विदिशा जिले के लटेरी की मंडी में फसल बेचने के लिए आए किसानों की लंबी कतार लगी है.
भोपाल:
मध्यप्रदेश में विदिशा जिले के लटेरी में उपज के तुलने का चार दिन से इंतजार कर रहे किसान की गुरुवार को मौत हो गई. 65 साल का ये किसान चार दिन पहले चना लेकर मंडी आया था. तब से लाइन में लगाकर चना की तुलाई का इंतजार कर रहा था. जिला प्रशासन ने मृतक किसान के परिजनों को तत्काल चार लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है.
पैंसठ साल के मूलचंद लटेरी मंडी में चना बेचने आए थे. 44 डिग्री अधिकतम तापमान वाली गर्मी में चार दिन से तुलाई नहीं हो पा रही थी. वे सुबह शौचालय से आते ही ट्रैक्टर के पास चक्कर खाकर गिर गए और वहीं उनकी मौत हो गई. उनके बेटे नर्मदा प्रसाद ने बताया कि ''चना बेचने आए थे, 3-4 दिन हो गए. मैं मंडी आ रहा था वहां मंडी वाले सबको वापस कर रहे थे. मैंने पूछा हुआ क्या? पूछा- तुम्हारे पिता थे, वो खत्म हो गए. मैंने देखा पिताजी शांत पड़े थे.''
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लटेरी मंडी में केवल चार वज़न कांटे हैं. किसानों को टोकन में एक-दो दिन बाद की तारीख देना यहां आम है. ऐसे में मंडी में 400 से ज्यादा किसान कतार में थे. हादसा होने का बाद प्रशासन का कहना है कि वह अतिरिक्त कांटों की मांग करेगा ताकि तुलाई जल्दी हो सके. लटेरी तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान ने कहा ''प्रशासन की पूरी व्यवस्था है, अब अचानक कोई मौत हो जाए, उसकी भी जांच हो रही है. कोई भी किसान आता है, फौरन सुनवाई होती है. तीन-तीन अधिकारी यहां हैं. शासन के निर्धारित कांटे चार हैं. बढ़ाने की कार्रवाई भोपाल से होती है. अभी मैं प्रतिवेदन भेज रहा हूं.''
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सिर्फ फसल मंडी में बेचना ही नहीं, उसके बाद भुगतान में भी लंबा वक्त लग रहा है. आंकड़ों के मुताबिक गेंहू का 9509 करोड़ रूपये का भुगतान होना था, हुआ है 6000 करोड़ रुपये का. मसूर का 136 करोड़ रुपये का भुगतान होना था, हुआ है 12 करोड़ का. वहीं चने का 1150 करोड़ रुपये का भुगतान होना था, हुआ है सिर्फ 150 करोड़ रुपये का.
हालांकि सरकार का कहना है कि पैसे की कोई कमी नहीं. वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार झूठ बोल रही है. मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ हितेष वाजपेयी ने कहा ''ये घटना बहुत दुखद है. स्वाभाविक है तापमान 44-45 है, तीन दिन मंडी में रूकना ही कष्टप्रद है. लेकिन पैसों की कमी जैसी कोई बात नहीं है. सरकार पर्याप्त धनराशि दे रही है. उसकी कोई कमी नहीं है.'' वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा ''सरकार कहती है हम किसान पुत्र हैं, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं. वे खरीद रहे हैं दो-दो महीने पेमेंट नहीं हो रहा है. झूठ से किसान आत्महत्या कर रहा है.''
VIDEO : कर्ज के बोझ से जान दे रहे किसान
एक अनुमान के मुताबिक मध्यप्रदेश में हर 8 घंटे में एक किसान जान दे रहा है. वहीं सरकार किसान हितैषी होने का दावा करते हुए होर्डिंग लगाकर अपनी पीठ थपथपा कर दावा कर रही है, ऐसा भी होता है.
पैंसठ साल के मूलचंद लटेरी मंडी में चना बेचने आए थे. 44 डिग्री अधिकतम तापमान वाली गर्मी में चार दिन से तुलाई नहीं हो पा रही थी. वे सुबह शौचालय से आते ही ट्रैक्टर के पास चक्कर खाकर गिर गए और वहीं उनकी मौत हो गई. उनके बेटे नर्मदा प्रसाद ने बताया कि ''चना बेचने आए थे, 3-4 दिन हो गए. मैं मंडी आ रहा था वहां मंडी वाले सबको वापस कर रहे थे. मैंने पूछा हुआ क्या? पूछा- तुम्हारे पिता थे, वो खत्म हो गए. मैंने देखा पिताजी शांत पड़े थे.''
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लटेरी मंडी में केवल चार वज़न कांटे हैं. किसानों को टोकन में एक-दो दिन बाद की तारीख देना यहां आम है. ऐसे में मंडी में 400 से ज्यादा किसान कतार में थे. हादसा होने का बाद प्रशासन का कहना है कि वह अतिरिक्त कांटों की मांग करेगा ताकि तुलाई जल्दी हो सके. लटेरी तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान ने कहा ''प्रशासन की पूरी व्यवस्था है, अब अचानक कोई मौत हो जाए, उसकी भी जांच हो रही है. कोई भी किसान आता है, फौरन सुनवाई होती है. तीन-तीन अधिकारी यहां हैं. शासन के निर्धारित कांटे चार हैं. बढ़ाने की कार्रवाई भोपाल से होती है. अभी मैं प्रतिवेदन भेज रहा हूं.''
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सिर्फ फसल मंडी में बेचना ही नहीं, उसके बाद भुगतान में भी लंबा वक्त लग रहा है. आंकड़ों के मुताबिक गेंहू का 9509 करोड़ रूपये का भुगतान होना था, हुआ है 6000 करोड़ रुपये का. मसूर का 136 करोड़ रुपये का भुगतान होना था, हुआ है 12 करोड़ का. वहीं चने का 1150 करोड़ रुपये का भुगतान होना था, हुआ है सिर्फ 150 करोड़ रुपये का.
हालांकि सरकार का कहना है कि पैसे की कोई कमी नहीं. वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार झूठ बोल रही है. मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ हितेष वाजपेयी ने कहा ''ये घटना बहुत दुखद है. स्वाभाविक है तापमान 44-45 है, तीन दिन मंडी में रूकना ही कष्टप्रद है. लेकिन पैसों की कमी जैसी कोई बात नहीं है. सरकार पर्याप्त धनराशि दे रही है. उसकी कोई कमी नहीं है.'' वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा ''सरकार कहती है हम किसान पुत्र हैं, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं. वे खरीद रहे हैं दो-दो महीने पेमेंट नहीं हो रहा है. झूठ से किसान आत्महत्या कर रहा है.''
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एक अनुमान के मुताबिक मध्यप्रदेश में हर 8 घंटे में एक किसान जान दे रहा है. वहीं सरकार किसान हितैषी होने का दावा करते हुए होर्डिंग लगाकर अपनी पीठ थपथपा कर दावा कर रही है, ऐसा भी होता है.
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