बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी का जाना माना चेहरा सिद्धार्थ नाथ सिंह इन चुनावों में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से मैदान में हैं. खुद सिद्धार्थ इस सीट से उनके चुनाव लड़ने को पीएम मोदी का ‘एक्सपेरिमेंट’ बता रहे हैं.
सिद्धार्थ नाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं. बाहुबली नेता अतीक अमहद के प्रभाव वाली और फिलहाल बीएसपी के कब्जे में चल रहे इस निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी ने सिद्धार्थ नाथ को मैदान में उतारा. सिद्धार्थ के अंकल चौधरी नौनिहाल सिंह इसी विधानसभा क्षेत्र से 3 बार विधायक रह चुके हैं. वहीं दबी जुबान में चर्चा यह भी है कि सिद्धार्थ नाथ बीजेपी के सीएम प्रत्याशी हो सकते हैं.
इनसे है मुकाबला
माफिया डॉन से नेता बने दिवंगत बीएसपी एमएलए राजू पाल की पत्नी पूजा पाल इस सीट से मैदान में हैं. वे इस समय यहां से विधायक भी हैं. वहीं पूजा पाल के पति की हत्या के मुख्य आरोपी आतिक अहमद भी इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं. साल 2012 में हुए चुनाव में बसपा को राज्य में करारी हार का समाना करना पड़ा था, लेकिन पूजा पाल ने इन चुनावों में जीत दर्ज की थी. सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाले इलाहाबाद में बसपा की वह इकलौती उम्मीदवार थीं, जो जीत दर्ज करा पाने में कातियाब रही थीं. पूजा ने इस सीट पर काफी अच्छी छवि बनाई और लोगों की सहानुभूति का लाभ भी उन्हें मिला है.
इस सीट पर नतीजे इस बार समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार रिचा सिंह के हक में जा सकते हैं. आजादी के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष बनने वाली रिचा सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनायी गयी छवि का फायदा मिल सकता है.
सिद्धार्थ नाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं. बाहुबली नेता अतीक अमहद के प्रभाव वाली और फिलहाल बीएसपी के कब्जे में चल रहे इस निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी ने सिद्धार्थ नाथ को मैदान में उतारा. सिद्धार्थ के अंकल चौधरी नौनिहाल सिंह इसी विधानसभा क्षेत्र से 3 बार विधायक रह चुके हैं. वहीं दबी जुबान में चर्चा यह भी है कि सिद्धार्थ नाथ बीजेपी के सीएम प्रत्याशी हो सकते हैं.
इनसे है मुकाबला
माफिया डॉन से नेता बने दिवंगत बीएसपी एमएलए राजू पाल की पत्नी पूजा पाल इस सीट से मैदान में हैं. वे इस समय यहां से विधायक भी हैं. वहीं पूजा पाल के पति की हत्या के मुख्य आरोपी आतिक अहमद भी इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं. साल 2012 में हुए चुनाव में बसपा को राज्य में करारी हार का समाना करना पड़ा था, लेकिन पूजा पाल ने इन चुनावों में जीत दर्ज की थी. सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाले इलाहाबाद में बसपा की वह इकलौती उम्मीदवार थीं, जो जीत दर्ज करा पाने में कातियाब रही थीं. पूजा ने इस सीट पर काफी अच्छी छवि बनाई और लोगों की सहानुभूति का लाभ भी उन्हें मिला है.
इस सीट पर नतीजे इस बार समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार रिचा सिंह के हक में जा सकते हैं. आजादी के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष बनने वाली रिचा सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनायी गयी छवि का फायदा मिल सकता है.
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