ष 2003 के बाद से ही कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सत्ता से महरूम है, इसलिए वो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए वापसी के लिए अभी से कठिन प्रयासकर रही है. आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं करेगी. कांग्रेस के छत्तीसगढ़ पार्टी प्रभारी पी.एल. पुनिया ने बताया कि 2018 के चुनावों में पार्टी किसी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में नहीं पेश करेगी."
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस खनिजों से समृद्ध इस राज्य में 2018 के चुनावों में 'सामूहिक नेतृत्व' पर भरोसा करेगी और अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है, तो चुने गए विधायक अपना नेता बहुमत से चुनेंगे. 72 वर्षीय पुनिया ने पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधे मिलने के लिए राज्य के सभी 27 जिलों के तूफानी दौरे की योजना बनाई है.
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उन्होंने कहा, "लोग भाजपा के भ्रष्टाचार और गलत व्यवहार से तंग आ चुके हैं. कांग्रेस के लिए 2018 में दोबारा सत्ता में आने का उचित मौका है." कांग्रेस 2003 में सत्ता से बाहर हुई थी, जब अजीत जोगी के नेतृत्व में पार्टी की सरकार थी. उसके बाद से कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है.
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कांग्रेस को उस समय 2013 में तगड़ा झटका लगा था, जब प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत 30 लोग बस्तर में नक्सलियों के हमले में मारे गए थे. कांग्रेस में कई लोगों का कहना है कि पटेल की मौत के बाद पार्टी में कोई नेता ऐसा नहीं है, जिसे सभी लोग स्वीकार करें. कांग्रेस को 2016 में एक और झटका लगा, जब अजित जोगी ने अपनी अलग पार्टी बना ली.
(इनपुट एजेंसी से)
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस खनिजों से समृद्ध इस राज्य में 2018 के चुनावों में 'सामूहिक नेतृत्व' पर भरोसा करेगी और अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है, तो चुने गए विधायक अपना नेता बहुमत से चुनेंगे. 72 वर्षीय पुनिया ने पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधे मिलने के लिए राज्य के सभी 27 जिलों के तूफानी दौरे की योजना बनाई है.
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उन्होंने कहा, "लोग भाजपा के भ्रष्टाचार और गलत व्यवहार से तंग आ चुके हैं. कांग्रेस के लिए 2018 में दोबारा सत्ता में आने का उचित मौका है." कांग्रेस 2003 में सत्ता से बाहर हुई थी, जब अजीत जोगी के नेतृत्व में पार्टी की सरकार थी. उसके बाद से कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है.
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कांग्रेस को उस समय 2013 में तगड़ा झटका लगा था, जब प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत 30 लोग बस्तर में नक्सलियों के हमले में मारे गए थे. कांग्रेस में कई लोगों का कहना है कि पटेल की मौत के बाद पार्टी में कोई नेता ऐसा नहीं है, जिसे सभी लोग स्वीकार करें. कांग्रेस को 2016 में एक और झटका लगा, जब अजित जोगी ने अपनी अलग पार्टी बना ली.
(इनपुट एजेंसी से)
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