वाराणसी में 1 मई को ई-बोट में सैर करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)।
वाराणसी:
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाविकों को ई-वोट भेंट करने के एक सप्ताह बाद ही यह नौबत आ गई है कि यह बैटरी की जगह पतवार से चलानी पड़ रही हैं। बिजली या सौर्य ऊर्जा की जगह शारीरिक मशक्कत ही काम आ रही है।
एक सप्ताह पहले भेंट कीं 5 बोट
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 11 ई-बोट देने का वादा किया है जिनमें से 1 मई को 5 ई-बोट नाविकों को भेंट की गई थीं। यह नाव रिचार्जेबल बैटरी से चलती हैं। सभी नावों की बैटरी सोलर पैनल से रिचार्ज नहीं होती हैं। लेकिन इनको घाटों पर भी रिचार्ज नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके लिए घाटों पर पावर पॉइंट नहीं हैं। ई-बोट का उपहार पाने वाले सूरत साहनी ने कहा कि ''बोट में लगी बैटरियां सूखी हुई थीं। हमें इनको बाहर निकालकर अपने खर्च पर चार्ज कराना पड़ा।''
ई-बोट की बैटरियों की चार्जिंग को लेकर भ्रम
नाविक इन नावों में सोलर चार्जिंग उपकरण को लेकर भी भ्रमित हैं। कुछ का कहना है कि नावों की छतों पर लगे सोलर पैनलों को बैटरी रिचार्ज करने के लिए प्रचुर मात्रा में सूर्य की रोशनी की जरूरत है जो कि मंदिरों के शहर में मिलना आसान नहीं है। कुछ का कहना है कि सोलर पैनल की कोई जरूरत ही नहीं है सिर्फ पावर पॉइंट ही बैटरी चार्जिंग के लिए सर्वथा उपयुक्त हो सकते हैं।
संतुलन बिगाड़ देते हैं सोलर पैनल
नाविकों का यह भी कहना है कि निकाला जा सकने वाला सोलर पैनल नाव की छत पर लगता है। इससे नाव के ऊपरी हिस्से का वजन बढ़ता है और इससे नाव का संतुलन भी बिगड़ता है। इसके अलावा एक और आम शिकायत है कि पतवार और प्रोपेलर प्लास्टिक के बने हैं जो कि बहुत जल्द टूट जाते हैं। वाराणसी में घाटों पर ढाई हजार नौकाओं का यातायात चलता रहता है।
नदी में नहीं, स्थिर जल में उपयोगी
कुछ नाविकों ने इन ई-बोट के नदी में उपयोग को लेकर शंका जाहिर की। उनका कहना है कि मॉनसून के दिनों में जब गंगा में तेज बहाव होता है तब यह शायद काम न आ सकें। यह नाव झीलों के स्थिर जल में ज्यादा काम की हो सकती हैं।
बीजेपी की नजर आगामी चुनाव पर
पीएम मोदी ने कहा था कि ई-बोट से नाविकों के ईंधन के खर्च में कमी आएगी। नाविक प्रतिदिन 500 रुपये का डीजल खरीदते हैं। स्थानीय बीजेपी नेता पीएम के ई-बोट उपहार को लेकर उत्साहित हैं। उन्हें आशा है कि यह उपहार उन्हें निशाद (नाविक) समुदाय से आने वाले चुनाव में फायदा दिलाने वाला साबित होगा। वह कोशिश में हैं कि यह ई-बोट, ई-वेस्ट के रूप में समाप्त न हो जाएं।
वाराणसी बीजेपी के प्रवक्ता अशोक कुमार पांडेय कहते हैं कि ''बोट में सोलर पैनल की जरूरत है लेकिन भारी पैनल नाव को अस्थिर कर देते हैं। इसलिए घाटों पर चार्जिंग पॉइंट निहायत ही जरूरी हैं। हम इसकी व्यवस्था शीघ्र कर देंगे।''
एक सप्ताह पहले भेंट कीं 5 बोट
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 11 ई-बोट देने का वादा किया है जिनमें से 1 मई को 5 ई-बोट नाविकों को भेंट की गई थीं। यह नाव रिचार्जेबल बैटरी से चलती हैं। सभी नावों की बैटरी सोलर पैनल से रिचार्ज नहीं होती हैं। लेकिन इनको घाटों पर भी रिचार्ज नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके लिए घाटों पर पावर पॉइंट नहीं हैं। ई-बोट का उपहार पाने वाले सूरत साहनी ने कहा कि ''बोट में लगी बैटरियां सूखी हुई थीं। हमें इनको बाहर निकालकर अपने खर्च पर चार्ज कराना पड़ा।''
ई-बोट की बैटरियों की चार्जिंग को लेकर भ्रम
नाविक इन नावों में सोलर चार्जिंग उपकरण को लेकर भी भ्रमित हैं। कुछ का कहना है कि नावों की छतों पर लगे सोलर पैनलों को बैटरी रिचार्ज करने के लिए प्रचुर मात्रा में सूर्य की रोशनी की जरूरत है जो कि मंदिरों के शहर में मिलना आसान नहीं है। कुछ का कहना है कि सोलर पैनल की कोई जरूरत ही नहीं है सिर्फ पावर पॉइंट ही बैटरी चार्जिंग के लिए सर्वथा उपयुक्त हो सकते हैं।
संतुलन बिगाड़ देते हैं सोलर पैनल
नाविकों का यह भी कहना है कि निकाला जा सकने वाला सोलर पैनल नाव की छत पर लगता है। इससे नाव के ऊपरी हिस्से का वजन बढ़ता है और इससे नाव का संतुलन भी बिगड़ता है। इसके अलावा एक और आम शिकायत है कि पतवार और प्रोपेलर प्लास्टिक के बने हैं जो कि बहुत जल्द टूट जाते हैं। वाराणसी में घाटों पर ढाई हजार नौकाओं का यातायात चलता रहता है।
नदी में नहीं, स्थिर जल में उपयोगी
कुछ नाविकों ने इन ई-बोट के नदी में उपयोग को लेकर शंका जाहिर की। उनका कहना है कि मॉनसून के दिनों में जब गंगा में तेज बहाव होता है तब यह शायद काम न आ सकें। यह नाव झीलों के स्थिर जल में ज्यादा काम की हो सकती हैं।
बीजेपी की नजर आगामी चुनाव पर
पीएम मोदी ने कहा था कि ई-बोट से नाविकों के ईंधन के खर्च में कमी आएगी। नाविक प्रतिदिन 500 रुपये का डीजल खरीदते हैं। स्थानीय बीजेपी नेता पीएम के ई-बोट उपहार को लेकर उत्साहित हैं। उन्हें आशा है कि यह उपहार उन्हें निशाद (नाविक) समुदाय से आने वाले चुनाव में फायदा दिलाने वाला साबित होगा। वह कोशिश में हैं कि यह ई-बोट, ई-वेस्ट के रूप में समाप्त न हो जाएं।
वाराणसी बीजेपी के प्रवक्ता अशोक कुमार पांडेय कहते हैं कि ''बोट में सोलर पैनल की जरूरत है लेकिन भारी पैनल नाव को अस्थिर कर देते हैं। इसलिए घाटों पर चार्जिंग पॉइंट निहायत ही जरूरी हैं। हम इसकी व्यवस्था शीघ्र कर देंगे।''
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