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This Article is From Oct 29, 2015

देश के शहीदों की आत्माओं की शान्ति के लिए वाराणसी में जले आकाश दीप

देश के शहीदों की आत्माओं की शान्ति के लिए वाराणसी में जले आकाश दीप
आकाशदीप दान करते सेना के अधिकारी
वाराणसी:

शहीद होने वाले लोगों को देश बड़ी कृतज्ञता के साथ हमेशा याद करता रहा है, लेकिन वाराणसी में कार्तिक महीने के पहले दिन उनकी आत्मा की शांति और सम्मान के लिए आकाश दीप जलाने की परंपरा है। खास बात यह है कि इस परंपरा को सेना के तीनों अंगों के जवान निभाते हैं। आज कार्तिक महीने का पहला दिन था इसलिए वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर राष्ट्रगान की धुन के साथ न सिर्फ शहीदों को याद किया गया बल्कि उनके सम्मान में आकाश दीप भी जलाए गए।

(घाट पर शहीदों को सलामी देते सेना के जवान)

वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर सेना के जवान उस परंपरा को निभाने के लिए हर साल कार्तिक मास के पहले दिन इकट्ठा होते हैं। इसकी पौराणिकता महाभारत काल से जुड़ी हुई है। महाभारत काल में पांडवों ने महाभारत युद्ध में मारे गए शहीदों की आत्मा की शांति के लिए दीप दान शुरू किया था। क्योंकि मान्यता है कि कार्तिक मास के पवित्र महीने में मृत पूर्वजों के नाम से यदि प्रतिदिन दीप जलाए जाएं तो उन्हें न सिर्फ शांति मिलेगी बल्कि मोक्ष भी मिलेगा।
 
(आकाश दीप में जलता हुआ दीया)

वाराणसी में सेना के जवान उसी परंपरा के तहत देश में पूरे साल में शहीद हुए जवानों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धापूर्वक दीप जलाते हैं, ताकि उन्हें भी शांति और मोक्ष मिले। आस्था, श्रद्धा और राष्ट्रभक्ति का यह मेल वाराणसी की एक स्वयं सेवी संस्था के प्रयास से संभव हो पाता है। इसमें सेना के तीनों अंगों के जवान भी भाग लेते हैं।
 
(मंदिर के चारों ओर लगे आकाशदीप)

जोशीले बैंड बाजे और राष्ट्रगान के साथ जब जवान तिरंगे को सलामी देते हैं तो गंगा के किनारे देशभक्ति की एक और धारा फूट पड़ती है। सेना के जवान दीप जलाकर उसे आकाश में पहुंचा देते हैं। और उन्हें याद करते हैं जिन्होंने देश के लिए अपने जान की परवाह नहीं की।
 
रस्सी से ऊपर भेजा जाता आकाशदीप

शहीदों के सम्मान में जलाए गए ये दीप पूरे कार्तिक महीनेभर जलेंगे। जिसमें सेना के जवान प्रतिदिन शाम होने से पहले इस दीए को खुद ही रोशन करेंगे। आस्था और परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस पुनीत कार्य में थल सेना, वायु सेना और जल सेना के अलावा सीआरपीएफ के साथ आईटीबीपी और पुलिस के जवान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
 
(आकाशदीप को ऊपर करते लोग)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन अंतिम सलामी देकर सेना के तीनों अंगों के अफसरान अमर जवान ज्योति के ऊपर श्रद्धा सुमन अर्पित करके इसका समापन करेंगे।

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