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भारत को मिला 'चेस का सचिन तेंदुलकर', कोच बोले थोड़ी मदद मिले तो बनेगा ग्रैंड मास्टर

वो सिर्फ 9 साल का है और जिस तरह से वो मैग्नस कार्लसन पर हावी रहा, सच कहता हूं आरित कपिल चेस का सचिन तेंदुलकर है.

भारत को मिला 'चेस का सचिन तेंदुलकर', कोच बोले थोड़ी मदद मिले तो बनेगा ग्रैंड मास्टर
Aarit Kapil
  • आरित कपिल ने मैग्नस कार्लसन के खिलाफ ड्रॉ मैच खेला.
  • वह सिर्फ 9 साल का है और पांचवीं कक्षा में पढ़ता है.
  • आरित कोच विशाल सरीन की देखरेख में चेस खेलता है.
  • वह अंडर-10 वर्ल्ड कप में मजबूत दावेदार है.
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दिल्ली के वसुंधरा इन्क्लेव के सोमरविले स्कूल के सिर्फ पांचवीं में पढ़ने वाले आरित कपिल के कोच और इंटरनेशल मास्टर IM विशाल सरीन अपने शिष्य आरित की कामयाबी पर फूले नहीं समा रहे. मंगलवार को 'अर्ली टाइटल्ड ट्यूसडे कंपीटीशन' (Early Titled Tuesday Compettion) हुए मैच में आरित वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन पर 46वें दांव तक बढ़त बनाकर खेल रहे थे. लेकिन ब्लिट्ज फॉर्मैट में उनके पास 6 सेकेंड बचे थे और नॉर्वे के मैग्नस के पास 17 सेकेंड. आरित को मैच ड्रॉ करना पड़ा. लेकिन वर्ल्ड चैंपियन जीनियस मैग्नस के खिलाफ उनके इस ड्रॉ मैच ने भारत के 9 साल के आरित को दुनिया भर के शतरंज के एक्सपर्ट्स की नजरों में हीरो बना दिया.

'अगर मैग्नस चेस के मोजार्ट और फॉस्टिनो ओरो- मेस्सी हैं तो आरित चेस के सचिन तेंदुलकर हैं. आरित की सबसे खास बात ये है कि वो मैग्नस और दूसरे दिग्गजों की तरह बेखौफ होकर निडर चेस खेलते हैं तो फॉस्टिनो ओरो कई युवा धुरंधरों की तरह बेहद तेज कैलकुलेशन करते हैं,'फख्र से आरित के कोच विशाल सरीन अपने होनहार छात्र के खेल की बारीकियां बताते हैं.  

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- मैग्नस कार्लसन से मैच ड्रॉ
- ग्रैंडमास्टर को हरानेवाले सबसे युवा भारतीय
- सिर्फ 9 साल  के पांचवीं में पढ़ाई करने वाले दिल्ली के शतरंज का नन्हा उस्ताद
- जॉर्जिया वर्ल्ड कप के चार में से 3 मैचों में जीत, एक ड्रॉ
- अंडर-10 वर्ल्ड कप खिताब के मजबूत दावेदार
- आगे की शतरंज के लिए स्पॉन्सर की तलाश 

आरित के पिता कहते हैं कि सिर्फ 4 साल पहले उन्होंने अपने बेटे को चेस सिखाया और हफ्ते भर के अंदर ही 5 साढे 5 साल के आरित ने अपने पिता विजय कपिल को हरा दिया. तब से उन्होंने आरित को प्रोफेशनल चेस के लिए तैयार करना शुरू कर दिया.

कैंडिडेट मास्टर यानी CM आरित कपिल के पिता विजय और मां निशा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूशन का काम करते हैं और दिल्ली के मयूर विहार में किराये के एक घर  रहते हैं. पैसों की तंगी की वजह से आरित को बहुत ज्यादा इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलने का मौका नहीं मिल पाता. आरित के पिता विजय कहते हैं, 'मैं भारतीय चेस फेडरेशन के प्रेसीडेंट नितिन नारंग का शुक्रगुजार हूं की उन्होंने 25,000 रुपये की स्कॉलरशिप शुरू की है. लेकिन ग्रैंडमास्टर बनने और उस स्तर की कोचिंग के लिए साल में 50 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं. अभी जैसे-तैसे कोशिश कर रहा हूं. लेकिन स्पॉन्सर की तलाश में हूं.'

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आरित फिलहाल जॉर्जिया के बातूमि में अंडर-10 वर्ल्ड कप खेल रहे हैं और अपने चार मैचों में से तीन में जीत और एक ड्रॉ के साथ खिताब के मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं. वो अपनी मां निशा के साथ बातूमि से चौथे मैच से पहले पिता को फोन करके बताते हैं, 'पापा मैच के लिए जा रहा हूं.' पिता कहते हैं, 'टेंशन मत करियो..आराम से खेलियो.. रिजल्ट के बारे में मत सोचियो.. प्रेशर मत लियो.. ऑल द बेस्ट.. बाई शोना..' और फिर छोटे से बच्चे का छोटा से जवाब आता है, ओके.. बाई पापा.'

मैग्नस कार्लसन से ड्रॉ से छह महीने पहले भी आरित का नाम सुर्खियों में रहा था जब वो दुनिया के सबसे तीसरे छोटे भारतीय चेस खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने ग्रैंडमास्टर रसित जिआतदिनोव को हरा दिया था.

कोच विशाल सरीन आरित की चेस की खूबियों पर जोर देकर बताते हैं, 'मैं उन्हें ट्रेनिंग में इंटरनेशनल मास्टर लेवल की मुश्किलें देता हूं. लेकिन वो हर बार मुझे हैरान कर देते हैं. मुझे लगता है इसका जन्म ही चेस के लिए हुआ है. लेकिन इसे बेहद सपोर्ट की जरूरत है. बहुत जल्द आप इसे ग्रैंडमास्टर- GM बनता हुआ देखेंगे.'

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