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जानिए कौन हैं कीमिया अलीज़ादेह, कभी ईरान के लिए ओलंपिक में मेडल जीतकर रचा था इतिहास, अब करेंगी बुल्गारिया का प्रतिनिधित्व

Who is Kimia Alizadeh: ईरान की इकलौती महिला ओलंपिक पदक विजेता किमीआ अलीज़ादेह ज़ूरिन ने 2020 में मात्र 21 साल की उम्र में अपना देश छोड़ दिया था. ऐसा करने के पीछे का कारण उन्होंने बताया था कि वो अन्याय और चापलूसी का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी.

जानिए कौन हैं कीमिया अलीज़ादेह, कभी ईरान के लिए ओलंपिक में मेडल जीतकर रचा था इतिहास, अब करेंगी बुल्गारिया का प्रतिनिधित्व
Kimia Alizadeh: कभी ईरान के लिए ओलंपिक में मेडल जीतकर रचा था इतिहास

ईरान की इकलौती महिला ओलंपिक पदक विजेता किमीआ अलीज़ादेह ज़ूरिन ने 2020 में मात्र 21 साल की उम्र में अपना देश छोड़ दिया था. ऐसा करने के पीछे का कारण उन्होंने बताया था कि वो अन्याय और चापलूसी का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी.  उनका कहना था की वो देश की लाखों सताई हुई महिलाओं में से एक हैं. किमीआ ने 2016 के रियो ओलंपिक में ताइक्वांडो में अपने देश के लिए 57 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक (ब्रॉन्ज मेडल) जीता था. वे देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाली इकलौती खिलाड़ी भी बनी थीं. 25 साल की अलीज़ादेह पेरिस ओलंपिक्स 2024 में अपने नए देश बुल्गारिया का प्रतिनिधित्व करती नज़र आएंगी. अलीज़ादेह पिछले ओलंपिक्स में कोई भी पदक नहीं जीत पाई थीं लेकिन इस बार उन्होंने अपनी जगह पेरिस ओलंपिक्स में पक्की कर ली है और वो बुल्गारिया के लिए पदक जीतने की पूरी कोशिश करेंगी.

अलीज़ादेह ने रॉयटर्स को बताया कि "ये सही है कि, किसी भी देश को छोड़ना और नई चीज़ों का सामना करना बहुत मुश्किल होता है. ये कोई भी चीज़ हो सकती है, जैसे कि एक नई भाषा, नई संस्कृति या फिर नए लोग." उन्होंने आगे कहा कि "यह काफ़ी कठिन है, यह एक नई शुरुआत है. मुझे शुरुआत से ही सब कुछ शुरू करना पड़ा और खुद को ढालना पड़ा. बेशक यह मुश्किल है, लेकिन मैंने बस आगे बढ़ने का फैसला किया और अपने लक्ष्य के लिए मेहनत की."

अलीज़ादेह का कहना है कि "हर खिलाड़ी की तरह, मैं भी पेरिस में स्वर्ण पदक हासिल करने का लक्ष्य रखती हूँ, यही  मेरा लक्ष्य है. मैं हर रोज पेरिस में स्वर्ण पदक जीतने के लिए जागती हूँ और इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करती हूं और 100% देती हूं," उनका कहना है कि "बुल्गारिया की नागरिकता मिलना निश्चित रूप से मेरे लिए अतिरिक्त प्रेरणा थी, अब मेरे लिए सब कुछ बहुत आसान है. साथ ही मुझे कई नई चीज़ों का सामना करना पड़ा और अब मैं अधिक ज़िम्मेदार महसूस करती हूँ, लेकिन हाँ, मुझे यह वाकई पसंद है.''

बता दें कि अलीज़ादेह के पास बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे देशों का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका था लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी और बुल्गारिया को ही चुना. उन्होंने कहा कि "मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ और वहां के लोगों ने मेरा बहुत प्यार से स्वागत किया, मैं वहां वाकई सहज महसूस करती थी और मुझे लगा कि यह मेरा दूसरा घर है.अब से मैं अपनी प्रतियोगिताओं में बुल्गारिया का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूँ.''

पिछले ओलंपिक्स ने अलीज़ादेह का आमना-सामना उनके ईरान प्रतिद्वंद्वी नाहिद किआनी से हुआ था, जो कि उनके लिए एक बहुत अजीब सी फीलिंग थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि वो प्रतिद्वंद्वी उनकी बेस्ट फ्रेंड और रूम मेट दोनों ही रह चुकी थी. इस पर कीमिया का कहना था कि ''टोक्यो में ईरान के खिलाफ खेलना मेरे लिए एक अजीब सी भावना थी, क्योंकि वह (नाहिद किआनी) मेरी सबसे अच्छी दोस्त और रूम-मेट थी. इसे शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है, लेकिन यही तो मुक़ाबला है, यही तो खेल है, और हर एथलीट अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देता है."

कीमिया अलीज़ादेह अभी उस मुकाम पर है जहां से वो बुल्गारिया की पहली ताइक्वाडो ओलंपिक एथलीट बनकर, ईरान की महिलाओं को, साथ ही साथ अपने अपनाए हुए देश के लोगों को भी प्रेरित कर सकती हैं. उनका मानना है कि "रोल मॉडल बनना मुश्किल है क्योंकि आप जो कर रहे हैं उसमें आप बहुत अधिक ज़िम्मेदारी महसूस करते हैं. बहुत से लोग, ख़ासकर युवा लोग आपको देखते हैं और वे देखते हैं कि आप क्या कर रहे हैं ?और क्या कह रहे हैं? क्योंकि वे आपके रास्ते पर चलना चाहते हैं.  यह कठिन है, यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, और मैं हमेशा सोचती हूँ कि मुझे उन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए सही और अच्छा काम करना होगा."

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