
समाजवादी पार्टी ने मऊ विधानसभा की सदर सीट से इस बार अल्ताफ अंसारी को टिकट दिया है. इस सीट से अल्ताफ अंसारी को बसपा के उम्मीदवार बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से कड़ी टक्कर मिलेगी. मुख्तार अंसारी का इस क्षेत्र में जबरदस्त दबदबा है. वह मऊ से कुल चार बार विधायक रह चुके हैं.
पिछले विधानसभा चुनावों में भी सपा ने अल्ताफ अंसारी को टिकट दिया था लेकिन मुख्तार अंसारी ने उन्हें हरा दिया था. अल्ताफ अंसारी के पिता मौलवी नेयाज अहमद एक बुनकर हैं. और अल्ताफ अंसारी की छवि इलाके में एक बुनकर नेता के रूप में है. अल्ताफ अंसारी 1992 में सपा में शामिल हुए और लंबे समय तक जिलाध्यक्ष रहे.
वहीं बीजेपी ने इस सीट पर राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के उम्मीदवार को गठबंधन के तहत उतारा है. भासपा के जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में है उनका नाम है महेंद्र राजभर. महेंद्र 2012 के चुनाव में मुख्तार के साथ थे और उन्होंने अपनी बिरादरी के वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. पर इस बार वे खुद उनके सामने हैं. पिछली बार भाजपा यहां चौथे नंबर पर थी.
विलय को लेकर मुख्तार अंसारी और समाजवादी पार्टी में हुई खींचतान को लेकर इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा. गौरतलब है कि बसपा में विलय से पहले मुख्तार अंसारी सपा में कौमी एकता दल का विलय कराना चाहते थे. लेकिन मुख्तार की आपराधिक पृष्ठभूमि के चलते अखिलेश यादव इस विलय के खिलाफ थे.
मऊ सदर सीट के मतदान छठे चरण में होगा. छठे चरण में कुल 77 लाख 84 हजार महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 72 लाख मतदाता, कुल 635 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कर सकेंगे. इसके लिये 17 हजार 926 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. वर्ष 2012 में इन सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने नौ, भाजपा ने सात तथा कांग्रेस ने चार सीटें जीती थी, जबकि दो सीटें अन्य के खाते में गयी थीं. इस चरण में सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार गोरखपुर सीट पर मैदान में हैं, जबकि सबसे कम सात उम्मीदवार मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.
छठे चरण में नेपाल से सटे महराजगंज और कुशीनगर के साथ-साथ गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ तथा बलिया जिलों की 49 सीटों पर आगामी चार मार्च को मतदान होगा. इस चरण के चुनाव प्रचार में भी भाजपा, सपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगायी.
पिछले विधानसभा चुनावों में भी सपा ने अल्ताफ अंसारी को टिकट दिया था लेकिन मुख्तार अंसारी ने उन्हें हरा दिया था. अल्ताफ अंसारी के पिता मौलवी नेयाज अहमद एक बुनकर हैं. और अल्ताफ अंसारी की छवि इलाके में एक बुनकर नेता के रूप में है. अल्ताफ अंसारी 1992 में सपा में शामिल हुए और लंबे समय तक जिलाध्यक्ष रहे.
वहीं बीजेपी ने इस सीट पर राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के उम्मीदवार को गठबंधन के तहत उतारा है. भासपा के जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में है उनका नाम है महेंद्र राजभर. महेंद्र 2012 के चुनाव में मुख्तार के साथ थे और उन्होंने अपनी बिरादरी के वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. पर इस बार वे खुद उनके सामने हैं. पिछली बार भाजपा यहां चौथे नंबर पर थी.
विलय को लेकर मुख्तार अंसारी और समाजवादी पार्टी में हुई खींचतान को लेकर इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा. गौरतलब है कि बसपा में विलय से पहले मुख्तार अंसारी सपा में कौमी एकता दल का विलय कराना चाहते थे. लेकिन मुख्तार की आपराधिक पृष्ठभूमि के चलते अखिलेश यादव इस विलय के खिलाफ थे.
मऊ सदर सीट के मतदान छठे चरण में होगा. छठे चरण में कुल 77 लाख 84 हजार महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 72 लाख मतदाता, कुल 635 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कर सकेंगे. इसके लिये 17 हजार 926 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. वर्ष 2012 में इन सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने नौ, भाजपा ने सात तथा कांग्रेस ने चार सीटें जीती थी, जबकि दो सीटें अन्य के खाते में गयी थीं. इस चरण में सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार गोरखपुर सीट पर मैदान में हैं, जबकि सबसे कम सात उम्मीदवार मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.
छठे चरण में नेपाल से सटे महराजगंज और कुशीनगर के साथ-साथ गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ तथा बलिया जिलों की 49 सीटों पर आगामी चार मार्च को मतदान होगा. इस चरण के चुनाव प्रचार में भी भाजपा, सपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगायी.
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