
- फौजा सिंह का जन्म 1911 में जलंधर के ब्यास गांव में हुआ था, जिन्होंने भारत और विश्व में दौड़ने के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई.
- 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने टोरंटो मैराथन में हिस्सा लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और 2003 में लंदन मैराथन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.
- फौजा सिंह ने इंग्लैंड में 200 मीटर, 400 मीटर, 800 मीटर, 1 मील और 3000 मीटर दौड़ के भी रिकॉर्ड बनाए, जो डेढ़ घंटे के अंदर स्थापित हुए.
Fauja Singh 5 Interesting Stories: 1911 एक ऐसा ऐतिहासिक साल था जब देश की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनी और इसी साल पहली बार जन-गण-मन गाया गया. इसी साल जलंधर के ब्यास गांव में संभवत: 1 अप्रैल को एक ऐसे सिख रनर का जन्म हुआ जिसकी कहानियां कई पीढ़ियों तक कही जाने वाली थीं. फौजा ने एक बार कहा था, "मैंने कनाडा, अमेरिका और इंग्लैंड में जीत हासिल की, लेकिन मैं भारत में लोगों के दिलों को जीतना चाहता हूं. मुंबई मैराथन में मैं ज़रूर आउंगा. मुझे बड़ी खुशी होगी." यकीनन फौजा ने भारत और दुनिया भर में करोड़ों दिल जीत लिए. फौजा से जो जहां भी मिला कहानियों का पिटारा खुल गया. उनकी पांच सुपहरहिट कहानियों पर डालते हैं एक नज़र-
1. मो. अली, डेविड बेक्हम की लीग में फौजा सिंह
114 साल की उम्र में जब ज़िन्दगी फौजा से हारती नजर आई तो मौत ने फौजा तक पहुंचने का एक्सीडेंट का रास्ता ढूंढ लिया. 2004 में 'टर्बनेटर मैराथन मैन' फौजा सिंह एडिडास के विज्ञापन में मो. अली, डेविड बेक्हम की लीग में दिखाई दिए तो नेस्ले के विज्ञापन मे भी नजर आए और दुनिया भर के बाज़ार ने उन्हें हैरानी के साथ अपना लिया. उनकी बायोग्राफी के लेखक खुशवंत सिंह बताते हैं, "फौजा सिंह जी का एडिडास के विज्ञापन में आना बड़ी बात है. लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि विज्ञापन के सारे पैसे वो चैरिटी पर खर्च कर देते थे."
2. 92 साल की उम्र में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
90 प्लस की उम्र होते ही भारत में अनोखा, अनूठा की उपाधि देकर मान-सम्मान और जीवन की आख़िरी पारी मान लेने का चलन है. लेकिन 2003 में जब फौजा 92 साल के थे, ने टोरंटो मैराथन में हिस्सा लिया और दुनिया भर के अख़बारों की सुर्ख़ियां बन गए. एक अनोखा वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया. इसी साल 2003 में लंदन मैराथन में उन्होंने 6 घंटे 2मिनट की बेहतरीन टाइमिंग निकाली.
3. 200m, 400m, 800m, 1 मील, 3000 मीटर के भी रिकॉर्ड
फौजा सिंह जी को लोग सिर्फ मैराथन मैन की तरह जानते हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि फौजा ने इंग्लैंड में 200m, 400m, 800m, 1 मील, 3000 मीटर के भी रिकॉर्ड बनाए. और भी बड़ी बात ये है कि फौजा ने रिकॉर्ड 94 मिनट के अंतराल यानी डेढ़ घंटे के अंदर ही कायम कर दिए. फ़ौजा सिंह को दुनिया पगड़ी वाला तूफ़ान, दौड़नेवाला बाबा और सुपरमैन सिक्ख के नाम से भी जानने लगी.
4. डन्डा सिंह से फौजा सिंह तक का सफर
फौजा सिंह 1990 में जालंधर से अपने बेटे के पास इलफोर्ड चले गए. 89 साल की उम्र में उन्हें दौड़ने का चस्का लगा तो वो थ्री पीस पहनकर मैदान पहुंचे. रेडब्रिज, एसेक्स में कोच ने उन्हें दौड़ने के लिए, रनर की ड्रेस में तैयार किया. उनके कोच हरमन्दर सिंह के मुताबिक वो आसानी से 20 किमी दौड़ लेते थे और फिर मैराथन भागना चाहते थे.
ये भी हैरानी की बात है कि 5 साल की उम्र तक वो चल भी नहीं पाते थे और फिर 15 साल की उम्र तक ऐसे ही रहे. उनकी पतली टांगों की वजह से बच्चे उन्हें 'डंडा' कहकर चिढ़ाते थे.
5. फौजा की जीवनी- 'टर्बन्ड टोरनैडो' का हॉउस ऑफ लॉर्ड्स से कनेक्शन
फौजा सिंह की बायोग्राफी के लेखक खुशवंत सिंह बताते हैं फौजा ट्रेनिंग को बहुत tavajjoh देते थे. कहते थे कि बगैर ट्रेनिंग मैराथन मौत की तरह है. उन्होंने पिछले साल ड्रग्स के खिलाफ मुहिम में लेखक खुशवंत सिंह के साथ 'पीपल्स against ड्रग्स' में हिस्सा लेकर समाज के लिए अपनी सोच को भी zahir किया.
तकरीबन डेढ़ दशक पहले फौजा सिंह की जीवनी भी लिखी गई जिसका विमोचन हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स, लंदन में किया गया. फौजा को दुनिया बिना थके दौड़नेवाले सिक्ख रनर के रूप में हैरानी से याद करती रही. और अब वो सबकी यादों का हिस्सा बन गए हैं.
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